एसडीजी रिपोर्ट में नज़र आया - कोविड का विनाशकारी प्रभाव, नया अहम दौर शुरू

संयुक्त राष्ट्र की एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया, कोविड-19 महामारी का फैलाव शुरू होने से पहले भी 17 टिकाऊ विकास लक्ष्य हासिल करने की दिशा में अपेक्षित प्रगति के रास्ते पर नहीं थी, और अब चुनौतियाँ कई गुना बढ़ गई हैं. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि देशों को महामारी से उबरने के रास्ते पर अगले 18 महीनों के दौरान अति महत्वूपर्ण क़दम उठाने होंगे.
टिकाऊ विकास लक्ष्य रिपोर्ट 2021, मंगलवार को न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में जारी की गई जिसमें दिखाया गया है कि कोविड-19 महामारी ने 2030 विकास एजेण्डा पर क्या असर डाला है.
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इसके साथ ही वार्षिक उच्च स्तरीय राजनैतिक फ़ोरम (HLPF) भी आधिकारिक रूप से शुरू हो गया है. इस पर एक रिपोर्ट यहाँ देखी जा सकती है.
रिपोर्ट में ध्यान दिलाया गया है कि कोरोनावायरस महामारी के कारण दुनिया भर में लगभग 40 लाख लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 12 करोड़ लोग ग़रीबी और भुखमरी में धकेल दिये गए हैं. क़रीब साढ़े 25 करोड़ पूर्णकालिक रोज़गारों के बराबर कामकाज व आमदनियाँ भी ख़त्म हो गए हैं.
संयुक्त राष्ट्र के अवर महासचिव लियू झेनमिन ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, “महामारी ने विकास प्रगति के अनेक वर्ष या यूँ कहें कि दशक ही उलट दिये हैं या उन पर विराम लगा दिया है. वैश्विक स्तर पर अत्यन्त निर्धनता में, वर्ष 1998 के बाद पहली बार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.”
रिपोर्ट कहती है कि आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं में व्यवधान उत्पन्न होने के कारण, मानसिक व बाल स्वास्थ्य में बेहतरी लाने, टीकाकरण का दायरा बढ़ाने, और संचारी व ग़ैर-संचारी बीमारियाँ कम करने के क्षेत्र में, वर्षों की प्रगति के लिये जोखिम पैदा हो गया है. लगभग 90 प्रतिशत देशों में अब भी ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं में एक या उससे ज़्यादा महत्वपूर्ण व्यवधानों की ख़बरें मिल रही हैं.
रिपोर्ट में ये भी संकेत दिया गया है की महामारी ने देशों के भीतर और देशों के बीच, विषमताएँ और ज़्यादा गहरी कर दी हैं. 17 जून 2021 तक उपलब्ध जानकारी के अनुसार, योरोप और उत्तरी अमेरिका में हर 100 लोगों की संख्या पर औसतन 68 वैक्सीन टीके लगाए गए, जबकि सब सहारा अफ्रीका में ये संख्या 100 लोगों पर 2 टीकों से भी कम थी.
करोड़ों बच्चों के लिये भविष्य में फिर कभी स्कूली शिक्षा के लिये नहीं लौट पाने का जोखिम पैदा हो गया है: बड़ी संख्या में बच्चों को कम उम्र में ही विवाह और बाल मज़दूरी में धकेला जा रहा है.
महामारी के दौरान हुई तालाबन्दियों के कारण, सैलानियों से होने वाली अरबों-ख़रबों डॉलर की रक़म का नुक़सान हुआ है, अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन के ढह जाने से लघु द्वीपीय विकासशील देशों पर अनुपात से ज़्यादा असर पड़ा है, जबकि ये देश पहले से ही संघर्ष कर रहे थे.
अवर महासचिव लियू झेनमिन ने कहा, “निर्धनतम और सबसे कमज़ोर हालात वाले लोगों पर, इस वायरस से संक्रमित होने का बहुत ज़्यादा जोखिम है, और उन्हीं पर सबसे ज़्यादा आर्थिक मार पड़ने का भी ख़तरा है.”
वैसे तो चीन और अमेरिका के नेतृत्व में किये जा रहे प्रयासों की बदौलत आर्थिक पुनर्बहाली कुछ तेज़ी पकड़ रही है, मगर बहुत से देशों में आर्थिक विकास का स्तर, महामारी से पूर्व के स्तर पर, वर्ष 2022 या 2023 से पहले पहुँचने की अपेक्षा नहीं है.
रिपोर्ट में ये भी पुष्टि की गई और जैसाकि यूएन एजेंसियाँ और विश्व मौसम संगठन भी लगातार चेतावनियाँ जारी करते रहे हैं: वर्ष 2020 के दौरान आर्थिक मन्दी ने भी जलवायु संकट को धीमा करने में बहुत कम योगदान किया है, और ये संकट अब भी बेरोकटोक जारी है.
प्रमुख ग्रीनहाउस गैसों का संकेन्द्रण लगातार बढ रहा है, और वैश्विक तापमान, पूर्व औद्योगिक स्तर से लगभग 1.2 डिग्री सेल्सियस ऊपर था, जोकि 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के ख़तरनाक स्तर के नज़दीक था. ध्यान रहे कि ये सीमा पेरिस समझौते में लक्षित है.
विश्व वर्ष 2020 के दौरान, जैव विविधता के नुक़सान को रोकने के क्षेत्र में निर्धारित लक्ष्य हासिल करने में भी बहुत पीछे रहा. उन लक्ष्यों में वर्ष 2015 और 2020 के दौरान हर वर्ष गँवाई गई वन भूमि में से लगभग एक करोड़ हैक्टेयर क्षेत्र को बहाल करना शामिल था.
कोविड-19 महामारी ने लैंगिक समानता की दिशा में हासिल प्रगति को भी पीछे की ओर मोड़ दिया है. महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है, बाल विवाहों में बढ़ोत्तरी का अनुमान है, और महिलाओं को अनुपात से ज़्यादा रोज़गार और आय का नुक़सान उठाना पड़ा है, साथ ही, घरों पर उनकी देखभाल ज़िम्मेदारियों में भी बढ़ोत्तरी हुई है.
उधर वर्ष 2020 के दौरान विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में, वर्ष 2019 की तुलना में 40 प्रतिशत की कमी हुई. रिपोर्ट में दिखाया गया है कि महामारी ने पहाड़ जैसी वित्तीय चुनौतियाँ पेश की है, ख़ासतौर से विकासशील देशों के सामने – और क़र्ज़ का बोझ बेतहाशा बढ़ा है.
अवर महासचिव लियू झेनमिन ने कहा कि रिपोर्ट में टिकाऊ विकास लक्ष्यों के बारे में चिन्ताजनक तस्वीर प्रस्तुत की है. इसके साथ ही इसमें, संकट के दौरान मज़बूती, सक्षमता, सहनशीलता, लचीलेपन, और नवीन सोच की कहानियाँ और उदाहरण भी पेश किये गए हैं, जिनसे संकेत मिलता है कि एक चमकदार भविष्य सम्भव है.
उन्होंने कहा कि संकेत नज़र आ रहे हैं कि देश अपनी पुनर्बहाली योजनाओं में ऐसे क़दम उठा रहे हैं जिनसे टिकाऊ विकास लक्ष्यों के बारे में कार्रवाई की स्थिति बेहतर हो सकती है, और अगले 18 महीने बहुत महत्वपूर्ण हैं.
ध्यान रहे कि संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने वर्ष 2015 में, 2030 विकास एजेण्डा स्वीकृत किया था जिसमें दुनिया भर के लोगों व पृथ्वी ग्रह के लिये, वर्तमान और भविष्य में, शान्ति व ख़ुशहाली का ब्लूप्रिण्ट मुहैया कराया गया है.
इस एजेण्डा के केन्द्र में 17 लक्ष्य हैं जिनके ज़रिये स्वास्थ्य और शिक्षा में बेहतरी लाना, विषमता कम करना, और आर्थिक वृद्धि तेज़ करना, व साथ-साथ जलवायु परिवर्तन का सामना करना और हमारे समुद्रों व वनों को सहेजकर रखना भी है.
वर्ष 2021 की एसडीजी रिपोर्ट, टिकाऊ विकास पर मंगलवार को शुरू हुए उच्चस्तरीय राजनैतिक फ़ोरम के मौक़े पर जारी की गई है. ये फ़ोरम, 2030 के विकास एजेण्डा की समीक्षा करने और उसकी रफ़्तार पर नज़र रखने का प्रमुख यूएन मंच है.
ये उच्चस्तरीय बैठक 15 जुलाई तक चलेगी, जिसका आयोजन संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक व सामाजिक परिषद (ECOSOC) ने किया है. इसके पहले चरण में तीन दिन तक चलने वाली मंत्रिस्तरीय बैठक मंगलवार को शुरू हुई.