संयुक्त राष्ट्र की एक वैज्ञानिक रिपोर्ट को स्वीकृति देने के लिये सोमवार को चर्चा शुरू हुई है, जिसके आधार पर इस वर्ष उच्चस्तरीय शिखर वार्ताओं को आगे बढ़ाया जाएगा. इसके ज़रिये दुनिया भर में जलवायु कार्रवाई को मज़बूती देने का प्रयास किया जा रहा है.
यह समीक्षा एक ऐसे समय में आई है जब रिकॉर्ड ध्वस्त कर देने वाली ताप लहरों, विनाशकारी बाढ़ और सूखे की घटनाओं से तीन महाद्वीप प्रभावित हुए हैं.
जलवायु परिवर्तन पर अन्तर सरकारी पैनल (IPCC) के प्रमुख हॉसुंग ली ने बैठक के आरम्भिक सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा, “यह रिपोर्ट अभूतपूर्व परिस्थितियों में तैयार की गई है, और यह अभूतपूर्व IPCC स्वीकृति सत्र है.”
‘Climate Change 2021: the Physical Science Basis’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट IPCC के वर्किंग समूह-1 ने तैयार की है.
इस समीक्षा को तैयार करने में 234 विशेषज्ञों ने योगदान किया है जिसके ज़रिये, अतीत में वैश्विक तापमान में हुई बढ़ोत्तरी और भविष्य में तापमान में वृद्धि की सम्भावनाओं की विस्तृत समीक्षा की गई है.
साथ ही यह दर्शाने का भी प्रयास किया गया है कि जलवायु में किस तरह और किन कारणों से बदलाव आया है. इस प्रक्रिया में जलवायु पर मानव गतिविधियों के असर के प्रति भी समझ बढ़ाने का प्रयास किया गया है.
रिपोर्ट में जलवायु विज्ञान के क्षेत्र में आधुनिकतम प्रगति दिखाते हुए, तथ्यों के विश्लेषण के लिये विविध नज़रियों का सहारा लिया गया है ताकि जलवायु प्रणाली व जलवायु परिवर्तन के सम्बन्ध में नवीनतम समझ विकसित की जा सके.
जलवायु परिवर्तन मामलों पर संयुक्त राष्ट्र संस्था (UNFCCC) की कार्यकारी सचिव पैट्रीशिया ऐस्पिनोसा ने बताया कि समीक्षाएँ व विशेष रिपोर्टों के ज़रिये जलवायु परिवर्तन के प्रति समझ की नींव तैयार हुई है.
साथ ही यह समझ पाना भी सम्भव हुआ है कि इससे दुनिया के लिये ख़तरे किस तरह से बढ़ रहे हैं, और उनसे निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है.
दोराहे पर दुनिया
जलवायु मामलों पर यूएन की शीर्ष अधिकारी ने आगाह किया कि दुनिया एक जलवायु दोराहे पर खड़ी है, और इस वर्ष लिये जाने वाले निर्णयों से ही, वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के प्रयासों की सफलता निर्धारित होगी.
“दुनिया मौजूदा समय में उलटे रास्ते पर है, तीन डिग्री सेल्सियस बढ़ोत्तरी की ओर क़दम बढ़ाते हुए. हमें रास्ता तत्काल बदलने की ज़रूरत है.”
पिछले कुछ दिनों में पश्चिमी योरोप के अनेक देशों में आई घातक बाढ़ की वजह से, विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने सभी देशों से जलवायु परिवर्तन जनित आपदाओं की रोकथाम करने के लिये और ज़्यादा प्रयास करने का आग्रह किया है.
यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी के प्रमुख पेटेरी टालस ने उदघाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा, “जलवायु परिवर्तन पहले से ही दिखाई दे रहा है. हमें लोगों को बताने की ज़रूरत नहीं है कि यह मौजूद है.”
“हम और ज़्यादा चरम घटनाएँ देख रह हैं. ताप लहरें, सूखा और योरोप व चीन में बाढ़ की घटनाएँ.”
यह बैठक वर्चुअल रूप से 26 जुलाई से 6 अगस्त तक आयोजित की जा रही है, जिसका उद्देश्य नीतिनिर्धारकों के लिये एक सटीक व सन्तुलित सारांश तैयार करना और वैज्ञानिक तथ्यों को स्पष्टता से पेश करना है.
इस सम्बन्ध में चर्चा के बाद रिपोर्ट, यूएन महासभा के सत्र, और ग्लासगो में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन से कुछ ही महीने पहले 9 अगस्त को जारी की जाएगी.
यह दस्तावेज़, IPCC की छठी समीक्षा रिपोर्ट का पहला अंश है जिसे 2022 में अन्तिम रूप दिया जाना है.