लीबिया: राजनैतिक गतिरोध दूर करने के लिये सकारात्मक क़दमों की दरकार
संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत यैन क्यूबिस ने गुरूवार को सुरक्षा परिषद में चेतावनी भरे शब्दों में कहा कि लीबिया में युद्धविराम समझौते को लागू करने वाले – एक दूसरे पर निर्भर रास्ते और राजनैतिक प्रगति और आर्थिक सुधार, पीछे की ओर मुड़ जाने के जोखिम का सामना कर रहे हैं.
विशेष दूत ने मंत्रिस्तरीय बैठक में कहा कि सुधारों और प्रगति की हवा का रुख़ पीछे की ओर मुड़ने से रोकने के लिये सकारात्मक क़दम उठाए जाने की ज़रूरत है.
The Central Mediterranean route between Libya and Italy was the deadliest, claiming 741 lives so far this year. https://t.co/zp1qLcpEPX
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यैन क्यूबिस लीबिया में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNSMIL) के मुखिया भी हैं.
उन्होंने लीबिया में संघर्ष और अशान्ति की तरफ़ वापसी को रोकने के लिये, देश में समय पर चुनाव कराने के लिये वहाँ के नागरिकों व अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की ज़ोरदार माँग की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया. ये चुनाव देश में लोकतांत्रिक परिवर्तन पूरा होने के लिये ज़रूरी हैं.
कथनी और करनी में अन्तर
संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने कहा कि व्यापक दायरे वाली अनेक बैठकों के बाद 24 दिसम्बर को चुनाव कराने के संकल्प व्यक्त किये गए थे, मगर उनके बहुत से मध्यस्थकार इस पर अमल करने के लिये तैयार नज़र नहीं आते हैं.
उन्होंने कहा कि चुनावों के लिये संवैधानिक आधार, अभी तक तो स्पष्ट कर दिया जाना चाहिये था. यहाँ तक कि जिनीवा में जून में हुए व्यापक सत्रों के बाद भी, निर्णयकर्ता - लीबियाई राजनैतिक सम्वाद फ़ोरन (LPDF) के सदस्य बँटे हुए नज़र आ रहे हैं.
लीबिया में यूएन सहायता मिशन के प्रमुख यैन क्यूबिस ने कहा, “संवैधानिक सुधार संस्थाओं और एलपीडीएफ़, दोनों की ही इस नाकामी के कारण, लीबिया में स्थिति और भी कठिन, टकराव वाली, और तनावपूर्ण होती जा रही है.”
उन्होंने कहा कि दिसम्बर में चुनाव कराने के लिये आवश्यक वैधानिक ढाँचे को अन्तिम रूप देने के रास्ते में संस्थागत, राजनैतिक और व्यक्तिगत हित आड़े आ रहे हैं. उन्होंने प्रगति में रोड़ा अटकाने वालों को खेल बिगाड़ने वाले नाकाम तत्व क़रार दिया.
राजनैतिक परिणतियाँ
संयुक्त राष्ट्र के पदाधिकारी ने राजनैतिक और चुनावी गतिरोध के दूरगामी परिणामों पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की.
उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि इस गतिरोध को जल्द ही दूर नहीं किया गया तो, हाल के महीनों में हासिल की गई सकारात्मक उपलब्धियाँ पलट सकती हैं.
युद्धविराम क्रियान्वयन
अलबत्ता अक्टूबर 2020 में हुआ युद्धविराम समझौता अभी लागू है, मगर यूएन विशेष दूत ने विपक्षी समूहों की तरफ़ से सैन्य प्रतिनिधियों की एकजुटता के मुद्दे पर चिन्ता व्यक्त की है. इन्हें 5+5 लीबियाई संयुक्त सैन्य आयोग (जेएमसी) कहा जाता है.
विशेष दूत ने कहा कि अगर राजनैतिक प्रक्रिया इसी तरह से अवरुद्ध रही तो युद्धविराम समझौता खटाई में पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि युद्धविराम समझौते को लागू कराने और राजनैतिक प्रगति के लिये रास्ते बनाने में जेएमसी की अति महत्वपूर्ण भूमिका है. इसलिये इसकी एकजुटता बनाए रखने के लिये हर सम्भव प्रयास किये जाने चाहिये और इसके कामकाज को राजनैतिक गतिरोध से प्रभावित नहीं होने देना चाहिये.
आन्तरिक विस्थापन, प्रवासी और शरणार्थी
युद्धविराम समझौता लागू होने के बाद, देश में कुल मिलाकर मानवीय स्थिति कुछ बेहतर हुई है, लेकिन अभी ये सुनिश्चित करने के रास्ते में गम्भीर चुनौतियाँ बनी हुई हैं कि देश के भीतर ही विस्थापित लोगों को बुनियादी सेवाओं तक पर्याप्त और टिकाऊ पहुँच हासिल हो. इनमें स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सुविधाएँ शामिल हैं.
संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत ने लीबियाई अधिकारियों द्वारा आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों को, उनके ठहरने के स्थानों से सुनियोजित तरीक़े से और अक्सर जबरन निकाला जाना बढ़ती चिन्ता का कारण है.
इसी तरह, प्रवासियों और शरणार्थियों पर होने वाले हमले याद दिलाते हैं कि वैध और वाजिब प्रक्रिया का पालन किये बिना, इन लोगों को इनके ठहरने के स्थानों से जबरन बेदख़ल किया जाना, मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
साथ ही, प्रवासियों व शरणार्थियों की स्थिति बहुत ख़तरनाक बनी हुई है क्योंकि भूमध्यसागरीय इलाक़ा पार करने के प्रयास कर रहे लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
26 जून तक, लीबियाई तटीय गार्ड ने हस्तक्षेप करके 14 हज़ार 751 प्रवासियों और शरणार्थियों को पकड़ा और उन्हें लीबिया वापिस लौटाया.
यैन क्यूबिस ने अपनी बात एक सकारात्मक टिप्पणी के साथ ख़त्म करते हुए कहा कि महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा का मुक़ाबला करने पर लीबियाई विशेषज्ञों की समिति ने जून में, प्रथम व्यापक मसौदा विधेयक पारित किया है जोकि महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा का सामना करने के लिये मध्य पूर्व क्षेत्र में इस तरह का पहला प्रयास है.