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योरोपीय संघ की नई जलवायु पहल की प्रभाव कुशलता सीमित - अंकटाड

बिजली संयंत्रों से होने वाला वायु प्रदूषण वैश्विक तापमान में वृद्धि करता है.
Unsplash/Maxim Tolchinskiy
बिजली संयंत्रों से होने वाला वायु प्रदूषण वैश्विक तापमान में वृद्धि करता है.

योरोपीय संघ की नई जलवायु पहल की प्रभाव कुशलता सीमित - अंकटाड

जलवायु और पर्यावरण

संयुक्त राष्ट्र की व्यापार और विकास एजेंसी (UNCTAD) ने आगाह करते हुए कहा है कि योरोपीय संघ द्वारा बुधवार को जारी एक जलवायु पहल कार्यक्रम, अलबत्ता, वैश्विक व्यापार रुख़ को उन देशों के हित में मोड़ सकता है जहाँ उत्पादन ज़्यादा कार्बन कुशल है, मगर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में इसकी अहमियत सीमित ही नज़र आती है.

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कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने के नए उपायों के हिस्से के रूप में, कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (CBAM) वर्ष 2023 में लागू होगी, जिसमें तेल, कोयला और गैस के आयात पर टैक्स भी शामिल होंगे.

योरोपीय संघ की घोषणा के सन्दर्भ में, अंकटाड ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें क्षेत्रीय दायरे के भीतर और बाहर के देशों पर सम्भावित प्रभावों की पड़ताल की गई है.

अंकटाड की कार्यवाहक महासचिव इसाबेल ड्यूराण्ट ने कहा है, “जलवायु और परियावरणीय पहलू, नीतिगत चिन्ताओं के अग्रिम मोर्चे पर हैं, और व्यापार कोई अपवाद नहीं हो सकता. योरोपीय पहल, इनमें से एक विकल्प है, मगर विकासशील देशों पर इसके प्रभाव पर भी ग़ौर करने की ज़रूरत है.”

‘कार्बन लीकेज’ में कटौती 

रिपोर्ट में पुष्टि की गई है कि योरोपीय कार्यक्रम के ज़रिये “कार्बन लीकेज” (Carbon leakage) को कम करने में मदद मिलेगी, मगर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में इसकी अहमियत सीमित है क्योंकि इस प्रणाली के ज़रिये वैश्विक कार्बन उत्सराजन में केवल 0.1 प्रतिशत कटौती होगी.

“कार्बन लीकेज” एक ऐसी व्यवस्था को कहा जाता है जिसमें उत्पादन, ऐसे भौगोलिक क्षेत्रों को स्थानान्तरित कर दिया जाता है जहाँ कार्बन उत्सर्जन पर ढीली पाबन्दियाँ होती हैं.

अंकटाड का कहना है कि कार्बन उत्सर्जन में असरदार कमी लाने के लिये, और ज़्यादा कुशल उत्पादन और परिवहन प्रक्रियाओं व प्रणालियों की ज़रूरत होगी.

हरित उत्पादन को समर्थन दें

अंकटाड ने योरोपीय संघ के व्यापार साझीदारों द्वारा व्यक्त की गई चिन्ताओं का भी जवाब दिया है.

इन साझीदारों का मानना है कि योरोपीय पहल के ज़रिये, सीमेण्ट, इस्पात (स्टील) और ऐल्यूमिनियम जैसे कार्बन सघन क्षेत्रों में, निर्यात में ख़ासी कमी लाई जा सकेगी.

यूएन व्यापार और विकास एजेंसी का कहना है कि इस कार्यक्रम को कार्बन उत्सर्जन पर 44 डॉलर प्रति टन का टैक्स लगाकर लागू करने से, विकासशील देशों द्वारा किये जाने वाले निर्यात में 1.4 प्रतिशत की कमी लाई जा सकती है. अगर टैक्स की ये दर 88 डॉलर प्रति टन लगाई जाए तो ये कटौती 2.4 प्रतिशत हो सकती है.

ये परिणाम, हर देश के अनुसार अलग-अलग होंगे और यह उनके निर्यात ढाँचे व कार्बन उत्पादन सघनता पर निर्भर होगा.

रिपोर्ट के अनुसार, 44 डॉलर प्रति टन के टैक्स विकल्प के साथ, विकसित देश, अपनी आय में डेढ़ अरब डॉलर का इज़ाफ़ा देखेंगे, जबकि विकासशील देशों में आय में 5 अरब 90 करोड़ डॉलर की कमी होगी.

अंकटाड ने योरोपीय संघ को प्रोत्साहित करते हुए कहा है कि इस कार्यक्रम के ज़रिये अर्जित कुछ राजस्व को, विकासशील देशों में स्वच्छ उत्पादन टैक्नॉलॉजी को बढ़ावा देने के लिये इस्तेमाल करने पर विचार करे.

अंकटाड की अन्तरिम महासचिव इसाबेल ड्यूराण्ट ने कहा है, “ये विकल्प अर्थव्यवस्था को हरित बनाने और एक ज़्यादा समावेशी व्यापार प्रणाली को आगे बढ़ाने के नज़रिये से लाभकारी साबित होगा.”