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आपदाओं से भारी आर्थिक व मानवीय तबाही – जल जोखिम सूची में सबसे ऊपर

चीन के हेनान प्रान्त में, राहतकर्मी, बाढ़ के पानी से लोगों को बचाते हुए.
China Fire and Rescue
चीन के हेनान प्रान्त में, राहतकर्मी, बाढ़ के पानी से लोगों को बचाते हुए.

आपदाओं से भारी आर्थिक व मानवीय तबाही – जल जोखिम सूची में सबसे ऊपर

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र की मौसम विज्ञान एजेंसी (WMO) का एक नया अध्ययन दर्शाता है कि पिछले 50 वर्षों के दौरान, व्यापक स्तर पर मानवीय और आर्थिक क्षति का कारण बनने वाली त्रासदियों की सूची में जल-सम्बन्धी संकट सबसे ऊपर हैं. 

 

  

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की ‘Atlas of Mortality and Economic Losses from Weather, Climate and Water Extremes’ (1970-2019) शीर्षक वाली रिपोर्ट के कुछ अंश शुक्रवार को जारी किये गए हैं. 

यह रिपोर्ट सितम्बर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र से पहले जारी की जाएगी.  

यूएन एजेंसी ने पाँच दशकों की इस अवधि में, उन 10 बड़ी आपदाओं की एक सूची तैयार की है जिनसे सबसे अधिक मानवीय क्षति हुई है.

अध्ययन के मुताबिक़ इस सूची में सूखा सबसे ऊपर है, जिससे साढ़े छह लाख मौतें हुई हैं, तूफ़ानों की वजह से पाँच लाख 77 हज़ार, बाढ़ के कारण 58 हज़ार 700 मौतें और चरम तापमान के कारण 55 हज़ार 736 मौतें हुई हैं.  

आर्थिक नुक़सान के नज़रिये से भी 10 प्रमुख त्रासदियों की सूची तैयार की गई है, जिनमें तूफ़ान पहले स्थान पर हैं जिनसे 521 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ है, जबकि बाढ़ से 115 अरब डॉलर का नुक़सान हुआ है. 
 
रिपोर्ट के अंश दर्शाते हैं कि बाढ़ और तूफ़ान की घटनाओं के कारण, पिछले 50 वर्षों में योरोप में सबसे अधिक आर्थिक क्षति हुई है, जो 377 अरब डॉलर आँकी गई है. 

वर्ष 2002 में जर्मनी में आई बाढ़ से 16 अरब 48 करोड़ डॉलर का नुक़सान हुआ – 1970 से 2019 के बीच यह योरोप में सबसे बड़ी आर्थिक क्षति थी. 

सूखे जैसी चरम मौसम की घटनाओं से दुनिया भर में किसानों को आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ रहा है.
UNDP Thailand
सूखे जैसी चरम मौसम की घटनाओं से दुनिया भर में किसानों को आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ रहा है.

मगर मानवीय क्षति के सन्दर्भ में ताप लहरों का ज़्यादा असर रहा है. 

आँकड़े दर्शाते हैं कि 50 वर्ष की अवधि में, सभी आपदाओं में मौसम, जलवायु और जल सम्बन्धी त्रासदियों का हिस्सा 50 फ़ीसदी है.  

जल सम्बन्धी त्रासदियाँ, कुल मौतों में से 45 प्रतिशत के लिये और वैश्विक स्तर पर कुल आर्थिक क्षति के 74 प्रतिशत के लिये ज़िम्मेदार हैं. 

जलवायु परिवर्तन ने बढ़ाई चिन्ता

यूएन एजेंसी के महासचिव पेटेरी टालस ने कहा, “जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप, मौसम, जलवायु और जल-सम्बन्धी ख़तरों की आवृत्ति व गहनता बढ़ रही है.”

उन्होंने सचेत किया कि मध्य योरोप व चीन में पिछले सप्ताह मूसलाधार बारिश व विनाशकारी बाढ़ की वजह से हुआ जान-माल का नुक़सान, मानवीय व आर्थिक असर को रेखांकित करता है.  

जर्मनी की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा के मुताबिक़ देश में दो महीने की बारिश केवल दो दिनों (14, 15 जुलाई) के दौरान हो गई, और नार्थ राइन वेस्टफ़ालिया प्रान्त सबसे अधिक प्रभावित हुआ है. 

14-15 जुलाई को, पश्चिमी योरोप के अनेक देशों में, भारी बारिश के कारण आई भीषण बाढ़ ने अनेक शहरों को प्रभावित किया है जिनमें स्विट्ज़रलैण्ड का ज़्यूरिख़ भी है.
Unsplash/Claudio Schwarz
14-15 जुलाई को, पश्चिमी योरोप के अनेक देशों में, भारी बारिश के कारण आई भीषण बाढ़ ने अनेक शहरों को प्रभावित किया है जिनमें स्विट्ज़रलैण्ड का ज़्यूरिख़ भी है.

यह जर्मनी, बेल्जियम, नैदरलैण्ड्स और लक्ज़मबर्ग के उन इलाक़ों में हुआ जो पहले से ही संतृप्त हो चुके थे. स्विट्ज़रलैण्ड व ऑस्ट्रिया को भी भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ा है.

उत्तरी अमेरिका में हाल के दिनों में पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त करने वाली ताप लहरों की स्पष्ट वजह, वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को बताया गया है.

समय रहते चेतावनी ज़रूरी

यूएन मौसम एजेंसी प्रमुख ने कहा कि भारी बारिश की घटनाओं की वजह भी जलवायु परिवर्तन है. 

“जैसे-जैसे वातावरण गर्म होता है, इसमें ज़्यादा नमी होती है, जिसका अर्थ है कि तूफ़ानों के दौरान ज़्यादा बारिश होगी, और बाढ़ आने का जोखिम बढ़ जाएगा.”

चीन के मध्य हेनान प्रान्त के झेंगझाउ में भारी बारिश के कारण निकासी व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई.
China Fire and Rescue
चीन के मध्य हेनान प्रान्त के झेंगझाउ में भारी बारिश के कारण निकासी व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई.

“कोई भी देश – विकसित या विकासशील – इससे अछूता नहीं है. जलवायु परिवर्तन यहाँ मौजूद है और घटित हो रहा है.”
    
“जलवायु परिवर्तन अनुकूलन में ज़्यादा निवेश किया जानाी अनिवार्य है, और ऐसा करने का एक रास्ता बहु-जोखिम समय पूर्व चेतावनी प्रणालियों को मज़बूती प्रदान करना है.”

बताया गया है कि जल एक ऐसा कारक है जिससे जलवायु परिवर्तन का असर महसूस किया जा सकता है. 

जल जनित व जलवायु चुनौतियों से पुख़्ता ढंग से निपटने के लिये इन दोनों से एक साथ मिलकर निपटने व बातचीत आगे बढ़ाए जाने पर बल दिया गया है. 

इस क्रम में, यूएन एजेंसी एक नए ‘जल व जलवायु गठबन्धन’ की अगुवाई कर रही है. इसके तहत विभिन्न क्षेत्रों से पक्षकारों का समुदाय, जल व जलवायु कार्रवाई के एकीकृत समाधानों पर प्रयास केन्द्रित कर रहा है.