आपबीती: हिंसा भरे जीवन से शान्ति की संस्कृति की ओर
कैमरून में एक युवा शान्ति पैरोकार ने अपने गृहनगर में व्याप्त हिंसा से मुँह मोड़ने के बाद एक युवा नागरिक समाज कार्यकर्ता के तौर पर काम शुरू किया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के साथ अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि हिंसा को ख़ारिज करने और शान्ति निर्माण में भूमिका निभाने के लिये वह अन्य युवाओं की किस तरह मदद कर रहे हैं.
हर वर्ष 12 अगस्त को मनाये जाने वाले ‘अन्तरराष्ट्रीय युवजन दिवस’ के अवसर पर, युवा कार्यकर्ता क्रिस्टियान अचालेके ने यूएन से बात की.
“शान्ति कार्यकर्ता बनने का मेरा निर्णय, मेरे निजी अनुभव से प्रभावित था.
मैं एक हिंसाग्रस्त समुदाय में पला बढ़ा: वो जीवन जीने का एक तरीक़ा था. एक समय, मुझे समझ में आया कि हिंसा से कुछ हासिल नहीं होता है.
मैंने कुछ दोस्त और जान-पहचान के लोग खो दिये, और अन्य को जेल में डाल दिया गया.
मैंने 2007 में स्वैच्छिक रूप से कार्य करना शुरू किया, और इसने मुझे शान्ति व समुदायों में बेहतरी लाने के इर्द-गिर्द बुना हुआ एक नया परिप्रेक्ष्य दिया.
यह एक प्रेरणादायी, जीवन बदल देने वाला अनुभव रहा है.
शान्तिनिर्माण प्रयासों को समर्थन देने और हिंसक चरमपंथ का मुक़ाबला करने के प्रयासों में शामिल एक युवा के तौर पर, मैं स्वयं को अपने साथियों के साथ बातचीत करते हुए पाता हूँ.
मैं जब जेलों में अन्य युवाओं से बात करने के लिये जाता हूँ, मैं उन्हें दिखा सकता हूँ कि उनके सामने पेश चुनौतियों से निपटने और हिंसक संघर्ष की वजहों के समाधान विकसित करने के लिये, हिंसा से बेहतर रास्ते मौजूद हैं
युवाओं को कमतर आंकना
हालांकि, मैं कहूँगा कि हमारी भूमिका को कमतर आंका जाता रहा है.
कभी-कभी मुझे महसूस होता है कि समुदाय, नेता और संस्थाएँ, हमारे कार्यों को अनदेखा कर देते हैं, जबकि हिंसक संघर्ष व टकराव के दौरान हम ही सबसे ज़्यादा झेलते हैं.
कैमरून में, हमने युवजन को स्थानीय समुदायों में शान्तिनिर्माण और शान्ति प्रक्रिया पहलों में शामिल होने का अवसर देने का प्रयास किया है.
उन्हें मार्गदर्शन, परामर्श और समर्थन मुहैया कराया गया है.
हम सरकारों, संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों को बता रहे हैं कि युवाओं को शामिल करना, मध्यस्थता में हिस्सा लेने के लिये कौशल और सुरक्षित माहौल प्रदान करना एक अच्छी रणनीति है, ताकि वे भी प्रक्रिया का हिस्सा बन सकें.
कैमरून के बाशिन्दे के तौर पर, मेरे लिये संस्कृति, विविधता और विरासत बेहद अहम हैं.
ये साथ जोड़ने वाले कारक होने चाहिएं, मगर इन्हें उपयुक्त ढँग से तराशे ना जाने की वजह से, हम एक हिंसक संघर्ष का सामना कर रहे हैं.
इसीलिये, संस्कृति, विरासत, विविधता और विदेशों में बसे समुदाय की देखरेख, शान्ति के लिये बहुत महत्वपूर्ण है, और हम ऐसा लम्बे समय से करने का प्रयास कर रहे हैं.
टकराव की रोकथाम
मेरे लिये, शान्ति की संस्कृति, मूल्यों, जीवनशैली, नैतिकता व आचार-नीति का एक समूह है, जिन्हें हिंसा और टकराव की रोकथाम करने और लोगों को शान्तिपूर्ण व नीति-सम्मत जीवन की ओर ले जाने के रास्ते के तौर पर विकसित किया जाता है.
अफ़्रीका में शान्ति की संस्कृति को सृजित करने के लिये युवजन और महिलाओं को शामिल किये जाने और इस प्रक्रिया के अग्रिम मोर्चे पर रखे जाने की ज़रूरत है.
लोगों व समुदायों के लिये अवसरों को प्रदान किया जाना भी अहम है ताकि वे अपने अनुभवों व विचारों को साझा करने में सक्षम हों.
युवाओं द्वारा अफ़्रीकी महाद्वीप का चेहरा बदले जाने के बारे में बातचीत कम ही होती है, मगर इसका अर्थ यह नहीं है कि हम अच्छा काम नहीं कर रहे हैं.
मैं राष्ट्राध्यक्षों, नीतिनिर्धारकों, समुदायों और सदभावना रखने वाले हर व्यक्ति से आग्रह कर रहा हूँ कि वे युवा लड़कों व लड़कियों के लिये खड़े हों, उनका समर्थन करें, और यह सुनिश्चित करें कि वे अपने देशों में बदलावों की अगुवाई कर सकें और अफ़्रीकी महाद्वीप का निर्माण कर सकें.”