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ECOSOC के नए अध्यक्ष - कॉलेन विक्सेन, परिषद की प्रासंगिकता रेखांकित

बोत्सवाना के राजदूत कॉलेन विक्सेन केलापिले का, आर्थिक व सामाजिक परिषद का अध्यक्ष चुने जाने के बाद उदघाटन सम्बोधन.
UN Photo/Eskinder Debebe
बोत्सवाना के राजदूत कॉलेन विक्सेन केलापिले का, आर्थिक व सामाजिक परिषद का अध्यक्ष चुने जाने के बाद उदघाटन सम्बोधन.

ECOSOC के नए अध्यक्ष - कॉलेन विक्सेन, परिषद की प्रासंगिकता रेखांकित

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक व सामाजिक परिषद (ECOSOC) के नए अध्यक्ष कॉलेन विक्सेन केलापिले ने शुक्रवार को कहा है कि दुनिया भर में, कोविड-19 महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों में दिशा-निर्देश व जानकारी मुहैया कराने के एक रास्ते के रूप में, विकास को बढ़ावा देने में, इस परिषद की भूमिका और भी ज़्यादा अहम हो गई है. उन्होंने शुक्रवार को ही ये पद संभाला है.

उन्होंने महामारी से मज़बूत तरीक़े से उबरने और 2030 एजेण्डा और 17 टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में आगे बढ़ने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता की महत्ता को रेखांति किया. 

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कॉलेन विक्सेन ने परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष मुनीर अकरम के कार्यकाल के दौरान, उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया.

उन्होंने कहा, “हमारे सामने दरपेश चुनौतियों के बावजूद हम, महामारी से उबरने में, परिषद और इसकी सहयोगी संस्थाओं की पहुँच, प्रासंगिकता और इसके प्रभाव की भरपूर क्षमता का दायरा बढ़ा सकते हैं.”

चुनौती का सामना

कॉलेन विक्सेन, संयुक्त राष्ट्र में, बोत्सवाना के राजदूत हैं. 

उन्होंने कहा कि एक तरफ़ तो विश्व, इस असाधारण स्वास्थ्य संकट का मुक़ाबला करने में जुटा है, कोविड-19 वायरस में बढ़ोत्तरी व इसके उच्च संक्रामक रफ़्तार वाले वैरिएंट्स, वैश्विक आर्थिक पुनर्बहाली को पटरी से उतारने का जोखिम पैदा कर रहे हैं.

महामारी से बाहर निकलने और उससे भी आगे के समय में, सही रास्तों की तलाश में, इस परिषद की भूमिका और भी ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गई है.

परिषद के नए अध्यक्ष ने कहा, “परिषद को चुनौती का सामना करने के लिये खड़ा होना होगा और इस महामारी, निर्धनता व असमानता, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के ख़िलाफ़, साहसिक युद्ध लड़ना होगा.”

साथ ही टिकाऊ विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन के लिये कार्रवाई दशक के दौरन, वैश्विक कार्रवाई और संसाधनों में जान फूँकनी होगी.

उन्होंने कहा, “महामारी के दौरान हम जो एक अति महत्वपूर्ण सबक़ सीख रहे हैं वो ये है कि वैश्विक एकजुटता, बहुपक्षवाद और सहयोग, दरअसल हमारी सबसे महान सम्पदाएँ हैं.”

“जब हम एक साथ काम करते हैं तो कठिनाइयों पर पार पाने की हमारी सामर्थ्य, का कोई जोड़ नहीं है.”

इसके साथ ही, विभाजनकारी रुख़, हमारे लिये सबसे बड़े जोखिमों में से एक है. राष्ट्रों के बीच मतभेदों को दूर करने में नाकामी से, केवल भूराजनैतिक और सामाजिक-आर्थिक तनाव और बदतर ही होंगे.