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कोविड-19 वैक्सीनें और मायोकार्डाइटिस: जोखिम कम, फ़ायदे ज़्यादा

ब्राज़ील में एक स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 वैक्सीन लगाने की तैयारी कर रहा है.
PAHO/Karina Zambrana
ब्राज़ील में एक स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 वैक्सीन लगाने की तैयारी कर रहा है.

कोविड-19 वैक्सीनें और मायोकार्डाइटिस: जोखिम कम, फ़ायदे ज़्यादा

स्वास्थ्य

कोविड-19 टीकाकरण के बाद हृदय में सूजन के मामलों का अध्ययन कर रहे यूएन विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन से होने वाला फ़ायदा, उससे जुड़े जोखिमों की तुलना में कहीं अधिक है. इसके ज़रिये अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या और संक्रमण की वजह से होने वाली मौतों में कमी लाना सम्भव हुआ है.

कोरोनावायरस से बचाव के लिये फ़ाइज़र और मोडर्ना वैक्सीनें, mRNA तकनीक पर आधारित हैं मगर कुछ व्यक्तियों में टीके लगाये जाने के बाद मायोकार्डाइटिस और पेरिकार्डाइटिस के मामले सामने आए हैं.

मायोकार्डाइटिस (myocarditis) से तात्पर्य हृदय की माँसपेशियों में सूजन आने से है जबकि पेरिकार्डाइटिस (pericarditis) में हृदय के इर्दगिर्द मौजूद रेखाओं में सूजन आती है.

वैक्सीन सुरक्षा पर यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की वैश्विक परामर्श समिति ने अपने वक्तव्य में कहा कि मायोकार्डाइटिस के गम्भीर मामले भी सामने आ सकते हैं, मगर आम तौर पर ये मामूली होते हैं और उपचार के ज़रिये ठीक हो जाते हैं.

वैक्सीन के दुष्प्रभाव सम्बन्धी मामलों को दर्ज करने वाली अमेरिकी प्रणाली के अनुसार, वैक्सीन की प्रति 10 लाख दूसरी ख़ुराकों को दिये जाने के बाद पुरुषों में मायोकार्डाइटिस के लगभग 40 मामले और महिलाओं में लगभग 4 मामले सामने आए हैं.

ये आँकड़े 12-29 आयु वर्ग में mRNA वैक्सीन पाने वाले व्यक्तियों के लिये एकत्र किये गए और 11 जून 2021 तक दर्ज मामलों पर आधारित हैं.

30 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में, इस प्रकार के मामलों की दर प्रति दस लाख दूसरी ख़ुराकों में पुरुषों के लिये 2.4 और महिलाओं के लिये 1.0 है.

कोलम्बिया के कोनकॉर्डिया आदिवासी समुदाय की एक महिला को कोविड-19 वैक्सीन की ख़ुराक दी जा रही है.
WHO/Nadege Mazars
कोलम्बिया के कोनकॉर्डिया आदिवासी समुदाय की एक महिला को कोविड-19 वैक्सीन की ख़ुराक दी जा रही है.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी की समिति के मुताबिक ऐसे मामले अक्सर युवा पुरुषों में दिखाई दिये हैं और ऐसा वैक्सीन की दूसरी ख़ुराक दिये जाने के कुछ ही दिन बाद दिखाई दिया है.

समिति का कहना है कि मौजूदा तथ्य दर्शाते हैं कि मायोकार्डाइटिस और mRNA वैक्सीन के बीच सम्बन्ध होने की सम्भावना है.

इससे पहले, योरोपीय मेडिसिन एजेंसी की एक समिति ने भी इसकी सम्भावना व्यक्त की थी.

विशेषज्ञों के अनुसार, वैकल्पिक डेटा स्रोतों का इस्तेमाल कर रहे अन्य अध्ययन जारी हैं और इसे ध्यान में रखते हुए हालात की समीक्षा जारी रहेगी.

यूएन विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि टीका लगवाने के बाद अगर किसी व्यक्ति में मायोकार्डाइटिस या पेरीकार्डाइटिस - छाती में दर्द और लगातार बना रहने वाला दर्द, साँस फूलना व दिल धड़कना - के लक्षण सामने आते हैं तो तत्काल चिकित्सा सहायता ली जानी ज़रूरी है.

साथ ही चिकित्सकों के लिये भी mRNA वैक्सीन दिये जाने के बाद मायोकार्डाइटिस या पेरीकार्डाइटिस के जोखिम के प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है.