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सीरिया: दक्षिणी इलाक़े में, आम लोगों की स्थिति, 'युद्ध बन्धक जैसी'

सीरिया के दरा इलाक़े में बढ़ती हिंसा के बीच, परिवार सुरक्षा की ख़ातिर वहाँ से भाग रहे हैं और दक्षिणी-पश्चिमी सीमावर्ती इलाक़े में शिविर बनाए जा रहे हैं.
UNICEF/Alaa Al-Faqir
सीरिया के दरा इलाक़े में बढ़ती हिंसा के बीच, परिवार सुरक्षा की ख़ातिर वहाँ से भाग रहे हैं और दक्षिणी-पश्चिमी सीमावर्ती इलाक़े में शिविर बनाए जा रहे हैं.

सीरिया: दक्षिणी इलाक़े में, आम लोगों की स्थिति, 'युद्ध बन्धक जैसी'

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष मानवाधिकार पदाधिकारी मिशेल बाशेलेट ने सीरिया में आम लोगों की मुश्किलों व तकलीफ़ों के बारे में गुरूवार को एक बार फिर ख़तरे की घण्टी बजाई है क्योंकि देश के दक्षिणी शहर दरा के भीतर व आसपास, सरकारी सेनाओं व विपक्षी सशस्त्र गुटों के बीच गहन लड़ाई और अन्धाधुन्ध गोलाबारी ने रिहायशी इलाक़ों को एक तरह से बन्धक सा बना दिया है.

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने कहा है, “दरा अल बलाड़ और अन्य पड़ोसी इलाक़ों में दर्दनाक हालात की तकलीफ़ देह तस्वीर से मालूम होता है कि आम लोगों के लिये वहाँ कितना गहरा जोखिम है, वो बार-बार लड़ाई व हिंसा की चपेट में आने के लिये घिरे हुए हैं, और दरअसल बन्धक बने हुए हैं.”

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उन्होंने कहा कि शहर से बाहर निकलने के एक मात्र रास्ते पर सरकार का नियंत्रण है, सड़कों पर टैंक चलते नज़र आते हैं और लोगों को नाका चौकियों व आवाजाही पर प्रतिबन्धों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि उनकी सम्पत्तियाँ या तो ज़ब्त कर ली गई हैं या चोरी हो गई हैं.

सैन्य हमले

जुलाई के अन्त में, सरकारी सेनाओं और सशस्त्र गुटों के बीच, लड़ाई व हिंसा तेज़ होने के बाद, गोलाबारी व टैंकों के हमलों ने, आवासीय इलाक़ों को ध्वस्त करके रख दिया है.

यह लड़ाई तेज़ होने से पहले ही कई सप्ताह तक तनाव में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, जब सरकार ने दरा अल बलाड़ बस्ती और अन्य इलाक़ों से जाने वाले और वहाँ आने वाले रास्तों पर कड़े प्रतिबन्ध लगा दिये थे. 

इस इलाक़े पर विपक्षी गुटों का क़ब्ज़ा रहा था, और सरकार ने विपक्षी सशस्त्र गुटों पर समर्पण, अपने हथियार सौंपने और उत्तरी क्षेत्र को चले जाने के लिये दबाव बनाने के इरादे से, ये प्रतिबन्ध लगाए.

सरकार सेनाओं ने, दरा अल बलाड़ में अपनी सैन्य मौजदगी मज़बूत करने के उद्देश्य से, रिहायशी इलाक़ों में टैंक खड़े कर दिये हैं.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने कहा, “हम संघर्ष से सम्बद्ध सभी पक्षों को, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून और अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून के तहत उनकी ज़िम्मेदारियों की याद दिलाते हैं, ख़ासतौर से आम लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के सम्बन्ध में.”

“आवासीय इलाक़ों में टैंकों की मौजदगी और एक घर में नाका चौकी स्थापित किये जाने से साफ़ झलकता है कि अनिवार्य ऐहतियात नहीं बरती गई है.”

जवाबी हमले

विपक्षी सशस्त्र गुटों के लड़ाकों ने दरा गवर्नरेट के अनेक ग्रामीण इलाक़ों में, जवाबी हमले किये हैं, और अनेक सरकारी सैनिकों के पकड़े जाने की भी ख़बरें हैं.

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय (OHCHR) के अनुसार, वर्ष 2018 के बाद, ये सबसे गम्भीर लड़ाई है जब रूस की मध्यस्थता से कराए गए सुलह-सफ़ाई के समझौतों के बाद, सरकार सेनाओं ने दरा पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था.

हताहतों की बढ़ती संख्या

इस बीच, पिछले सप्ताह हिंसा में बढ़ोत्तरी होने से, सरकारी सेनाओं और सशस्त्र गुटों द्वारा किये गए ज़मीनी हमलों में, कम से कम आठ लोगों की मौत होने के मामले दर्ज किये गए हैं.

मारे गए लोगों में एक ही परिवार के पाँच सदस्य भी हैं जब, दरा के पश्चिमी ग्रामीण इलाक़े में स्थित, अल यदूदा नामक क़स्बे में, उनका घर हमलों की चपेट में आ गया.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि अज्ञात सशस्त्र लड़ाकों द्वारा दागा गया कम से कम एक मोर्टार गोला, दरा अल महत्ता स्थित दरा राष्ट्रीय अस्पताल को जाकर लगा, जिससे अस्पताल को ख़ासा नुक़सान पहुँचा है.

इस लड़ाई में, दोनों पक्ष एक दूसरे को ज़्यादा से ज़्यादा नुक़सान पहुँचाने की होड़ में हैं और स्थानीय इलाक़ों में नियंत्रण के समीकरण भी तेज़ी से बदल रहे हैं.

ऐसे हालात में, यूएन मानवाधिकार कार्यालय ने 31 जुलाई के बाद से, कम से कम 101, आम लोगों के मारे जाने के मामले दर्ज किये हैं.

यूएन मानवाधिकार कार्यालय का कहना है कि 28 जुलाई के बाद से, दरा अल बलाड़ इलाक़े से, कम से कम 18 हज़ार आम लोग, सुरक्षा की ख़ातिर अन्य स्थानों को चले गए हैं, इनमें से बहुत से लोग दरा शहर व आसपास के इलाक़ों में पहुँचे हैं. 

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा है, “दरा में लोगों की तकलीफ़ें कम करने के लिये, तत्काल युद्धविराम लागू किये जाने की ज़रूरत है.”

“हम संघर्ष से सम्बन्धित सभी पक्षों से ये आग्रह भी करते हैं कि वो मानवीय सहायता, निर्बाध तरीक़े से पहुँचाया जाना, आसान बनाएँ.”