निगरानी के लिये 'जासूसी सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल चिन्ताजनक' - यूूएन मानवाधिकार प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने अनेक देशों में पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की निगरानी के लिये जासूसी सॉफ़्टवेयर ‘पैगेसस’ का कथित तौर पर इस्तेमाल किये जाने सम्बन्धी ख़बरों को बेहद चिन्ताजनक क़रार दिया है.
मीडिया ख़बरों के अनुसार इसराइल की निगरानी कम्पनी, NSO समूह द्वारा विकसित और बेचे जाने वाले पैगेसस स्पाइवेयर के ज़रिये दुनिया भर में नेताओं, कार्यकर्ताओं व पत्रकरों को निशाना बनाया गया है.
#Pegasus: Revelations about the widespread use of software to spy on journalists, human rights defenders & others are extremely alarming. See statement by @UNHumanRights Chief @mbachelet: https://t.co/v6moMj4v6W pic.twitter.com/vyRxLX4jyq
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मगर कम्पनी ने किसी भी ग़लत कार्य से इनकार करते हुए ज़ोर देकर कहा है कि इस सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल अपराधियों व आतंकवादियों के विरुद्ध ही किया जाता है और यह सॉफ़्टवेयर उन्हीं देशों को बेचा जाता है जहाँ मानवाधिकारों की स्थिति बेहतर है.
मानवाधिकार मामलों की प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने सोमवार को जारी अपने वक्तव्य में क्षोभ जताया कि इन ख़बरों से, मानवाधिकारों को अवैध तरीक़ों से कमज़ोर बनाने के लिये निगरानी टैक्नॉलॉजी के सम्भावित ग़लत इस्तेमाल से जुड़ी आशंकाओं की पुष्टि होती है.
मानवाधिकार मामलों की शीर्ष अधिकारी ने कहा कि उनके कार्यालय सहित यूएन मानवाधिकार प्रणाली के अनेक हिस्सों ने निरन्तर, प्रशासनिक एजेंसियों द्वारा निगरानी औज़ारों के इस्तेमाल के ख़तरों पर चिन्ता जताई है.
उन्होंने कहा कि जायज़ पत्रकारिता गतिविधियों, मानवाधिकारों की निगरानी, असहमति व राजनैतिक विरोध की अभिव्यक्ति के लिये लोगों के फोन नम्बरों और कम्पयूटर की जासूसी की गई.
“निगरानी सॉफ़्टवेयर के इस्तेमाल को गिरफ़्तारी, डराने-धमकाने और पत्रकारों व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की हत्याओं से भी जोड़ा गया है.”
उन्होंने कहा कि निगरानी की ख़बरों का ख़राब असर, लोगों द्वारा भय की वजह से चुप्पी साध लेना है.
“पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की हमारे समाजों में एक अपरिहार्य भूमिका है, और जब उन्हें चुप कराया जाता है, हम सभी को कष्ट भुगतना पड़ता है.”
मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने सदस्य देशों को ध्यान दिलाते हुए कहा कि निगरानी उपायों को, वैध उद्देश्यों के तहत, केवल संकीर्ण दायरे में निर्धारित हालात में ही न्यायोचित ठहराया जा सकता है.
पैगेसस व अन्य स्पाइवेयर सॉफ़्टवेयर के ज़रिये लोगों के उपकरणों में गहराई तक पहुँच बनाई जाती है, और उनके जीवन के सभी पहलुओं के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है.
यूएन की वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि इनका इस्तेमाल, गम्भीर अपराधों व नाज़ुक सुरक्षा ख़तरों के सन्दर्भ में ही जायज़ ठहराया जा सकता है.
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पैगेसस का इस्तेमाल किये जाने सम्बन्धी ख़बरें, अगर आंशिक रूप से भी सही हैं, तो सीमा रेखा पार की गई है और ऐसा पूर्ण दण्डमुक्ति की भावना से किया गया है.
मिशेल बाशेलेट ने कहा कि निगरानी टैक्नॉलॉजी के विकास और वितरण में शामिल कम्पनियाँ, मानवाधिकारों को हो रहे नुक़सान को नज़रअन्दाज़ करने के लिये ज़िम्मेदार हैं.
उन्होंने ऐसे उत्पादों से होने वाले नुक़सान में सुधार व उसके असर को कम करने के लिये, तत्काल क़दम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है.
साथ ही सचेत किया है कि सम्यक तत्परता व ऐहतियात (Due diligence) बरतते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे विनाशकारी दुष्परिणामों में उनका कोई योगदान ना हो.
मानवाधिकार उच्चायुक्त के मुताबिक़ मानवाधिकारों के उल्लंघन में अपनी भूमिका को तत्काल प्रभाव से रोकने के अलावा, सदस्य देशों की यह ज़िम्मेदारी है कि कम्पनियों द्वारा लोगों की, उनके निजता के अधिकार के हनन से रक्षा की जाए.
इसका एक महत्वपूर्ण उपाय कम्पनियों के लिये तय मानवाधिकार दायित्वों को निभाना, क़ानून के ज़रिये सुनिश्चित करना होगा.
साथ ही उन्हें अपने उत्पादों के डिज़ाइन और इस्तेमाल के सम्बन्ध में ज़्यादा पारदर्शिता बरतनी होगी और जवाबदेही तय किये जाने के लिये कारगर ढाँचा स्थापित करना होगा.
मानवाधिकार मामलों की प्रमुख ने कहा है कि ये घटनाक्रम, निगरानी टैक्नॉलॉजी को बेचे जाने, हस्तान्तरण और इस्तेमाल में बेहतर नियामन व निरीक्षण की आवश्यकता को रेखांकित करता है.
मानवाधिकारों के अनुरूप नियामक ढाँचों के अभाव में इन निगरानी औज़ारों से आलोचकों को डराए धमकाए जाने और असहमति की आवाज़ों को दबाए जाने का ख़तरा जताया गया है.