अफ़ग़ानिस्तान में बाल अधिकार हनन के मामलों में ‘स्तब्धकारी तेज़ी’

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने अफ़ग़ानिस्तान में बच्चों के अधिकार हनन के गम्भीर मामलों में आई तेज़ी पर स्तब्धता जताई है. ख़बरों के अनुसार देश में पिछले 72 घण्टों में 27 बच्चों की मौत हुई है और 136 घायल हुए हैं.
अफ़ग़ानिस्तान में यूनीसेफ़ के प्रतिनिधि हर्वे ल्यूडोविच डे लिस ने सोमवार को एक बयान जारी करके आगाह किया, “अत्याचार दिनों-दिन बढ़ते जा रहे हैं.
इनमें सभी बच्चे हैं, जिनके अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के अन्तर्गत रक्षा के अधिकार की युद्धरत पक्षों ने अवहेलना की है.”
The atrocities against children in Afghanistan grow higher by the day.They need protection and peace now.https://t.co/iS33BkB9SU
UNICEF
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय राहत मामलों के नवनियुक्त प्रमुख और आपात राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने भी अफ़ग़ानिस्तान में आम नागरिकों के विरुद्ध हुए हमलों की निन्दा की है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश और सुरक्षा परिषद के सदस्य देश भी, इससे पहले आम लोगों पर हो रहे हमलों की भर्त्सना कर चुके हैं.
यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने अपने बयान में कहा कि देश भर में लड़ाई रोके जाने की ज़रूरत है, जिसमें वर्ष 2009 से अब तक 40 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र ने हिंसा में आम लोगों के मारे जाने की घटनाओं को, वर्ष 2009 में ही दर्ज करना शुरू किया था.
बताया गया है कि पिछले एक महीने में ही हेलमन्द, कन्दाहार और हेरात प्रान्तों में अन्धाधुन्ध हमलों में एक हज़ार से अधिक लोग हताहत हुए हैं.
यूनीसेफ़ के मुताबिक़ पिछले 72 घण्टों में कन्दाहार प्रान्त में, 20 बच्चों की मौत हुई है और 130 से ज़्यादा घायल हुए हैं.
दो बच्चे ख़ोस्त प्रान्त में मारे गए हैं, जबकि तीन अन्य घायल हुए हैं, वहीं पाकतिया प्रान्त में पाँच बच्चों की मौत हुई है और तीन ज़ख़्मी हुए हैं.
इससे पहले, अफ़ग़ानिस्तान में यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि डेबराह लियोन्स ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए बताया था कि अफ़ग़ानिस्तान एक नए, पहले से कहीं ज़्यादा घातक और ज़्यादा विनाशकारी चरण में है.
उन्होंने इस क्रम में सुरक्षा परिषद से विनाश को टाले जाने के लिये कार्रवाई किये जाने की माग की थी.
यूएन मिशन की प्रमुख डेबराह लियोन्स ने सदस्य देशों से, क़तर में अगले हफ़्ते बातचीत होने, और सितम्बर में अफ़ग़ानिस्तान के मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की अगली बैठक होने से पहले, देश में बदतर होते हालात को सम्भालने के लिये अवसर का लाभ उठाने के लिये कहा है.
यूएन के आपात राहत समन्वयक मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सभी युद्धरत पक्षों को अन्तरराष्ट्रीय मानवीय व मानवाधिकार क़ानूनों के तहत उनके दायित्वों के प्रति ध्यान दिलाया है.
इसमें आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की ज़िम्मेदारी भी है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मानवीय राहत संगठनों को ज़रूरतमन्दों तक सहायता पहुँचाने के लिये रास्तों की आवस्यकता है.
मानवीय राहत संगठन सुरक्षित ढंग से आपात राहत पहुँचाने के लिये प्रतिबद्ध हैं, मगर उनके लिये बिना किसी अवरोध के, राहत मार्ग खुले रखे जाने होंगे.
साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना होगा कि राहत सेवाओं के दौरान किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाएगा.
यूएन के शीर्ष अधिकारी के मुताबिक़ सफल शान्ति वार्ता के ज़रिये ही अफ़ग़ानिस्तान का, सुरक्षित व टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है.
यूनीसेफ़ ने हिंसक संघर्ष में, हथियारबन्द गुटों द्वारा, बच्चों को सैनिकों के रूप में भर्ती किये जाने की ख़बरों पर गहरी चिन्ता जताई है.
यूएन एजेंसी के मुताबिक़, बहुत से लड़के व लड़कियाँ, अपने परिवारों व समुदायों के साथ हुई बर्बरताओं के कारण, गहरे सदमें में हैं.
यूनीसेफ़ ने कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में लड़ाई पर पूर्ण विराम के ज़रिये बच्चों की रक्षा की जा सकती है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने मध्यस्थता प्रयासों में शिरकत कर रहे सभी पक्षों से बच्चों की रक्षा के अन्तरराष्ट्रीय दायित्वों को सर्वोपरि रखने का आग्रह किया है.