कोविड के कारण आय ख़त्म होने के दौर में, बढ़ती क़ीमतें बनीं भुखमरी की दोस्त

संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने गुरूवार को चेतावनी भरे शब्दों में कहा है कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी के प्रभावस्वरूप रोज़गार व आमदनियों के ख़त्म होने और खाद्य पदार्थों की आसमान छूती क़ीमतों के कारण, करोड़ों परिवारों को, भरपेट भोजन नहीं मिल पा रहा है.
यूएन खाद्य एजेंसी का अनुमान है कि दुनिया भर में लगभग 27 करोड़ लोगों गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं या वो भुखमरी के उच्च जोखिम में हैं. ये वर्ष 2020 की तुलना में 40 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी है.
For WFP, high food prices have two effects:1️⃣ They drive up the number of people who need food assistance.2️⃣ They increase the cost of buying commodities for our food assistance. In the first 4 months of 2021, WFP paid 13% more for wheat than it did in the previous year. pic.twitter.com/vhzjimYQ9m
WFP
विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुख्य अर्थशास्त्री आरिफ़ हुसैन ने कहा, “खाद्य पदार्थों की आसमान छूती क़ीमतें, भुखमरी की नई पक्की दोस्त हैं."
"हमारे सामने पहले ही संघर्ष, जलवायु और कोविड-19 जैसी चुनौतियाँ हैं जो एक साथ मिलकर, बड़ी संख्या में लोगों को भुखमरी और बदहाली में धकेल रहे हैं. अब खाद्य पदार्थों की क़ीमतें भी इस इस गुट में शामिल हो गई हैं.”
विश्व खाद्य कार्यक्रम का कहना है कि खाद्य पदार्थों की बढ़ी क़ीमतों का सामना उन देशों में ज़्यादा रहेगा जो खाद्य आयात पर निर्भर हैं या जहाँ जलवायु और संघर्ष सम्बन्धी झटके, स्थानीय खाद्य उत्पादन में बाधाएँ खड़ी करते हैं. इन सूची में वो देश भी शामिल हैं जिनकी आर्थिकि स्थिति नाज़ुक है, खाद्य पदार्थों की कुछ उच्च क़ीमतें, मध्य पूर्व में देखी गई हैं.
इस बीच कुछ देशों की मुद्रा में गिराटव होने के कारण भी स्थानीय खाद्य पदार्थों में उछाल आया है जिनमें ज़िम्बाब्वे, सीरिया, इथियोपिया और वेनेज़ुएला शामिल हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम के बाज़ार पर निगरानी रखने वाली व्यवस्था दिखाती है कि लेबनान में पिछले एक वर्ष के दौरान आर्थिक उथल-पुथल तेज़ हुई है जिसके कारण गेहूँ के आटे की औसत क़ीमत, इस वर्ष मार्च से मई तक के समय में, उससे पहले के तीन महीनों की तुलना में 50 प्रतिशत ज़्यादा थी.
युद्धग्रस्त सीरिया में, भोजन पकाने में इस्तेमाल होने वाले तेल की क़ीमतों में 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी देखी गई है.
मोज़ाम्बीक़ अपने यहाँ उत्तरी इलाक़े में संघर्ष का सामना कर रहा है और वहाँ भी खाद्य पदार्थों की क़ीमतें आसमान छू रही हैं जोकि अफ़्रीका में सबसे ज़्यादा हैं.
विश्व खाद्य कार्यक्रम, दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय सहायता संगठन है, और इसकी खाद्य सहायता, भुखमरी का सामना कर रहे करोड़ों लोगों के लिये ज़िन्दगी और मौत के बीच की रेखा है.
खाद्य पदार्थों की क़ीमतों में उछाल से, उन लोगों पर सीधे तौर पर असर पड़ता है जिन्हें ये एजेंसी खाद्य सहायता मुहैया कराती है. बढ़ती खाद्य क़ीमतों ने उन करोडों परिवारों को भी प्रभावित किया है जिनकी क़ीमतें महामारी द्वारा फैलाए विनाश की भेंट चढ़ गई हैं.
विश्व बैंक के अनुसार, इस संकट के कारण इस वर्ष के अन्त तक, दुनिया भर में, क़रीब 9 करोड़ 70 लाख अतिरिक्त लोग ग़रीबी में धकेले जा सकते हैं.
मुख्य अर्थशास्त्री आरिफ़ हुसैन का कहना है कि जो परिवार अपनी आमदनी का दो तिहाई हिस्सा खाद्य ज़रूरतों पर ख़र्च करते हैं तो ऐसे परिवार, खाद्य पदार्थों की बढ़ी क़ीमतों का दंश पहले ही झेल रहे हैं. ऐसे में कोविड-19 के कारण जिन परिवारों की कुछ आमदनी कम हो गई है या ख़त्म हो गई है तो उन परिवारों पर असर का अन्दाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम, वर्ष 2021 के दौरान दुनिया भर में लगभग 14 करोड़ लोगों तक खाद्य सहायता पहुँचाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है जोकि इस एजेंसी का अभी तक का सबसे बड़ा अभियान होगा.