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खाद्य प्रणालियों में बदलाव, कोविड संकट में भी आशा की किरण

बुर्किना फ़ासो में एक किसान, अपने खेत में काम करते हुए.
© FAO/Alessandra Benedetti
बुर्किना फ़ासो में एक किसान, अपने खेत में काम करते हुए.

खाद्य प्रणालियों में बदलाव, कोविड संकट में भी आशा की किरण

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा है कि एक टिकाऊ और समृद्ध ग्रह तभी हासिल हो सकता है जब हम सभी एक साथ मिलकर और एकजुटता के साथ काम करें. उन्होंने एक प्रमुख वैश्विक खाद्य सुरक्षा सम्मेलन की समाप्ति के अवसर पर ये बात कही है.

यूएन उप प्रमुख आमिना जे मोहम्मद ने, इटली के रोम शहर में, खाद्य सम्मेलन की तैयारी के लिये हुए एक उप सम्मेलन की समाप्ति पर, बुधवार को प्रेस वार्ता में ये विचार व्यक्त किये.

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आशा की किरण

इस उप सम्मेलन में 108 देशों के 500 से भी ज़्यादा प्रतिनिधियों ने निजी रूप में शिरकत की, जबकि हज़ारों अन्य ने वर्चुअल व डिजिटल माध्यमों से इसमें भाग लिया. 

प्रतिभागियों में सरकारी अधिकारी, छोटे पैमाने के किसान, खाद्य उत्पादक, आदिवासी जन, महिलाएँ और युवजन शामिल थे.

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव आमिना जे मोहम्मद ने कहा, “इस बैठक ने हमें दिखा दिया है कि कोविड-19 संकट में भी एक आशा की किरण है."

"खाद्य प्रणालियाँ, परिवर्तनकारी निवेशों के लिये एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र है जिनके माध्यम से ऐसे बदलाव के रास्ते खुल सकते हैं जिनकी हमें आवश्यकता है.”

उन्होंने कहा, “केवल एक साथ मिलकर काम करके – एक जनसमूह के रूप में, एकजुटता के साथ – हम, सभी के लिये एक टिकाऊ व ख़ुशहाल ग्रह हासिल कर सकते हैं.”

संयुक्त राष्ट्र का खाद्य प्रणाली सम्मेलन सितम्बर में होना प्रस्तावित है और उसी की तैयारी के लिये, रोम में ये उप सम्मेलन आयोजित किया गया.

यूएन खाद्य व्यवस्था सम्मेलन में तमाम देश, दुनिया भर में खाद्य उत्पादन के तरीक़ों, उपभोग व भोजन के बारे में सोच में बदलाव लाने की ज़रूरत पर ज़ोर देंगे.

उर्वरक भूमि तैयार

यह खाद्य सम्मेलन टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये कार्रवाई दशक का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य, तमाम मानव जाति व पृथ्वी ग्रह के लिये, एक ज़्यादा न्यायसंगत भविष्य सुनिश्चित करना है.

आमिना जे मोहम्मद ने कहा कि इस उप सम्मेलन या तैयारी सम्मेलन ने, सितम्बर में होने वाले पूर्ण सम्मेलन में से मज़बूत नतीजे सामने आने के लिये, एक उर्वरक ज़मीन तैयार कर दी है.

उन्होंने कहा, “हम अपने इस विश्वास में एकजुट हैं कि खाद्य प्रणालियों में, तमाम लोगों, ग्रह और ख़ुशहाली के लिये, सभी लक्ष्य हासिल करने की सम्भावना व क्षमता निहित है. इस भरोसे के पीछे भी असीम ऊर्जा लगी हुई है.”

“इस बारे में एक आम समझ मौजूद है कि हमारी चुनौतियाँ तात्कालिक व अति महत्वपूर्ण हैं और उनसे, उसी स्तर पर निपटे जाने की ज़रूरत है. साथ ही, सरकार के मंत्रालयों और विषयगत क्षेत्रों व समुदायों के बीच मौजूद मतभेदों के अन्तर को ख़त्म करने की भी ज़ोरदार इच्छा नज़र आती है.”

उम्मीदें व समाधान

यूएन उप प्रमुख ने इस उप सम्मेलन के समापन समारोह में टिप्पणी करते हुए, इसे कोविड-19 महामारी के दौर में, उम्मीद की एक वजह क़रार दिया.

स्वास्थ्य संकट ने, लोगों को निसन्देह भौतिक रूप से दूर-दूर रखा है, मगर पूरी प्रक्रिया ने, दरअसल, इनसानों को एक दूसरे के ज़्यादा नज़दीक ला दिया है.

उन्होंने कहा, “इस तैयारी सम्मेलन ने हमें दिखा दिया है कि हम, पृथ्वी ग्रह का भविष्य सुरक्षित करते हुए, भोजन के अधिकार पर भी अच्छे नतीजे दे सकते हैं.”

“भोजन, जिस तरह हमें संस्कृतियों और समुदायों के रूप में आपस में जोड़ता है, उसी तरह ये हमें समाधानों के लिये भी एकजुट कर सकता है.”