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संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) लेबनान में पुनर्निर्माण कार्यक्रमों को सहायता व समर्थन दे रहा है. इसमें सौर ऊर्जा परियोजनाएँ भी शामिल हैं.

लेबनान: बेरूत विस्फोट का एक साल, तबाही बढ़ती ही गई है

UNDP Lebanon
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) लेबनान में पुनर्निर्माण कार्यक्रमों को सहायता व समर्थन दे रहा है. इसमें सौर ऊर्जा परियोजनाएँ भी शामिल हैं.

लेबनान: बेरूत विस्फोट का एक साल, तबाही बढ़ती ही गई है

शान्ति और सुरक्षा

लेबनान की राजधानी बेरूत के एक भण्डार ग्रह में, 4 अगस्त  2020 को हुए एक विनाशकारी विस्फोट ने, शहर के बीचों-बीच का एक ख़ासा बड़ा इलाक़ा तबाह कर दिया था. प्रभावित इलाक़ा ऐसा नज़र आ रहा था जैसे कि वहाँ कोई युद्ध लड़ा गया हो. उस विस्फोट के दिन, और बाद के दिनों में 200 से ज़्यादा लोग मारे गए थे और हज़ारों अन्य घायल हुए. उस विस्फोट में, बहुत से लोगों की सम्पत्तियाँ व आजीविकाएँ पूरी तरह तबाह हो गई थीं.

लेबनान में संयुक्त राष्ट्र की रैज़िडैण्ट व मानवीय सहायता संयोजक (कोऑर्डिनेटर) आरसी - नजत रोश्दी ने यूएन न्यूज़ को बताया कि देश ने पिछले 12 महीनों के दौरान किस तरह इस मुसीबत का सामना किया है और भविष्य कैसा नज़र आ रहा है...

“लेबनान में, यूएन रैज़िडैण्ट व मानवीय सहायता संयोजक की नियुक्ति पर, पद सम्भाले हुए, मुझे केवल तीन दिन हुए थे कि भीषण विस्फोट ने बेरूत बन्दरगाह को तार-तार करके रख दिया.

लेबनान में यूएन रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर नजत रोश्दी (केन्द्र में बैठी हुईं), बेरूत बन्दरगाह विस्फोट में तबाह हुई एक बस्ती में महिलाओं के साथ बातचीत करते हुए.
UN Lebanon/Nayla Hajjar
लेबनान में यूएन रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर नजत रोश्दी (केन्द्र में बैठी हुईं), बेरूत बन्दरगाह विस्फोट में तबाह हुई एक बस्ती में महिलाओं के साथ बातचीत करते हुए.

उस विस्फोट की तबाही की गूंज एक वर्ष बाद भी सुनाई दे रही है. देश, उस तबाही के साए से उबरने के लिये जी-तोड़ मेहनत कर रहा है जिसने हर एक व्यक्ति को प्रभावित किया है.

4 अगस्त के उस विस्फोट ने, देश में तकलीफ़ों की शिद्दत और बढ़ा दी जो पहले ही सिविल अशान्ति, आर्थिक और वित्तीय कठिनाइयों, बढ़ती निर्धनता, और बेरोज़्गारी के हालात से जूझता रहा था. इस स्थिति को, राजनैतिक गतिरोध व कोविड-19 महामारी के बढ़ते मामलों ने और भी जटिल बना दिया है.

उस विस्फोट के एक साल बाद भी गहरी होती तकलीफ़ों और पहाड़ की तरह बढ़ती हताशा का माहौल देखा जा सकता है. मैंने लेबनान के ऐसे बहुत से लोगों से मुलाक़ातें की हैं जिनकी आवाज़ों में ऐसे बहुत से लोगों के नुक़सान और मुसीबत की झलक मिलती है जो देश में भुगत रहे हैं.

59 वर्षीय यूसुफ़ एक बेघर व्यक्ति हैं जिनका ख़्वाब है कि उनके सिर पर एक छत के साथ-साथ ऐसा दरवाज़ा मयस्सर हो जाए, जिसे वो सोते समय बन्द कर सकें. 15 वर्षीय कैथी का सपना, एक मोबाइल फ़ोन पा लेने का है ताकि वो ऑनलाइन माध्यमों से अपनी शिक्षा हासिल कर सकें.

या फिर 50 वर्षीय एक शिक्षिका मिरना की बात करें तो वो ख़ुद आजीविका अर्जित करके अपने परिवार का भरण-पोषण करती थीं, लेकिन अब दिन के भोजन की केवल एक ख़ुराक हीजुटा पाती हैं, और मदद पर निर्भर रहना उनकी मजबूरी बन गई है. वो अपनी नम आँखों से मुझे बताती हैं, “मेरी गरिमा ही तार-तार कर हो गई है”. 

दिन ब दिन बिगड़ती स्थिति

मैंने ये स्पष्ट रूप से देखा है कि लेबनान में साधारण लोगों के लिये स्थिति दिन ब दिन बदतर होती जा रही है. फ़िलहाल, संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि लेबनान में 10 लाख से भी ज़्यादा लोगों को, अपनी दैनिक ज़रूरतें पूरी करने के लिये सहायता की ज़रूरत है. इनमें भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा और पानी की ज़रूरतें शामिल हैं.

लेबनान की कुल आबादी लगभग 80 लाख है जिसमें क़रीब 20 लाख शरणार्थी व आप्रवासी हैं. इसके अतिरिक्त, 10 में से 9 शरणार्थी, अत्यन्त निर्धनता में जीवन जी रहे हैं. ये संख्या, केवल एक वर्ष पहले की तुलना में 55 प्रतिशत ज़्यादा है. लेबनान में लगभग आधे आप्रवासियों का कहना है कि वो अपनी भोजन ज़रूरतें पूरी नहीं कर सकते हैं और लगभग इतनी ही संख्या में आप्रवासी बेरोज़गार हैं. इनमें से अधिकतर के रोज़गार वर्ष 2020 की अन्तिम तिमाही में ख़त्म हुए हैं.

यूएन जनसंख्या कोष (UNFPA) ने बेरूत में विस्फोट के कारण हुई तबाही के बाद, महिलाओं को गरिमा किटें वितरित की हैं.
UNFPA
यूएन जनसंख्या कोष (UNFPA) ने बेरूत में विस्फोट के कारण हुई तबाही के बाद, महिलाओं को गरिमा किटें वितरित की हैं.

लेबनान कुछ ही समय पहले तक, एक उच्च मध्यम आय वाला देश रहा है, लेकिन अब आधुनिक इतिहास में, शायद समय के सबसे बुरे वित्तीय और आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. देश की आधी से ज़्यादा आबादी ग़रीबी में जीवन जी रही है. ये चौंकाने वाली बात नहीं कि बहुत से लोग, अपने देश के नेतृत्वकर्ताओं और संस्थानों में भरोसा खो चुके हैं.

एक उज्जवल भविष्य के लिये समर्थन

इस निराश दृश्य के बावजूद, मेरा विश्वास है, और बहुत से लेबनानियों का भी, कि देश में, एक उज्जवल भविष्य के लिये मज़बूत सम्भावनाएँ मौजूद हैं.
विस्फोट के तुरन्त बाद के हालात में, संयुक्त राष्ट्र और उसकी साझीदार एजेंसियों ने, लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने के लिये तत्काल व निर्णायक सहायता कार्रवाई की, और प्रभावितों तक आपदा राहत पहुँचाई. संयुक्त राष्ट्र की संयोजित मदद अपील पर, क़रीब 16 करोड़ 70 लाख डॉलर की धनराशि एकत्र हुई, जोकि वर्ष 2020 के दौरान ऐसी प्रभावशाली दान अपीलों में शामिल रही जिन पर बहुत तेज़ी से धन इकट्ठा हुआ.

यूएन के अनुमानों के अनुसार, 10 लाख से भी ज़्यादा लेबनान वासियों को, अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिये, सहायता की ज़रूरत है.
UNDP Lebanon
यूएन के अनुमानों के अनुसार, 10 लाख से भी ज़्यादा लेबनान वासियों को, अपनी बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने के लिये, सहायता की ज़रूरत है.

अस्पतालों व स्वास्थ्य देखभाल केन्द्रों को, बुनियादी सेवाएँ जारी रखने के लिये सहायता मुहैया कराई गई, जिनमें कोविड-19 सम्बन्धी सेवाएँ भी शामिल थीं. आम आबादी को भी आश्रय के साथ-साथ तत्काल ज़रूरतों व संरक्षा और सुरक्षा सम्बन्धी सहायता भी मुहैया कराई गई.

संयुक्त राष्ट्र ने, योरोपीय संघ और विश्व बैंक के साथ मिलकर, और सम्बन्धित साझीदारों के साथ विचार-विमर्श करके, सुधार, पुनर्बहाली और पुनर्निर्माण ढाँचा तैयार किया जिसे 3RF नाम दिया गया.

इस सबके बावजूद, लेबनान की पुनर्बहाली, सुधारों से मेल खानी चाहिये. आपात सहायता, कोई समाधान नहीं है. ये खेदजनक है कि लेबनान में एक नई सरकार के गठन के बारे में, वहाँ के नेतृत्वकर्ताओं के बीच, पिछले 10 महीनों के दौरान, कोई समझौता नहीं हो सका है, जिसके कारण, ढाँचागत सुधारों में देरी हो रही है, जबकि देश की अनगिनत चुनौतियों का सामना करने के लिये इन सुधारों की तत्काल ज़रूरत है. 

लेबनान के साथ यूएन एकजुटता

लेबनान में मेरे पहुँचने के एक वर्ष के दौरान मैने देखा है कि विस्फोटों के बाद के हालात में, स्थिति और ज़्यादा ख़राब होती गई है. संयुक्त राष्ट्र एक 12 वर्षीय आपदाजा राहत योजना तैयार कर रहा है, जिनमें सबसे वंचित हालात में रहने वाले देशवासियों की तत्काल मानवीय ज़रूरतों को पूरा करना प्राथमिकता पर रखा जा रहा है.

यह कोई समाधान नहीं है. यह संकट की जड़ में बैठे मुद्दों का हल निकालने के लिये, समाधानों की तरफ़ एक कड़ी जोड़ने जैसा है. ये समाधान, ढाँचागत सुधारों व सरकार द्वारा चलाए जाने वाले व्यापक और टिकाऊ विकास कार्यक्रमों के ज़रिये ही सम्भव होंगे.

बेरूत विस्फोट के कुछ दिनों बाद, एक यूनीसेफ़ डॉक्टर, एक बच्चे का इलाज करते हुए.
© UNICEF
बेरूत विस्फोट के कुछ दिनों बाद, एक यूनीसेफ़ डॉक्टर, एक बच्चे का इलाज करते हुए.

लेबनान के युवाओं की ऊर्जा, एकजुटता और साहस देखकर में प्रेरित महसूस करती हूँ. संयुक्त राष्ट्र, लेबनान के साथ, पुनर्बहाली और अन्ततः अपनी क्षमताओं व सम्भावनाओं का भरपूर लाभ उठाने के रास्ते पर, मुस्तैदी से खड़ा है.

इसके साथ ही, ये कहना भी महत्वपूर्ण होगा कि सबसे बड़ी सम्पदा मानव संसाधन है और लेबनान अपने देश की महिलाओं व पुरुषों पर भरोसा कर सकता है. ऐसे लोग, जिन्होंने इन ख़राब हालात के बावजूद, देश नहीं छोड़ने का फ़ैसला किया, जिन्होंने अपनी रचनात्मकता, अपनी उद्यमशीलता का प्रयोग किया और एक बेहतर देश के निर्माण के लिये संकल्पबद्ध रहे. ये लोग, लेबनान के लिये, सर्वश्रेष्ठ आशा की प्रतिमूर्ति हैं. 

यूएन रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर (RC)

  • यूएन रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर, जिन्हें RC भी कहा जाता है, किसी देश में, संयुक्त राष्ट्र विकास व्यवस्था के शीर्षतम अधिकारी होते हैं.
  • यूएन न्यूज़ की इस सिरीज़ में, रैज़िडैण्ट कोऑर्डिनेटर्स  को, उन देशों में, संयुक्त राष्ट्र की नज़र में महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखने के लिये आमंत्रित किया जाता है, जहाँ वो सेवारत हैं.