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टीगरे में 4 लाख लोग अकाल की चपेट में, तुरन्त सम्पूर्ण युद्धविराम की पुकार

इथियोपिया के टीगरे क्षेत्र में, एक 27 वर्षीय महिला अपनी 6 महीने की बेटी के साथ एक स्वास्थ्य केन्द्र पर. ये बच्ची कुपोषण से पीड़ित है.
© UNICEF
इथियोपिया के टीगरे क्षेत्र में, एक 27 वर्षीय महिला अपनी 6 महीने की बेटी के साथ एक स्वास्थ्य केन्द्र पर. ये बच्ची कुपोषण से पीड़ित है.

टीगरे में 4 लाख लोग अकाल की चपेट में, तुरन्त सम्पूर्ण युद्धविराम की पुकार

शान्ति और सुरक्षा

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इथियोपिया के युद्धग्रस्त क्षेत्र टीगरे में मौजूदा अशान्त स्थिति पर गहरी चिन्ता व्यक्त करते हुए तुरन्त वास्तविक युद्धविराम लागू किये जाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया है ताकि वहाँ एक राजनैतिक समाधान तलाश करने की ख़ातिर संवाद के लिये रास्ता साफ़ किया जा सके.

यूएन महासचिव ने शनिवार को कहा कि टीगरे क्षेत्र में विदेशी बलों की मौजूदगी, वहाँ टकराव का एक भड़काऊ कारक है. 

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यूएन प्रमुख ने इसके साथ ही पूरे टीगरे क्षेत्र में बिल्कुल बाधा रहित मानवीय सहायता पहुँचाने की गारंटी सुनिश्चित करने पर भी ज़ोर दिया है.

उन्होंने कहा है कि टीगरे क्षेत्र में नागरिक बुनियादी ढाँचे की तबाही किया जाना क़तई अस्वीकार्य है.

उधर संयुक्त राष्ट्र के कुछ अन्य शीर्ष अधिकारियों ने शुक्रवार को अपील जारी करके कहा कि टीगरे में मानवीय सहायता मुहैया कराने के रास्ते में आ रही तमाम बाधाएँ दूर की जाएँ और सहायता कर्मियों पर हो रहे जानलेवा हमले बन्द किये जाएँ. 

इस बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने टीगरे में संघर्ष और अशान्ति की स्थिति पर, शुक्रवार को अपनी पहली खुली बैठक आयोजित की.

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता मामलों के लिये कार्यवाहक अवर महासचिव और आपदा राहत संयोजक रमेश राजसिंघम ने कहा कि टीगरे क्षेत्र में लगभग 4 लाख लोग अकाल की स्थिति में दाख़िल हो चुके हैं, और क़रीब 18 लाख अन्य लोग भी अकाल की चपेट में आने के कगार पर हैं.

संयुक्त राष्ट्र के राजनैतिक और शान्तिनिर्माण मामलों की अवर महासचिव रोज़मैरी डी कार्लो ने कहा है कि इथियोपियाई सेनाओं और टीगरे सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई के कारण लगभग 17 लाख लोग विस्थापित हो गए हैं. इनमें से लगभग 60 हज़ार लोग पड़ोसी देश सूडान में शरणार्थी के रूप में पनाह के लिये पहुँचे हैं. 

इस संघर्ष और अशान्त स्थिति में महिलाओं और बच्चों को भी भारी तबाही और निजी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है.

गम्भीर यौन और लैंगिक हिंसा की 1200 घटनाएँ दर्ज की गई हैं जबकि इस तरह की घटनाओं की असल संख्या कहीं ज़्यादा होने की सम्भावना है.

जीवनदायक मोड़

संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत मामलों के कार्यवाहक संयोजक रमेश राजसिंघम ने कहा कि टीगरे में बहुत से लोगों की ज़िन्दगी इस पर निर्भर है कि उन्हें खाद्य सहायता, दवाइयाँ, पोषण सामान और अन्य मानवीय सहायता कितनी जल्दी उपलब्ध कराई जा सकती है.

और ये सहायता उन्हें तुरन्त पहुँचाई जानी चाहिये, बिल्कुल अभी, नाकि अगले सप्ताह.

टीगरे में लगभग 8 महीने पहले यह संकट शुरू होने के बाद, सुरक्षा परिषद की ये पहली आम बैटक थी. हालाँकि इससे पहले भी सुरक्षा परिषद टीगरे की स्थिति पर लगभग 6 बैठकें आयोजित कर चुकी है मगर वो बैठकें और चर्चा बन्द कमरों में थीं.

शुक्रवार को हुई सुरक्षा परिषद की ये बैठक, इथियोपिया की उस घोषणा के चार दिन बाद हुई जिसमें उसने इकतरफ़ा युद्धविराम लागू करने की घोषणा की थी.

लेकिन टीगरे की राजधानी मेकेल्ले और अन्य शहरों और क़स्बों में नियंत्रण रखने वाली टीगरे सुरक्षा सेना ने अभी इस युद्धविराम पर सहमति नहीं जताई है.

लड़ाई तुरन्त रुके

रमेश राजसिंघम ने कहा, “तमाम गुटों को लड़ाई तुरन्त बन्द करनी होगी ताकि आम आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ, उन तक मानवीय सहायता निर्बाध तरीक़े से पहुँचाई जा सके... ये बहुत ज़रूरी है कि हम तुरन्त कार्रवाई करें और वो भी निर्बाध रूप में.”

संयुक्त राष्ट्र के इन वरिष्ठ अधिकारियों ने हाल के दिनों में ऐसे लक्षित हमलों की तीखी निन्दा की है जिनमें कम से कम 12 मानवीय सहायता कर्मियों की मौत हो गई.