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कोविड-19: स्कूलों में तालाबन्दी, हिंसा व गर्भावस्था के मामले बढ़े, शिक्षा पिछड़ी

कोविड-19 के दौरान स्कूलों में तालाबन्दी से 60 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए हैं.
© UNICEF/Pablo Schverdfinger
कोविड-19 के दौरान स्कूलों में तालाबन्दी से 60 करोड़ बच्चे प्रभावित हुए हैं.

कोविड-19: स्कूलों में तालाबन्दी, हिंसा व गर्भावस्था के मामले बढ़े, शिक्षा पिछड़ी

एसडीजी

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) ने मंगलवार को चिन्ता जताई है कि कोरोनावायरस संकट के दौरान स्कूलों में सुरक्षा, मित्रता और भोजन की संस्कृति का स्थान - बेचैनी, हिंसा व किशोर गर्भावस्था के मामलों ने ले लिया है. 

यूएन एजेंसी के मुताबिक कोविड-19 के कारण स्कूलों में तालाबन्दी है, मगर घर बैठकर पढ़ाई करने के माध्यमों तक लाखों छात्रों की पहुँच नहीं है.  

जिनीवा में एक प्रेस वार्ता के दौरान यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स ऐलडर ने बताया कि जिन देशों में स्कूलों में फ़िलहाल अवकाश काल नहीं है, वहाँ कोविड-19 महामारी की वजह से 60 करोड़ से ज़्यादा बच्चे अब भी स्कूलों में तालाबन्दी से प्रभावित हैं.

एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में स्थित लगभग पचास फ़ीसदी देशों में, महामारी के दौरान स्कूलों को 200 से अधिक दिनों तक बन्द करना पड़ा है.   

युगाण्डा जैसे देशों में, इस वजह से पिछले 15 महीनों में 10 से 24 वर्ष आयुवर्ग में गर्भधारण के मामलों में 20 फ़ीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. बाल हेल्पलाईन में तीन गुना बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. 

लातिन अमेरिका व कैरीबियाई क्षेत्र के 18 देशों व क्षेत्रों में बेहद लम्बे समय तक स्कूलों को बन्द करना पड़ा और वे पूर्ण या आंशिक तालाबन्दी के शिकार हुए हैं.  

संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि पूर्वी व दक्षिणी अफ़्रीका में, 5 से 18 वर्ष आयु वर्ग में 40 फ़ीसदी बच्चे स्कूलों से बाहर हैं. 

पूर्वी व दक्षिणी अफ़्रीका, युगाण्डा में स्कूल 306 दिनों के लिये बन्द रहे हैं और देश में इण्टरनेट की पहुँच बेहद कम (0.3 प्रतिशत) है.

इसके बाद दक्षिण सूडान का स्थान है जहाँ 231 दिनों से स्कूल बन्द हैं और 0.5 प्रतिशत से भी कम बच्चों के पास इण्टरनेट की उपलब्धता है. 

यूएन एजेंसी ने हालात की गम्भीरता को समझाने के लिये विश्व बैन्क की एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया, जिसमें इस पीढ़ी के छात्रों के लिये, कमाई में 10 हज़ार अरब डॉलर के नुक़सान की आशंका जताई गई है. 

युगाण्डा में भी छात्रों को, कोविड-19 तालाबन्दी के दौरान घर पर पढ़ाई करनी पड़ी है.
© UNICEF/Francis Emorut
युगाण्डा में भी छात्रों को, कोविड-19 तालाबन्दी के दौरान घर पर पढ़ाई करनी पड़ी है.

दूरस्थ पढ़ाई में कठिनाई 

यूनीसेफ़ ने चिन्ता जताई है कि हर किसी के लिये बच्चों को घर बैठकर पढ़ाने का समाधान सम्भव नहीं है. दुनिया के कम से कम एक तिहाई स्कूली छात्रों के लिये यह चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है.

पूर्वी एशिया और प्रशान्त क्षेत्र में आठ करोड़ बच्चों के पास दूरस्थ पढ़ाई के लिये किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं है.  

यूएन एजेंसी ने कार्रवाई की पुकार लगाते हुए पाँच महत्वपूर्ण क़दम उठाये जाने की अपील की है:

- स्कूलों को यथाशीघ्र फिर से खोले जाने के प्रयास किये जाने होंगे 

- सरकारों व दानदाताओं को शिक्षा बजट का बचाव करना होगा

- पंजीकरण के दायरे में उन बच्चों को भी लाना होगा जो कोविड-19 से पहले स्कूलों से बाहर थे

- वित्तीय अवरोधों को दूर करना होगा और पंजीकरण आवश्यकताओं को सरल बनाना होगा

- सबसे निर्बलों के लिये नक़दी हस्तान्तरण को बढ़ाना होगा

यूनीसेफ़ प्रवक्ता जेम्स ऐलडर ने कहा कि इस महामारी का अन्त करने के लिये हरसम्भव प्रयास किये जाने की ज़रूरत है. 

इसके तहत, वैक्सीन की ख़ुराकों को हर किसी के लिये, हर स्थान पर साझा किया जाना होगा और वैक्सीन वितरित करने के लिये वित्तीय इन्तज़ाम किये जाने होंगे.