म्याँमार: मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिये विकट हालात, कार्रवाई की मांग
संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने म्याँमार में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिये उपजी कठिन परिस्थितियों पर गहरी चिन्ता जताते हुए, अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से सैन्य नेतृत्व के विरुद्ध कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
म्याँमार में मानवाधिकारों की स्थिति पर यूएन के विशेष रैपोर्टेयर टॉम एण्ड्रयूज़ और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के हालात पर विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉलॉर ने सोमवार को एक साझा बयान जारी किया है.
#Myanmar: Experts say “brute force terror campaign” continues to be directed towards human rights defenders. Call for stronger international response to military coup, including coordinated sanctions/arms embargo against junta.https://t.co/tqyfNzmzHz pic.twitter.com/1RoQ4R7Hru
UN_SPExperts
इस वक्तव्य में देशों के आपात गठबन्धन द्वारा, म्याँमार पर समन्वित ढंग से कार्रवाई किये जाने, और आर्थिक पाबन्दियों के साथ-साथ सैन्य नेतृत्व को हथियार बेचे जाने पर प्रतिबन्ध लगाए जाने की मांग की गई है.
“म्याँमार में हम जो क्रूर ताक़तवर आतंकी अभियान घटित होते देख रहे हैं, उसका मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की ओर केन्द्रित होना जारी है.”
यूएन विशेषज्ञों बताया कि उन्हें विश्वसनीय जानकारी मिली है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को छिपने के लिये मजबूर किया जा रहा है – उनके ख़िलाफ़ दण्ड संहिता के अनुच्छेद 505 (a) के तहत वारण्ट जारी किये गए हैं.
उनके घरों पर छापे मारे गए हैं, सम्पत्तियाँ ज़ब्त की गई हैं, परिजनों को धमकियाँ दी गई हैं और उनका उत्पीड़न किया गया है.
बहुत से लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है जिनमें श्रमिक अधिकार कार्यकर्ता और छात्र कार्यकर्ता भी हैं.
मुश्किलों में घिरे कार्यकर्ता
बताया गया है कि सैन्य तख़्ता पलट के बाद लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकीलों और विरोध-प्रदर्शनों की कवरेज कर रहे पत्रकारों को भी हिरासत में लिया गया है.
यूएन की विशेष रैपोर्टेयर मैरी लॉलॉर ने कहा कि तख़्ता पलट के बाद, इण्टरनेट पर तमाम पाबन्दियों व बुनियादी संसाधनों की सुलभता में पेश आ रही दिक़्कतों के बावजूद, ये कार्यकर्ता सेना द्वारा सामूहिक अधिकार हनन के मामलों में जानकारी एकत्र कर रहे हैं.
“इसके परिणामस्वरूप, उन्हें निशाना बनाया गया है.”
मानवाधिकार विशेषज्ञ टॉम एण्ड्रयूज़ ने कहा, “म्याँमार की जनता अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा चिन्ता की अभिव्यक्तियों की सराहना करती है, मगर वे हताशा की इन परिस्थितियों में जल्द कार्रवाई चाहते हैं.”
उन्होंने देशों का आहवान किया कि यह ज़रूरी है कि मुश्किलों में घिरी म्याँमार की जनता के साथ खड़ा हुआ जाए, जिन्हें एक अवैध सैन्य नेतृत्व ने बन्धक बना रखा है.
“यह समय एक मज़बूत, केन्द्रित और समन्वित कार्रवाई किये जाने का है जिसमें आर्थिक पाबन्दी और हथियारों पर प्रतिबन्ध होंगे.”
महिला कार्यकर्ताओं पर जोखिम
यूएन विशेषज्ञों ने ध्यान दिलाया कि इस वर्ष, 1 फ़रवरी को लोकतांत्रिक सरकार को सत्ता से बेदख़ल किये जाने के बाद, म्याँमार में सैन्य शासन के विरुद्ध हुए विरोध प्रदर्शनों और सविनय अवज्ञा आन्दोलनों में महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है.
इस वजह से महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिये स्थिति विशेष रूप से चिन्ताजनक है.
देश के विभिन्न इलाक़ों में भिन्न-भिन्न जातीय समूहों की महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने लिंग-आधारित हिंसा और निजी सुरक्षा पर मंडराते जोखिम को झेलते हुए अपनी आवाज़ बुलन्द की है.
“दूरदराज़ के इलाक़ों में महिला मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर विशेष रूप से ख़तरा है, जहाँ जेल भेजे जाने से पहले उनकी अक्सर पिटाई की जाती है, जहाँ उन्हें यातना व यौन हिंसा का सामना करना पड़ सकता है और कोई चिकित्सा देखभाल मुहैया नहीं कराई जाती.”
म्याँमार में 1 फ़रवरी, 2021 को सेना द्वारा तख़्ता पलट किये जाने के बाद से अब तक 892 पुरुषों व महिलाओं की मौत हो चुकी है.
स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने ज़ोर देकर कहा है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर और हमले ना होने देने के लिये उनके साथ अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर दृढ़ एकजुता दर्शाई जानी होगी.
यूएन रैपोर्टेयर टॉम एण्ड्रयूज़ ने पिछले सप्ताह, जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के सत्र को सम्बोधित करते हुए, म्याँमार की जनता के लिये तत्काल एक आपात गठबन्धन बनाने की अपील की थी, ताकि सैन्य नेतृत्व के ‘आतंक के राज’ को रोका जा सके.
स्पेशल रैपोर्टेयर और वर्किंग ग्रुप संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष प्रक्रिया का हिस्सा हैं. ये विशेष प्रक्रिया संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार व्यवस्था में सबसे बड़ी स्वतन्त्र संस्था है. ये दरअसल परिषद की स्वतन्त्र जाँच निगरानी प्रणाली है जो किसी ख़ास देश में किसी विशेष स्थिति या दुनिया भर में कुछ प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करती है. स्पेशल रैपोर्टेयर स्वैच्छिक रूप से काम करते हैं; वो संयक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं और उन्हें उनके काम के लिये कोई वेतन नहीं मिलता है. ये रैपोर्टेयर किसी सरकार या संगठन से स्वतन्त्र होते हैं और वो अपनी निजी हैसियत में काम करते हैं.