डीएनए संशोधन तकनीक के विनियमन की दिशा में बढ़त दिखाती रिपोर्टें

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को दो संयुक्त रिपोर्टें जारी की हैं जिनमें डीएनए में बदलाव किये जाने वाली टैक्नॉलॉजी के लिये, पहली बार वैश्विक सिफ़ारिश पेश की गई है. इस टैक्नॉलॉजी को मानव जीनोम संशोधन के नाम से जाना जाता है और इसे सुरक्षित, प्रभावशाली और सभी की भलाई वाले नैतिक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपकरण के रूप में इस्तेमाल किये जाने की सिफ़ारिश की गई है.
Two 🆕 reports provide the first global recommendations to help establish human genome 🧬 editing as a tool for public health, with an emphasis on safety, effectiveness and ethics. 👉 https://t.co/w32QhMXSXi pic.twitter.com/Bto9SF6NzW
WHO
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के महानिदेशक टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को कहा, “मानव जीनोम संशोधन टैक्नॉलॉजी में, बीमारियों का इलाज करके उन्हें ठीक करने की हमारी योग्यता व क्षमता को आगे बढ़ाने की सम्भावना मौजूद है.
लेकिन इसकी पूर्ण सम्भावना व क्षमता का फ़ायदा तभी मिल सकता है जब इसे, पूरी मानवता की भलाई के लिये अपनाया जाए, नाकि देशों के बीच व देशों के भीतर स्वास्थ्य विषमता का दायरा और ज़्यादा बढ़ाने के लिये.”
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी (WHO) ने सोमवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि जीन चिकित्सा के विभिन्न तरीक़ों पर व्यापक और वैश्विक विचार-विमर्श के बाद ये, भविष्योन्मुख रिपोर्टें तैयार की गई हैं.
इनमें बीमारियों का इलाज करने और उन्हें पूरी तरह ठीक करने के लिये, किसी मरीज़ के डीएनए में संशोधन किया जाना शामिल है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा दो वर्ष तक कराए गए इस विश्लेषण में, सैकड़ों वैज्ञानिकों, मरीज़ों, आस्था हस्तियों, आदिवासी लोगों व अन्य पक्षों के विभिन्न दृष्टिकोणों व नज़रियों का अध्ययन किया गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मुख्य वैज्ञानिक, सौम्या स्वामीनाथन का कहना है, “यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की सलाहकार समिति की ये नई रिपोर्टें, इस तेज़ी से बदलते विज्ञान क्षेत्र के लिये, एक प्रभावशाली बढ़त दर्शाती हैं.”
मानव जीनोम संशोधन या सम्पादन के सम्भावित फ़ायदों में, किसी बीमारी की स्थिति की तेज़ी से और सटीक जाँच-पड़ताल, ज़्यादा लक्षित उपचार और अनुवंशिक बीमारियों या स्वास्थ्य कमज़ोरियों को रोकने की क्षमता शामिल हैं.
इसी तरह की तकनीकों के ज़रिये एचआईवी और लाल रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करने वाली अनुवंशिक बीमारियों का इलाज करने में कामयाबी हासिल हुई है.
इस तकनीक में अनेक प्रकार के कैंसर के बेहतर इलाज की सम्भावना भी मौजूद है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन, इस दिशा में आगे बढ़ते हुए, रजिस्ट्री की दिशा में अगले क़दम के रूप में, विशेषज्ञों की एक छोटी कमेटी आयोजित करेगा.
इसमें इस मुद्दे पर विचार किया जाएगा कि ऐसी मानव जीनोम संशोधन तकनीक का इस्तेमाल करने वाले क्लीनिकल परीक्षणों की बेहतर निगरानी किस तरह की जाए जिनके बारे में चिन्ताएँ व्याप्त हैं.
संगठन, ऐसे परीक्षणों के भागीदारों से एक ऐसी गोपनीय व भरोसेमन्द रिपोर्टिंग प्रणाली बनाने पर काम करेगा जिसमें सम्भवतः ग़ैर-क़ानूनी, ग़ैर-पंजीकृत, अनैतिक और असुरक्षित मानव जीनोम संशोधन या सम्पादन शोध व अन्य गतिविधियों के बारे में जानकारी दी जा सके.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी, शिक्षा व जागरूता, भागीदारी व सशक्तिकरण बढ़ाने के लिये अपने संकल्प के तहत, क्षेत्रीय स्तरों पर विचार-गोष्ठियाँ यानि वैबिनार आयोजित करेगी जिनमें क्षेत्रीय और स्थानीय ज़रूरतों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा.