बेरूत धमाकों के एक वर्ष बाद भी कठिनाई में जीवन गुज़ार रहे परिवार - यूनीसेफ़

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने मंगलवार को एक सर्वेक्षण के नतीजे प्रकाशित किये हैं, जिनके मुताबिक़ लेबनान की राजधानी बेरूत के बन्दरगाह पर 4 अगस्त 2020 को हुए विनाशकारी धमाकों के एक वर्ष बाद, 98 फ़ीसदी परिवार ज़रूरतमन्द हालात में जीवन गुज़ार रहे हैं.
इस त्वरित समीक्षा में बच्चों को पहुँचे गहरे सदमे की गम्भीरता और परिवारों द्वारा अनुभव की जा रही विशाल ज़रूरतों को रेखांकित किया गया है.
One year on from the #BeirutBlast, 98 per cent of families affected are still in need.@UNICEFLebanon is calling for urgent action.https://t.co/qT6iWeiMH0
UNICEF
बदहाल अर्थव्यवस्था, राजनैतिक अस्थिरता और कोविड-19 महामारी की वजह से हालात और भी ज़्यादा विकट हो गए हैं.
जुलाई में कराया गया यह सर्वेक्षण, एक हज़ार 187 घरों के साथ टेलिफ़ोन पर किये गए इण्टरव्यू पर आधारित हैं.
लेबनान में संयुक्त राष्ट्र बाल कोष के प्रतिनिधि यूकी मोकुओ ने कहा, “त्रासदीपूर्ण घटनाओं के एक वर्ष बाद भी, बच्चों की ज़िन्दगी पर गहरा असर बरक़रार है. हमें अभिभावकों ने यही बताया है.”
“वे परिवार एक बेहद ख़राब समय में, धमाकों के बाद की स्थिति में उबरने के लिये संघर्ष कर रहे हैं – एक विनाशकारी आर्थिक संकट के दौरान और एक बड़ी महामारी के दौरान.”
बेरूत में 4 अगस्त 2020 को बन्दरगाह पर हुए धमाके में बड़ी तबाही हुई थी – 200 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई, जिनमें छह बच्चे थे. इस घटना में साढ़े छह हज़ार से ज़्यादा लोग घायल हुए जिनमें एक हज़ार से ज़्यादा बच्चे हैं.
यूनीसेफ़ के मुताबिक़ हर दस में से सात घरों ने, इस घटना के बाद बुनियादी सहायता का आग्रह किया है – मुख्य रूप से नक़दी सहायता और भोजन के रूप में.
इनमें से लगभग सभी लोगों को आज भी सहायता की आवश्यकता है.
18 साल से कम उम्र के बच्चों वाले एक-तिहाई परिवारों के मुताबिक़, उनके घरों में कम से कम एक बच्चे को अब भी मनोवैज्ञानिक तनाव से जूझना पड़ रहा है.वयस्कों में, ऐसे मामलों की संख्या इसकी लगभग आधी है.
सर्वेक्षण के अनुसार, धमाकों के बाद लगभग सभी परिवारों का कहना था कि उनके घरों को मरम्मत की आवश्यकता है. इसके एक वर्ष बाद भी क़रीब आधी संख्या में परिवारों को इसकी ज़रूरत है.
हर 10 में से चार घरों का कहना था कि उनकी जल आपूर्ति व्यवस्था पर असर हुआ है. एक-चौथाई घरों के मुताबिक़ उनके लिये हालात जस के तस हैं.
मध्य पूर्व और उत्तर अफ़्रीका के लिये यूनीसेफ़ के क्षेत्रीय निदेशक टेड चायबान ने बताया कि विस्फोटों के बाद से ही लेबनान तिहरे संकट से जूझ रहा है: आर्थिक, राजनैतिक और कोविड-19 महामारी.
“अगर बदलाव, पुनर्बहाली और जवाबदेही अभी नहीं हुए तो फिर शायद कभी नहीं हो पाएंगे, जो कि देश को रसातल में और वापस ना लौट पाने के कगार पर ले जाएंगे.”
बेरूत में इस घटना के एक वर्ष पूरे होने के बाद, यूनीसेफ़ कार्रवाई किये जाने की मांग कर रहा है और इस क्रम में बच्चों को सर्वोपरि प्राथमिकता देनी होगी, व उनके बुनियादी अधिकारों का सम्मान किया जाना होगा.
लेबनान के नेताओं ने भी अपने राजनैतिक मतभेद भूलते हुए, देश को पुनर्बहाली के रास्ते पर ले जाने वाली एक सरकार के गठन के लिये एकजुट होने की पुकार लगाई है.
स्थानीय प्रशासन से धमाके से प्रभावित परिवारों के लिये, न्याय सुनिश्चित करने और दोषियों की जवाबदेही तय किये जाने का आग्रह किया गया है.
यूनीसेफ़ का कहना है कि बेहतर शासन व्यवस्था और उन सार्वजनिक प्रणाली के ज़रिये ही यह सम्भव बनाया जा सकता है, जो कि बदतर झटकों व संकटों को सहन करने में सक्षम हों.
बताया गया है कि लेबनान में 75 फ़ीसदी घरों में जल आपूर्ति व्यवस्था के ढह जाने का संकट गहरा रहा है.
मौजूदा हालात के मद्देनज़र, लेबनान प्रशासन से एक टिकाऊ राष्ट्रीय सामाजिक सहायता व्यवस्था के निर्माण का आग्रह किया गया है ताकि ज़रूरतमन्द परिवारों को नक़दी सहायता दी जा सके.
यूएन एजेंसी ने विस्फोट के कारणों की जाँच-पड़ताल, दोषियों को न्याय के कटघरे तक लाने और प्रभावित परिवारों को न्याय दिलाने के लिये एक पारदर्शी और विश्वसनीय जाँच कराए जाने की पुकार लगाई है.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने भी विस्फोटों के बाद, लेबनान में गहराते संकट के लिये जवाबदेही तय किये जाने का आग्रह किया है.
यूएन मानवाधिकार एजेंसी प्रमुख की प्रवक्ता मार्ता हरताडो ने मंगलवार को जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि घटना के बाद शुरुआत में राष्ट्रीय एकजुटता की एक शक्तिशाली भावना थी, और समाज के सभी वर्ग एक साथ आए थे.
सरकार ने भी न्यायिक प्रक्रिया शुरू की थी. उन्होंने कहा कि मगर 12 महीनों बाद भी, पीड़ित और उनके प्रियजन न्याय व सच्चाई के लिये लड़ रहे हैं.
“ऐसा प्रतीत होता है कि पारदर्शिता व जवाबदेही के अभाव की चिन्ताओं के बीच जाँच अब ठहर सी गई है.”
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की एक वरिष्ठ अधिकारी स्टेफ़ानिया जियानिनी इस सप्ताह, घटना के एक वर्ष पूरे होने पर बेरूत में होंगी.
यूनेस्को में शिक्षा के लिये सहायक महानिदेशक ने मंगलवार को अपनी तीन दिवसीय यात्रा की शुरुआत की है ताकि देश में शिक्षा प्रणाली की पुनर्बहाली को सहारा देने के लिये प्रयासों को मज़बूती दी जा सके.
इन धमाकों में 85 हज़ार से अधिक छात्र प्रभावित हुए हैं और 226 स्कूल, 20 प्रशिक्षण केन्द्र, और 32 युनिवर्सिटी परिसर क्षतिग्रस्त हुए हैं.
अपनी यात्रा के दौरान यूनेस्को की वरिष्ठ अधिकारी उन शिक्षा प्रतिष्ठानों का उदघाटन करेंगी, जिनके पुनर्निर्माण में संगठन ने मदद की है.
इस बीच, विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने चेतावनी जारी की है कि विनाशकारी घटना के एक वर्ष बाद, लेबनान में अनेक परिवारों के लिये गुज़र-बसर करना कठिन हो रहा है.
यूएन एजेंसी के प्रवक्ता टॉमसन फिरी ने कहा कि घटना के एक साल बाद, देश की मुद्रा में भारी गिरावट आई है और महंगाई की वजह से अधिकांश आबादी के लिये खाद्य वस्तुएँ पहुँच से दूर हो रही हैं.
जून में, यूएन एजेंसी ने लेबनान के क़रीब चार लाख निर्बलों, नौ लाख 87 हज़ार सीरियाई शरणार्थियों और अन्य राष्ट्रीयताओं के 21 हज़ार से अधिक शरणार्थियों की सहायता की है.