अफ़ग़ानिस्तान: भारी विस्थापन पर चिन्ता, मानवीय सहायता पहुँचाने में मुश्किलें
अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) के प्रमुख एंतोनियो वितॉरिनो ने, अफ़ग़ानिस्तान में विस्थापित आबादियों के साथ-साथ, अस्थिरता के कारण यहाँ-वहाँ जाने और ठहरने वाले लोगों; व अपने घरों को वापिस लौट रहे लोगों पर, संघर्ष के व्यापक असर पर चिन्ता व्यक्त की है.
शरणार्थियों व वापिस लौटने वाले नागरिकों के मामलों के निदेशालय की, सीमा निगरानी टीम के अनुसार, अफ़ग़ानिस्तान में हाल के महीनों के दौरान, बढ़े संघर्ष से उत्पन्न हालात के कारण, 50 लाख से ज़्यादा लोग, देश के भीतर ही विस्थापित हो गए हैं, जिनमें लगभग 3 लाख 59 हज़ार लोग, वर्ष 2021 के दौरान ही विस्थापित हुए हैं.
The escalation of conflict in Afghanistan is adding untold suffering to millions of already displaced persons.IOM is committed to stay and support the people of Afghanistan, providing emergency aid and protection assistance.Read @IOMchief's statement: https://t.co/uyp1hIRBtc pic.twitter.com/BgzlFFaKJp
UNmigration
बहुत सारे अफ़ग़ान नागरिक विदेशों से वापिस भी लौट रहे हैं जिनकी सही संख्या की जानकारी जुटाना सम्भव नहीं हो पा रहा है.
वर्ष 2021 के पहले सात महीनों के दौरान, लगभग 6 लाख 80 हज़ार अफ़ग़ान नागरिक, स्वदेश वापिस लौट चुके हैं.
प्रवासन संगठन के महानिदेशक एंतोनियो वितॉरिनो ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में पहले से ही, कोविड-19 महामारी की तीसरी लहर और भीषण सूखे ने अपना क़हर बरपाया हुआ है, देश की लगभग आधी आबादी को, तत्काल आपात सहायता की ज़रूरत है. और निकट भविष्य में, इन लोगों की मानवीय सहायता ज़रूरतें बढ़ने का भी अनुमान है.
उन्होंने मानवीय सहायता उपलब्ध कराने वाले कर्मचारियों और अन्य पक्षों को, निर्बाध तरीक़े से ये सहायता पहुँचाने के लिये अनुकूल हालात की इजाज़त दिये जाने पर ज़ोर दिया.
उन्होंने साथ ही कहा कि संघर्ष में शामिल सभी पक्षों और पड़ोसी देशों को, ये सुनिश्चित करने के लिये यथासम्भव प्रयास व उपाय करने होंगे कि सीमा चौकियाँ खुली रहें, और मानवीय सहायताकर्मी, सीमावर्ती इलाक़ों में रहने वाले कमज़ोर हालात वाले लोगों तक, सहायता पहुँचा सकें.
उजड़ते परिवार
अन्तरराष्ट्रीय रैडक्रॉस कमेटी ने भी सभी पक्षों से संयम बरते जाने की पुकार लगाते हुए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, नागरिकों व अस्पतालों जैसे अहम ढाँचे को और ज़्यादा सुरक्षा मुहैया कराए जाने का आग्रह किया है.
रैडक्रॉस समिति ने ऐसे लगभग 4 हज़ार 42 घायलों का, एक अगस्त के बाद से, समिति द्वारा समर्थित 15 स्वास्थ्य केन्द्रों पर इलाज कराया है, जो हथियारों से घायल हुए थे.
उससे पहले, जुलाई महीने में, लगभग 13 हज़ार मरीज़ों का इलाज किया गया था, अलबत्ता रैडक्रॉस की चिकित्सा सेवाओं पर, कर्मचारियों की कमी और हमलों का निशाना बनाए जाने के कारण, बहुत भारी बोझ है.
अफ़ग़ानिस्तान में, रैडक्रॉस समिति के प्रतिनिधिमण्डल के मुखिया, इलॉय फ़िलियन ने एक वक्तव्य में कहा है, “हम घर तबाह होते हुए और चिकित्सा स्टाफ़ व मरीज़ों के, भीषण जोखिम की चपेट में आते हुए देख रहे हैं, और अस्पताल, बिजली व पानी आपूर्ति के ढाँचे भी तबाह हो रहे हैं.”
“शहरी इलाक़ों में, विस्फोटक हथियारों के प्रयोग के कारण, आबादी पर बहुत विनाशकारी असर पड़ रहा है. बहुत से परिवारों के पास, अपनी सुरक्षा की ख़ातिर, अन्य इलाक़ों के लिये भाग जाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है. इस स्थिति को रोकना होगा.”
रैडक्रॉस समिति के अनुसार, अनेक विवादित शहरों में, बिजली आपूर्ति बाधित है और कुछ इलाक़ों में तो पानी आपूर्ति प्रणालियाँ भी मुश्किल से ही काम कर रही हैं.
बहुत से परिवार, ऐसे इलाक़े छोड़कर सुरक्षित स्थानों के लिये रवाना होने का प्रयास कर रहे हैं मगर, उन्हें कोई यातायात साधन उपलब्ध नहीं है, या फिर उनके पास, इसका ख़र्चा उठाने के लिये, वित्तीय साधन नहीं हैं.