फ़लस्तीनी इलाक़ों में, यथाशीघ्र चुनाव कराने का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र के तीन स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि इसराइल के क़ब्ज़े वाले फ़लस्तीनी इलाक़ों में प्रस्तावित चुनाव यथा शीघ्र फिर से निर्धारित किये जाएँ और पूर्वी येरूशेलम को भी उनमें शामिल किया जाए.
फ़लस्तीनी इलाक़ों में पिछले 15 वर्षों में ये पहले संसदीय चुनाव मई में और राष्ट्रपति पद के चुनाव जुलाई में निर्धारित किये गए थे, मगर फ़लस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने 29 अप्रैल को ये चुनाव, इन चिन्ताओं के बीच स्थगित कर दिये थे कि पूर्वी येरूशेलम में रहने वाले फ़लस्तीनियों को इन चुनावों में मतदान करने का मौक़ा नहीं मिल पाएगा.
सभी ज़रूरी क़दम उठाए जाएँ
इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, चुनाव स्थगित किये जाने पर सोमवार को गम्भीर चिन्ता व्यक्त करते हुए, फ़लस्तीनी प्राधिकरण और इसराइल से, ये चुनाव यथाशीघ्र कराए जाने के लिये, यथासम्भव उपाय करने का आग्रह किया.
साथ ही ये सुनिश्चित कराने का भी आग्रह किया कि ये चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष, लोकतांत्रिक, शान्तिपूर्ण और भरोसेमन्द हों.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है, “फ़लस्तीनी चुनाव, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को फिर से जीवित करने, लम्बे समय से चले आ रहे आन्तरिक राजनैतिक मतभेदों से निपटने, जवाबदेह संस्थानों को मज़बूत करने और फ़लस्तीनी लोगों के बुनियादी राष्ट्रीय व वैयक्तिक अधिकारों की प्राप्ति की दिशा में क़दम बढ़ाने के लिये, एक अति महत्वपूर्ण अवसर मुहैया कराते हैं.”
उन्होंने कहा, “हम इसराइल से यह स्पष्ट कर देने का आग्रह करते हैं कि वो पूर्वी येरूशेलम में आगामी चुनावों में, फ़लस्तीनियों के लिये पूर्ण लोकतांत्रिक भागीदारी की इजाज़त देगा.
“पूर्वी येरूशेलम में, क़ब्ज़ा करने वाला ताक़त देश होने के नाते, इसराइल को, फ़लस्तीनियों के अधिकारों व दैनिक जीवन में, कम से कम दख़ल सुनिश्चित करना होगा.”
एक स्वर्णिम अवसर
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि पूर्वी येरूशेलम में रहने वाले फ़लस्तीनी लोगों को, 2005 के ओस्लो समझौते के प्रावधानों के तहत, चुनाव में भाग लेने का अधिकार है, और वो पहले भी तीन मौक़ों पर मतदान कर चुके हैं, अलबत्ता काफ़ी कठिन परिस्थितियों में.
उन्होंने कहा, “अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने सुरक्षा परिषद और महासभा के ज़रिये यह बार-बार अभिव्यक्त किया है कि इसराइल द्वारा पूर्वी येरूशेलम में स्थानीय आबादी के ढाँचे में और इसके राजनैतिक व क़ानूनी दर्जे में किसी भी तरह का फेरबदल किया जाना, अवैध व अमान्य है.”
“विश्व के लिये – लोकतंत्र और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के नाम पर ये संकल्प एक बार फिर पुष्ट करने का ये एक और स्वर्णिम अवसर है.”
स्वतंत्र मानवाधिकारों की भूमिका
ये वक्तव्य जारी करने वाले, संयुक्त राष्ट्र के तीन स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ हैं: इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किये हुए फ़लस्तीनी क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष रैपोर्टेयर – माइकल लिन्क; विचारों व अभिव्यक्ति के अधिकारों की संरक्षा व प्रोत्साहन पर विशेष रैपोर्टेयर इरीन ख़ान, और शान्ति पूर्ण ढंग से एकत्र होने व संगठन बनाने की स्वतंत्रता के अधिकार पर विशेष रैपोर्टेयर क्लेमेण्ट न्यालेत्सोस्सी वॉले.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ और विशेष रैपोर्टेयर, की नियुक्ति मानवाधिकार परिषद करती है और ये विशेषज्ञ अपनी निजी हैसियत में, स्वैच्छिक आधार पर अपनी सेवाएँ देते हैं.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ, संयुक्त राष्ट्र का स्टाफ़ नहीं होते हैं और उन्हें, उनके काम के लिये, संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन भी नहीं मिलता है.