समुद्री सुरक्षा के सामने पेश ख़तरों से निपटने के लिये वैश्विक कार्रवाई की दरकार

संयुक्त राष्ट्र की एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को, सुरक्षा परिषद को बताया है कि कोविड-19 के कारण, वर्ष 2020 की पहली छमाही में, कुल मिलाकर समुद्री यातायात में तो कमी दर्ज की गई है, मगर चोरी-चकारी व सशस्त्र लूटपाट के मामलों में लगभग 20 प्रतिशत का इज़ाफ़ा देखा गया है.
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश की चीफ़ ऑफ़ कैबिनेट मारिया लुइज़ा रिबीरो वियोत्ति ने, समुद्री व्यापारियों व यात्रियों की सुरक्षा में बढ़ोत्तरी के मुद्दे पर, सुरक्षा परिषद में हुई एक उच्चस्तरीय चर्चा को सम्बोधित करते हुए, इस मुद्दे पर ज़्यादा मज़बूत अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की ज़रूरत पर ज़ोर दिया.
🌍depends on safe oceans for lives, jobs & 80% of trade. 🙏 to #UNSC Pres of 🇮🇳 for this high level debate on maritime security. We need 4 actions to stop crime at sea: implement intl framework, build capacities, partnerships & SDG-centred crime prevention https://t.co/zw8Zk68Whu pic.twitter.com/wBYXm0dJwb
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उन्होंने बताया कि एशिया में, इस तरह की घटनाएँ लगभग दोगुनी हो गई हैं, जबकि पश्चिम अफ़्रीका, मलाका जलडमरूमध्य व सिंगापुर, और दक्षिण चीन सागर, सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्रों में रहे हैं.
गिनी खाड़ी, और हाल के समय में फ़ारस खाड़ी व अरब सागर में, असुरक्षा का अभूतपूर्व स्तर, विशेष रूप से चिन्ता का बड़ा कारण हैं.
सुश्री वियोत्ति ने सुरक्षा परिषद में राजदूतों से कहा, “समुद्री असुरक्षा के कारण, सहेल से उत्पन्न होने वाला आतंकवादी जोखिम भी बढ़ रहा है.”
उन्होंने कहा, “ये बढ़ते व आपस में गुँथे हुए ख़तरे, एक वैश्विक और संयोजित कार्रवाई की ज़रूरत पेश करते हैं."
"एक ऐसी कार्रवाई या प्रतिक्रिया जिसके ज़रिये इन चुनौतियों का सीधे तौर पर मुक़ाबला किया जाए और उनकी जड़ों में बैठे कारणों को ख़त्म किया जाए. इनमें निर्धनता, वैकल्पिक आजीविकाओं का अभाव, असुरक्षा, और कमज़ोर सरकारी ढाँचों की मौजूदगी शामिल हैं.”
सुश्री वियोत्ति ने, वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के ज़रिये, इस बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि समुद्री सुरक्षा, दरअसल विवादित सीमाओं और यातायात मार्गों के इर्द-गिर्द चुनौतियों के कारण भी कमज़ोर हो रही है.
उन्होंने कहा कि ये बैठक, एक अति महत्वपूर्ण मगर जटिल मुद्दे पर, वैश्विक कार्रवाई को आगे बढ़ाने का एक अच्छा अवसर है, क्योंकि सभी देश किसी ना किसी रूप में प्रभावित हैं, चाहें वो तटीय इलाक़ों में बसे हों या भूमिबद्ध हों.
सुरक्षा परिषद की इस खुली बैठक का आयोजन भारत ने किया जो, अगस्त महीने के लिये सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि समुद्र, सभी देशों के साझा साधन और अन्तरराष्ट्रीय व्यापार की जीवन रेखा हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर के तीन अरब से भी ज़्यादा लोग, अपनी आजीविकाओं व बेहतर रहन-सहन के लिये, समुद्रों पर निर्भर हैं, जिनमें ज़्यादा संख्या विकासशील देशों में बसती है.
नरेन्द्र मोदी ने कहा, “अलबत्ता, हमारी इस साझा समुद्री विरासत के सामने, बहुत से जोखिम मौजूद हैं."
"समुद्री मार्गों का दुरुपयोग, चोरी-लूटपाट और आतंकवाद के लिये किया जा रहा है. अनेक देशों के दरम्यान, समुद्री विवाद जारी हैं. साथ ही, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएँ भी, समुद्री दुनिया के लिये चुनौतियाँ हैं.”
संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स व अपराध निरोधक कार्यालय (UNODC) की कार्यकारी निदेशक ग़ादा वॉली ने बैठक को सम्बोधित करते हुए बताया कि वर्ष 2009 में, शुरुआती रूप में एक कार्यक्रम, सोमाली चोरी-चकारी जोखिम को रोकने के लिये चलाया गया था.
उस कार्यक्रम का दायरा अब काफ़ी व्यापक हो गया है और उसका बजट तीन लाख डॉलर से बढ़कर 23 करोड़ तक पहुँच गया है.
इस ‘वैश्विक समुद्री अपराध निरोधक कार्यक्रम’ में लगभग 170 कर्मचारी काम करते हैं जो 26 देशों में तैनात हैं.
ये कर्मचारी क्षमता निर्माण व क़ानूनी सुधारों, समुद्री गतिविधियों के अभ्यास व समुद्री प्रशिक्षण केन्द्रों के लिये सहायता व समर्थन मुहैया कराते हैं.
ग़ादा वॉली ने कहा, “इसके बावजूद, समुद्री सुरक्षा के लिये, चुनौतियों का बढ़ना जारी है, और हमारी कार्रवाई व निरोधक कार्यक्रम भी जारी रखने होंगे.”
यूएन एजेंसी की प्रमुख ने सुरक्षा परिषद को, सम्बन्धित क़ानूनी ढाँचा लागू करने, क्षमता निर्माण, साझेदारियाँ बढ़ाने और अपराध निरोधक कार्रवाई को लागू करने के लिये प्रोत्साहित किया. उन्होंने कमज़ोरियों को कम करने की तरफ़ ख़ास ज़ोर दिया.
ग़ादा वॉली ने कहा, “समुद्री चोर-लुटेरे, अपराधी और आतंकवादी, अपने लिये काम करने वालों की भर्ती करने के लिये, ग़रीबी और हताशा के हालात का शोषण करते हैं, अपने लिये समर्थन हासिल करते हैं और अपने लिये रहने के ठिकानों का इन्तज़ाम करते हैं.”
“इन ख़तरों का मुक़ाबला करने के लिये, हमें जागरूकता बढ़ानी होगी और लोगों को शिक्षित करना होगा, विशेष रूप से युवाओं को. उन्हें वैकल्पिक आजीविकाएँ मुहैया कराने के साथ-साथ, स्थानीय कारोबारों को समर्थन व सहायता भी उपलब्ध कराने होंगे.”