यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में नए स्थल, एक भारतीय मन्दिर को भी मिली जगह
भारत में एक प्राचीन मन्दिर और स्पेन के एक सांस्कृतिक भूदृश्य को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठित ‘विश्व धरोहर स्थल’ की सूची में सम्मिलित किया गया है.
इस वर्ष ‘विश्व विरासत समिति’ की चीन के फ़ुज़होऊ में ऑनलाइन बैठक हो रही है, और 44वें सत्र के दौरान सांस्कृतिक, ऐतिहासिक व वैज्ञानिक महत्ता को दर्शाने वाले स्थलों को इस सूची में जगह दी जा रही है.
ताज़ा शामिल किये गए स्थलों में भारत का काकतीय रुद्रेश्वर मन्दिर, ईरान में पार-ईरानी (Trans-Iranian) रेलवे, चीन के क्वानझाओ में ‘एम्पोरियम ऑफ़ द वर्ल्ड’ और स्पेन में ‘पेसियो डेल प्राडो’ और ‘ब्यून रेटिरो’ नामक स्थल हैं.
भारत
भारत के तेलंगाना प्रान्त में काकतीय रूद्रेश्वर मन्दिर को धरोहर स्थल की सूची में सम्मिलित किया गया है, जो कि रामप्पा मन्दिर के नाम से भी प्रसिद्ध है.
चारदीवारों से घिरे एक परिसर में यह एक मुख्य शिव मन्दिर है, जिसका निर्माण कार्य 1123-1323 के दौरान पूर्व शासक रुद्रदेव और रेचरला रुद्र के शासनकाल में हुआ.
रेतीले पत्थर से बने इस मन्दिर में ग्रेनाइट पत्थर से बने स्तम्भों की नक़्काशी की गई है.

यूनेस्को का कहना है कि मन्दिर के निर्माण में उच्च गुणवत्ता की शिल्पकला का प्रयोग किया गया है जो क्षेत्रीय नृत्य परम्पराओं और काकतीय संस्कृति को प्रदर्शित करती है.
कृषि योग्य भूमि से घिरा यह स्थल एक वन क्षेत्र की गोद में है और रामप्पा झील के पास है.
यह उस विचारधारा के अनुरूप है जिसमें माना गया है कि मन्दिरों को प्रकृति के सान्निध्य में होना चाहिये.
चीन
इनमें चीन के क्वानझाओ में Emporium of the World in Song-Yuan नामक दुनिया का बाज़ार, एशिया में समुद्री व्यापार के लिये एक बेहद महत्वपूर्ण काल के दौरान फला-फूला.
यूनेस्को के मुताबिक़ यह स्थल, 10वीं से 14वीं शताब्दी तक वाणिज्यिक समुद्री मार्ग के तौर पर शहर की ऊर्जा व उमंग को प्रदर्शित करता है, साथ ही यह चीन के अन्दरूनी इलाक़ों से भी जुड़ा है.

क्वानझाओ के इस एम्पोरियम में, 11वीं सदी की किन्गजिन्ग मस्ज़िद, इस्लामी मकबरे सहित अन्य धार्मिक इमारतें, और विविध प्रकार के पुरातत्वकालीन अवशेष हैं.
उस काल के अरबी व पश्चिमी लेखों में इसे ज़ेटोन के नाम से भी जाना गया है.
ईरान
ईरान में ट्राँस-ईरानियन रेलवे, पूर्वोत्तर क्षेत्र में कैस्पियन सागर को दक्षिण-पश्चिम में फ़ारस की खाड़ी से जोड़ता है. साथ ही दो पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, पहाड़ी भूमियों और चार भिन्न-भिन्न जलवायु क्षेत्रों को पार करता है.
एक हज़ार 394 किलोमीटर लम्बी इस रेल सेवा के लिये निर्माण कार्य, 1927 में शुरू होकर 1938 तक चला.
इसकी बनावट व क्रियान्वयन को ईरान की सरकार ने आकार दिया, जिसमें अनेक देशों से 43 अनुबन्धकों की भी भागीदारी रही.

इसके लिये व्यापक स्तर पर पहाड़ काटने पड़े, 174 बड़े पुलों का निर्माण किया गया, 186 छोटे पुल बनाए गए, और इस रास्ते में 224 सुरंगें भी हैं, जिनमें 11 सुरंगें घुमावदार हैं.
स्पेन
यूनेस्को ने स्पेन के मैड्रिड शहर में सड़क के किनारों पर लगे पेड़ों से सजे मुख्य मार्ग (Paseo del Prado Boulevard) और पास के ही रेटिरो पार्क को विरासत सूची में जगह मिली है.
यूनेस्को ने स्पेन की राजधानी के शहरी केन्द्र में स्थित इस स्थल को कला व विज्ञान का भूदृश्य क़रार दिया है.
200 हैक्टेयर मे फैले इस सांस्कृतिक भूदृश्य में अनेक फ़व्वारे हैं जिनमें मुख्य रूप से फ़ुएन्ते डे सिबेलेस और फ़ुएन्ते डे नेपचूनो हैं और प्रतिष्ठित प्लाज़ा दे सिबेलेस भी है.

यूनेस्का का कहना है कि यह स्थल, 18वीं सदी के प्रबुद्ध परमवाद काल (absolutist period) से शहरी विस्तार और विकास के नए विचार को मूर्त रूप देता है.
इसके अतिरिक्त जापान के चार द्वीपों, थाईलैण्ड के एक वन और जॉर्जिया में जलमयभूमि को प्राकृतिक धरोहर के रूप में चिन्हित किया गया है.