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म्याँमार में, सैन्य नेतृत्व अपनी सत्ता की वैधता के लिये प्रयासरत

म्याँमार में, 1 फ़रवरी 2021 से, राजनैतिक अस्थिरता जारी है.
Unsplash/Saw Wunna
म्याँमार में, 1 फ़रवरी 2021 से, राजनैतिक अस्थिरता जारी है.

म्याँमार में, सैन्य नेतृत्व अपनी सत्ता की वैधता के लिये प्रयासरत

शान्ति और सुरक्षा

म्याँमार के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर बर्गेनर ने कहा है कि देश में, सेना द्वारा छह महीने पहले, एक फ़रवरी को सत्ता हथियाने के बाद, अब ऐसा लगता है कि सैन्य नेतृत्व ने, वहाँ अपनी सत्ता को और ज़्यादा मज़बूत बनाना शुरू कर दिया है. उन्होंने मंगलवार को न्यूयॉर्क में पत्रकार वार्ता के दौरान, ये बात कही.

क्रिस्टीन श्रेनर बर्गेनर ने कहा कि म्याँमार में अब भी स्थिति बेहद चिन्ताजनक है, ख़ासतौर से, कोविड-19 महामारी के संक्रमण की गम्भीर तीसरी लहर के दौर में.

एक वरिष्ठ सैनिक जनरल मिन आँग हलायंग ने, पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि वो ख़ुद को प्रधानमंत्री नियुक्त कर रहे हैं और 2023 तक चुनाव कराए जाने का संकल्प भी व्यक्त किया.

पकड़ और ज़्यादा मज़बूत

म्याँमार के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर ने, स्विटज़रलैण्ड से, बात करते हुए कहा, “मेरे ख़याल से, कमाण्डर इन चीफ़, नई कार्यवाहक सरकार की ताज़ा घोषणा के साथ ही, सत्ता पर अपनी पकड़ और ज़्यादा मज़बूत करने के लिये अडिग नज़र आते हैं; इस घटनाक्रम में, साल 2020 के चुनावों को औपचारिक रूप से रद्द कर दिया गया है और कमाण्डर इन चीफ़ को देश का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया गया है.”

विशेष दूत ने ये डर भी ज़ाहिर किया कि नेशनल लीग फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) को, जल्द ही जबरन विघटित किया जा सकता है. 

ध्यान रहे कि इस राजनैतिक दल ने ही नवम्बर 2020 में हुए चुनावों में जीत हासिल की थी. इस पार्टी की नेता और स्टेट काउंसलर आँग सान सू ची और राष्ट्रपति विन म्यिन्त को, 1 फ़रवरी को किये गए सैन्य तख़्तापलट के दौरान बन्दी बना लिया गया था.

उन्होंने कहा, “ये घटनाक्रम, दरअसल, अन्तरराष्ट्रीय कार्रवाई के अभाव में, वैधता हासिल करने की दिशा में प्रयास हैं. और मुझे ये स्पष्ट करना है कि संयुक्त राष्ट्र, सरकारों को मान्यता नहीं देता है, इसलिये, ये मामला सदस्य देशों के कन्धों पर है.”

विशेष दूत ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि जब तक सदस्य देश, इस मुद्दे पर कोई नया फ़ैसला नहीं करते हैं, संयुक्त राष्ट्र में म्याँमार के स्थाई प्रतिनिधि क्याव मोइ तुन, देश के वैध यूएन राजदूत बने रहेंगे, जबकि आँग सान सू ची और राष्ट्रपति म्यिन्त देश के नेतागण हैं.

मीडिया ख़बरों के अनुसार, हाल ही में, राजदूत तुन की हत्या किये जाने या उन्हें घायल करने की योजना का पर्दाफ़ाश किया गया था. ध्यान रहे कि राजदूत तुन ने म्याँमार के तख़्तापलट की, यूएन महासभा में निन्दा की थी.

विशेष दूत क्रिस्टीन श्रेनर ने कहा, “मैं ये ख़बर सुनकर स्तब्ध रह गई, स्पष्ट रूप से अब ये पता लगाना जाँच टीम पर निर्भर है कि इस हमले के पीछे किन ताक़तों का हाथ था.”

हिंसा और महामारी

उन्होंने कहा कि म्याँमार में ज़मीनी स्थिति,”बेहद कठिन” बनी हुई है.

“अभिव्यक्ति की कोई आज़ादी नहीं है, और स्वतंत्र प्रेस पर हमलों को लेकर मैं अब भी गम्भीर रूप से चिन्तित हूँ. और मैं अपने सभी सम्वादों में, सेना से राजनैतिक क़ैदियों व मीडियाकर्मियों को रिहा करने का आग्रह करती हूँ.”

सेना ने, तख़्तापलट के बाद, लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनों पर जानलेवा बल प्रयोग किया और अभी तक 960 से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं. हज़ारों अन्य गिरफ़्तार किये गए और बन्दी बनाए गए, जिनमें अनेक विदेशी नागरिक और 100 से ज़्यादा बच्चे हैं.

इसके साथ ही, म्याँमार, कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ भी एक विनाशकारी संघर्ष का सामना कर रहा है. अभी तक 3 लाख 31 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आ चुके हैं.

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियाँ और उसके साझीदार संगठन, स्वास्थ्य सहायता सुनिश्चित करने के लिये सक्रिय हैं.

संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक वैक्सीन एकजुटता पहल – कोवैक्स के ज़रिये वैक्सीन टीकाकरण को प्राथमिकता दी जा रही है. साथ ही, अन्य आम बीमारियों से बचाने वाली वैक्सीनों के टीकाकरण में फिर से जान फूँकने की भी कोशिश की जा रही है.

संयुक्त राष्ट्र के प्रयास जारी

क्रिस्टीन श्रेनर ने, म्याँमार में राजनैतिक संकट का शान्तिपूर्ण समाधान तलाश करने के लिये, अपनी सक्रियता जारी रखी हुई है, अलबत्ता, अभी उन्हें देश की यात्रा करने की अनुमति नहीं मिली है.

यूएन विशेष दूत ने सेना, नस्लीय सशस्त्र संगठनों, और अन्य पक्षों के साथ बातचीत करना जारी रखा है.

पिछले दो महीनों के दौरान, उन्होंने एक समावेशी सम्वाद के विचार को आगे बढ़ाने पर ज़ोर दिया है जिसमें चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया जाए – जिनमें महामारी का मुक़ाबला करने की कार्रवाई, मानवीय सहायता और रहिंज्या समुदाय से सम्बन्धित मुद्दे, शामिल हैं.

अन्तिम और सबसे बड़ा क्षेत्र होगा, मौजूदा राजनैतिक संकट की जड़ों पर ध्यान देना, जिसमें संघीय व्यवस्था, संविधान, विधि सुधार और चुनाव प्रणाली के इर्द-गिर्द सम्वाद केन्द्रित किया जाए.

उन्होंने, म्याँमार पर, एक अन्तरराष्ट्रीय पर्येवेक्षक समूह की तैनाती का भी प्रस्ताव रखा है. इस समूह के सदस्यों में संयुक्त राष्ट्र, योरोपीय संघ, और दक्षिण-पूर्वी एशियाई क्षेत्रीय संगठन आसियान के साथ-साथ, चीन, भारत, जापान, थाईलैण्ड, अमेरिका, ब्रिटेन, नॉर्वे, और स्विटज़रलैण्ड शामिल होंगे. 

विशेष दूत ने कहा कि  ज़्यादातर नस्लीय सशस्त्र समूहों ने इस विचार पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, और वो, सही मायनों में, सम्वाद के ज़रिये एक शान्तिपूर्ण समाधान चाहते हैं.