म्याँमार: ‘कोविड युद्धविराम’ लागू करने, यूएन प्रस्ताव पारित किये जाने की मांग

म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एण्ड्रयूज़ ने देश में मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनज़र, सुरक्षा परिषद और सदस्य देशों से आपात ‘कोविड युद्धविराम’ लागू किये जाने पर केन्द्रित एक प्रस्ताव पारित करने की पुकार लगाई है.
उन्होंने मंगलवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि म्याँमार में कोविड-19 संक्रमण के मामले और मृतकों की संख्या बढ़ रही हैं, जबकि राज्यसत्ता प्रशासनिक परिषद (State Administrative Council) स्वास्थ्यकर्मियों के विरुद्ध हमले तेज़ कर रही है.
बताया गया है कि सैन्य नेतृत्व के सुरक्षा बलों ने चिकित्साकर्मियों व स्वास्थ्य केन्द्रों पर कम से कम 260 हमले किये हैं, जिनमें 18 लोगों की मौत हुई है.
600 से अधिक स्वास्थ्य देखभालकर्मी, गिरफ़्तारी वॉरण्ट से बच निकलने की कोशिश कर रहे हैं और कम से कम 67 स्वास्थ्यकर्मी, सुरक्षाबलों की हिरासत में हैं.
#Myanmar: @ RapporteurUn calls for an an emergency “#COVID ceasefire”. Despite an explosion of #COVID19 infections & deaths in Myanmar, the State Administrative Council is escalating attacks against health care workers: https://t.co/hNUclI27eH pic.twitter.com/8eaRIgVlXE
UN_SPExperts
यूएन के विशेष रैपोर्टेयर ने टॉम एण्ड्रयूज़ ने ज़ोर देकर कहा कि सदस्य देशों को संयुक्त राष्ट्र के सभी औज़ारों का इस्तेमाल करना होगा.
इनमें ऐसे प्रस्ताव पारित किया जाना भी शामिल है जिनमें राज्यसत्ता प्रशासनिक परिषद से सभी हमलों, विशेष रूप से स्वास्थ्यकर्मियों के विरुद्ध हमलों को रोकने की मांग की जाए.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने म्याँमार में तबाही मचाई हुई है और वैश्विक महामारी के दौरान स्वास्थ्य देखभालकर्मियों की सख़्त ज़रूरत है.
मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कहा कि अनेक लोगों की म्याँमार में अकारण ही मौत हुई है और अगर संयुक्त राष्ट्र की कार्रवाई नहीं की गई तो, बहुत से अन्य लोगों की जान जाएगी.
टॉम एण्ड्रयूज़ ने सचेत किया कि सैन्य नेतृत्व द्वारा किये जा रहे हमलों, उत्पीड़न की घटनाओं और कोविड-19 संकट के दौरान लोगों को हिरासत में लिये जाने से रोकने के लिये यूएन को तत्काल क़दम उठाने होंगे.
“कोविड-19 के बेरोकटोक फैलाव के बीच जब सैन्य प्रशासन चिकित्साकर्मियों पर निर्दयतापूर्वक हमले कर रहा हो, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश, बेफ़िक्र बैठे रहने का जोखिम मोल नहीं ले सकते.”
“उन्हें इस हिंसा को तत्काल रोकने के लिये कार्रवाई करनी होगी ताकि चिकित्सक व नर्स, जीवनरक्षक देखभाल प्रदान कर सकें और अन्तरराष्ट्रीय संगठन टीकों व अन्य सम्बन्धित देखभाल के काम में मदद कर सकें.”
यूएन के विशेष रैपोर्टेयर ने कहा कि जो सदस्य देश, म्याँमार की प्रशासनिक परिषद के साथ अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल कर सकते हैं, उन्हें हमले तत्काल रोके जाने का आग्रह करते हुए, इस विषय में एक यूएन प्रस्ताव पारित किये जाने की मांग की है.
1 फ़रवरी को देश में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को हटाए जाने और सैन्य नेतृत्व द्वारा सत्ता हथिया लिये जाने के बाद से अब तक 931 लोगों की मौत हुई है. इनमें से अधिकतर लोग, सैन्य शासन के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शनों के दौरान मारे गए हैं.
बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और विपक्षी नेताओं को गिरफ़्तार किया गया है – विश्वसनीय स्रोतों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पाँच हज़ार से अधिक लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में रखा गया है, जहाँ उन्हें कोरोनवायरस सें संक्रमित होने का ख़तरा है.
255 लोगों पर आरोप लगाकर सज़ा सुनाई गई है, इनमें 26 लोगों को मृत्युदण्ड की सुनाया जाना शामिल है जिनमें दो नाबालिग़ हैं.
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी के मुताबिक़, पाँच लाख 70 हज़ार से अधिक आन्तरिक विस्थापित लोग, फ़िलहाल, राख़ीन, चिन, काचीन, शान, कायिन, मॉन, और बागो प्रान्तों में रह रहे हैं.
फ़रवरी महीने में सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव पारित करके, हिंसा प्रभावित इलाक़ों में तत्काल युद्धविराम की मांग की थी. इसका उद्देश्य, अशान्त इलाक़ों में कोविड-19 टीकों की सुरक्षित, न्यायसंगत व निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना था.
साथ ही, इसमें कोविड-19 टीकाकरण के लिये, स्वास्थ्यकर्मियों व मानवीय राहतकर्मियों और उनके उपकरणों व अन्य सामान की आपूर्ति के लिये, बिना देरी के, पूर्ण रूप से रास्ते उपलब्ध कराने की बात कही गई है.
विशेष रैपोर्टेयर ने कहा कि यह प्रस्ताव, बेक़ाबू हो चुकी हिंसा का सामना कर रहे देशों में, कोविड-19 के फैलाव को रोकने के लिये, सैद्धान्तिक फ्रेमवर्क पेश करता है.
इसके मद्देनज़र, इन मांगों को विशिष्ट रूप से अब म्याँमार के मामले में भी ध्यान में रखा जाना होगा, जिसके ज़रिये अनगिनत लोगों की जान की रक्षा की जा सकती है.
स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतन्त्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतन्त्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिये कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.