अफ़ग़ानिस्तान में एक नया संकट टालने के लिये, सुरक्षा परिषद से तेज़ कार्रवाई की अपील
अफ़ग़ानिस्तान में, जबकि युद्ध, अब एक नए, ज़्यादा ख़तरनाक और विनाशकारी चरण में दाख़िल हुआ नज़र आ रहा है, देश में संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अधिकारी डेबराह लियोन्स ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद से, एक नई मुसीबत को टालने के लिये, तेज़ कार्रवाई करने की अपील की.
अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत और देश में यूएन सहायता मिशन की मुखिया डेबराह लियोन्स ने कहा कि हाल के महीनों में तालेबान को मिली बढ़त और प्रमुख शहरों पर उसके हमलों में, सीरिया संकट और बाल्कन युद्ध की झलक नज़र आती है.
UN envoy calls for end to attacks on #Afghanistan cities. More than 1,000 civilian casualties in #Herat #Kandahar & #Laskargah in last month alone since Taliban began assault against these cities– @DeborahLyonsUN informs Security Council. Read statement: https://t.co/2BtBHnjPGK pic.twitter.com/e0DMs1wPqm
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उन्होंने कहा, “अफ़ग़ानिस्तान अब एक ख़तरनाक मोड़ पर पहुँच गया है. निकट भविष्य में या तो गम्भीर शान्ति वार्ता नज़र आएगी या फिर एक दूसरे में उलझे, जटिल संकट."
"अगर ऐसा हुआ तो क्रूर, हिंसक और जानलेवा संघर्ष बढ़ेगा, जिसमें मानवीय स्थिति अत्यन्त गम्भीर होगी और बड़े पैमाने पर मानवाधिकार हनन होगा."
उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि इस स्थिति के गम्भीर परिणामों का असर, देश की सीमाओं से परे भी पहुँच सकता है.
उन्होंने सुरक्षा परिषद के सदस्य राजदूतों से, इस मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए अफ़ग़ानिस्तान को, एक और मुसीबत में धँसने से बचाने के लिये, पक्के इरादे दिखाने का आग्रह किया. अगर ये मौक़ा हाथ से निकला तो अफ़ग़ानिस्तान में, अभी तक की इस सदी की, गम्भीर स्थिति देखने को मिल सकती है.
एक अलग तरह का युद्ध
तालेबान ने, देश से विदेशी सेनाओं के निकल जाने के बाद, अनेक ग्रामीण इलाक़ों पर क़ब्ज़ा कर लिया है और अब प्रमुख शहरों की तरफ़ बढ़ रहा है. कन्धाहार, हेरात और लशकर गाह प्रान्तीय राजधानियाँ, बहुत दबाव में हैं.
डेबराह लियोन्स ने बताया कि इस संकट का इनसानी नुक़सान बहुत विनाशकारी है. इन इलाक़ों में, पिछले केवल एक महीने के दौरान, 1000 से भी ज़्यादा लोग हताहत हो चुके हैं, जबकि बहुत से घरों, अस्पतालों, पुलों और ढाँचे को भारी नुक़सान पहुँचा है.
दक्षिण में, हेलमन्द प्रान्त की राजधानी लश्कर गाह में भीषण लड़ाई हुई है, जहाँ पिछले 10 दिनों के दौरान, कम से कम 104 लोग मारे गए हैं और 403 घायल हुए हैं.
“ये एक अलग तरह का युद्ध है, जिसमें हाल के सीरिया युद्ध या कुछ अतीत में जाएँ तो, सरायेवो संकट की झलक नज़र आती है. शहरी इलाक़ों पर हमले करने का मक़सद, बड़े पैमाने पर जान-माल का भारी नुक़सान करने के साथ-साथ लोगों को भारी तकलीफ़ों में डालना भी है.”
विदेशी लड़ाकों से समर्थन
संयुक्त राष्ट्र में अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत ग़ुलाम ए इसाकज़ई ने कहा कि तालेबान केवल अपने दम पर अपनी गतिविधियाँ नहीं चला रहे हैं.
उन्होंने सुरक्षा परिषद को बताया कि देश में, 10 हज़ार से ज़्यादा विदेशी लड़ाके मौजूद हैं, जो कम से कम 20 गुटों से सम्बन्ध रखते हैं, जिनमें अल क़ायदा और आइसिल शामिल हैं.
उन्होंने अफ़ग़ान विदेश मंत्री का वक्तव्य सुरक्षा परिषद में पेश करते हुए कहा, “ऐसे ठोस सबूत मौजूद हैं जिनसे मालूम होता है कि पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक आन्दोलन और उज़बेकिस्तान इस्लामिक आन्दोलन ने आइसिल के साथ वफ़ादारी घोषित की है और उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान के फ़रयाब, जोव्ज़जान, तकहार और बदख़शाँ प्रान्तों में तालेबान के समर्थन में लड़ाई में शिरकत की है. इन गुटों के लड़ाके अपने परिवारों के साथ, तालेबान के नियंत्रण वाले इलाक़ों में मौजूद हैं.”
“तालेबान और इन अन्तर क्षेत्रीय आतंकवादी गुटों के बीच सम्बन्ध हाल के समय में, पहले से कहीं बहुत ज़्यादा मज़बूत नज़र आता है.”