विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने बुधवार को कहा है कि कोरोनावायरस के कई रूपों (वैरिएंट) के फैलाव, सामाजिक पाबन्दियों में ढील और सार्वजनिक स्वास्थ्य के उपाय लागू करने में अनियमितता, जैसे कारकों से संक्रमण के मामलों व मौतों की संख्या में इज़ाफ़ा हो रहा है जिसमें तीसरी लहर के शुरुआती संकेत नज़र आने लगे हैं.
यूएन स्वास्थ्य प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियामकों के तहत गठित कोविड-19 पर आपात समिति को सम्बोधित करते हुए ताज़ा आँकड़ों का ज़िक्र किया. ये समिति, सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिमों के लिये, वैश्विक कार्रवाई प्रयासों की अगुवाई करती है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि हाल के महीनों में कोविड-19 संक्रमण के मामलों व मौतों में गिरावट दर्ज की गई थी, जिसकी एक वजह योरोप और उत्तर अमेरिका में टीकाकरण की दर में बढ़ोत्तरी है.
मगर ये सकारात्मक रूझान अब पलट रहे है, जिस पर चिन्ता जताई गई है. “दुर्भाग्यवश...हम तीसरी लहर के शुरुआती चरण में हैं.”
पिछला सप्ताह, लगातार चौथा ऐसा हफ़्ता रहा जिसमें कोविड-19 के मामलों में दुनिया भर में वृद्धि दर्ज की गई है. 10 सप्ताह तक दर्ज गिरावट के बाद अब मृतक संख्या भी बढ़ रही है.
इस बीच, डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है, जिससे ज़्यादा तेज़ी से फैलने वाले प्रकार उभर रहे हैं.
“डेल्टा वैरिएंट अब 111 से अधिक देशों में हैं और हम मानते हैं कि यह दुनिया में सबसे ज़्यादा फैल रहा कोविड-19 का प्रकार होगा, अगर अभी तक ऐसा नहीं हुआ है तो.”
डेल्टा वैरिएंट के फैलाव से हाल के दिनों में संक्रमण मामलों में तेज़ी आई है, जिसकी एक बड़ी वजह सामाजिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी और बुनियादी सार्वजनिक स्वास्थ्य व सामाजिक उपायों का असंगत इस्तेमाल है.
'स्तब्धकारी विसंगति'
यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक कोरोनावायरस वैक्सीन और जीवनरक्षक औज़ारों के वैश्विक वितरण में स्तब्ध कर देने वाली विसंगति पसरी हुई है.
उन्होंने चिन्ता जताई कि न्यायोचित टीकाकरण व उपचार उपलब्ध ना हो पाने की वजह से, महामारी दो अलग-अलग रास्तों पर आगे बढ़ रही है.
एक ओर वे देश हैं जहाँ टीके आसानी से उपलब्ध हैं, और वहाँ पाबन्दियों को हटाया जा रहा है और सामाजिक जीवन को शुरू किया जा रहा है.
मगर, दूसरी ओर वे देश हैं जहाँ टीकों की सुलभता नहीं है और जिन्हें वायरस के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है.
बहुत से देशों को अभी वैक्सीन नहीं मिल पाई है और अनेक देशों में पर्याप्त संख्या में टीके नहीं पहुँचे हैं.
इस सन्दर्भ में, यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक ने इस वर्ष सितम्बर महीने तक विश्व आबादी के दस फ़ीसदी हिस्से के टीकाकरण की पुकार लगाई है.
वर्ष 2021 के अन्त तक, इस संख्या को बढ़ाकर 40 प्रतिशत और 2022 के मध्य तक 70 प्रतिशत किये जाने का लक्ष्य रखा गया है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने आगाह किया है कि महज़ टीकों के सहारे इस महामारी का अन्त नहीं किया जा सकता है; इसके लिये ज़रूरत के अनुरूप और सुसंगत सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों को अपनाये जाने की आवश्यकता होगी.
इस क्रम में, यूएन एजेंसी ने जोखिम आधारित तरीक़ों को मूर्त रूप देने के लिये दिशानिर्देश मुहैया कराये हैं.