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#PledgetoPause: भ्रामक सूचनाओं के फैलाव की रफ़्तार धीमी करने में मिली मदद

एक स्मार्टफ़ोन पर फ़ेसबुक ऐप्लीकेशन
Unsplash/Solen Feyissa
एक स्मार्टफ़ोन पर फ़ेसबुक ऐप्लीकेशन

#PledgetoPause: भ्रामक सूचनाओं के फैलाव की रफ़्तार धीमी करने में मिली मदद

यूएन मामले

संयुक्त राष्ट्र की 'Pause' नामक मुहिम, ऑनलाइन सामग्री शेयर करने यानि आगे बढ़ाने से पहले ठहरकर सोचने और सूचना की सटीकता की पड़ताल किये जाने को बढ़ावा देने पर केन्द्रित है. अमेरिका के एक अग्रणी शोध संस्थान का नया अध्ययन दर्शाता है कि ऑनलाइन व्यवहार में यह बदलाव लाकर, भ्रामक सूचनाओं के फैलाव पर क़ाबू पाना सम्भव है. 

अमेरिका के मैसाचुसेट्स प्रोद्योगिकी संस्थान (MIT) की नई रिपोर्ट बताती है कि ठहर कर सोचने, और फ़ोन, कम्पयूटर या सोशल मीडिया मंचों पर साझा करने से पहले प्राप्त जानकारी के स्रोत, उसकी विश्वसनीयता, प्रासंगिकता व सटीकता के बारे में सवाल पूछने से, ग़लत जानकारी को शेयर किये जाने की प्रवृत्ति को काफ़ी हद तक कम करने में सफलता मिली है. 

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संयुक्त राष्ट्र की ‘वैरीफ़ाइड’ मुहिम ‘Purpose’ नामक एजेंसी के साथ मिलकर शुरू की गई थी. इस मुहिम का उद्देश्य दुनिया भर में कोविड-19 के दौरान, लोगों को विज्ञान आधारित जानकारी के ज़रिये सशक्त बनाना है. 

इस क्रम में, यूएन एजेंसियों, प्रभावशाली हस्तियों, नागरिक समाज, व्यवसायों और सोशल मीडिया मंचों के साथ मिलकर प्रयास किये गए हैं. 

वैरीफ़ाइड मुहिम के अन्तर्गत भरोसेमन्द, सटीक जानकारी तैयार व साझा की गई है. साथ ही लोगों को, ऑनलाइन ग़लत जानकारी के प्रसार को रोकने में योगदान करने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है. 

इस अध्ययन के मुताबिक़, जो प्रतिभागी ‘Pause’ मुहिम की सामग्री देख चुके हैं, उनके द्वारा फ़र्जी समाचारों को साझा करने या आगे बढ़ाने की सम्भावना कम थी. 

संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग (DGC) में अवर महासचिव मेलीसा फ्लेमिंग ने बताया कि भ्रामक जानकारी के फैलाव से निपटने की विशाल ज़िम्मेदारी सभी की है. 

इसके तहत, सामाजिक बदलाव लाने के लिये सभी को साथ आना होगा, व्यवहार्य मानक बदलने होंगे और एक दूसरे को सुरक्षित रखने के लिये एकजुटता का परिचय देना होगा.

“MIT का अध्ययन दर्शाता है कि साझा करने से पहले ठहरना, ना सिर्फ़ सम्भव है बल्कि यह ज़िम्मेदारी भरी बात भी है, विशेष रूप से एक ऐसे दौर में जब सच और झूठ के बीच भेद कर पाना मुश्किल हो गया है.” 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ वर्ष 2020 के पहले तीन महीनों में, कोविड-19 से जुड़ी भ्रामक जानकारियों की वजह से हुए नुक़सान के कारण लगभग छह हज़ार लोग अस्पतालों में भर्ती कराए गए थे. 

ऑनलाइन सामग्री आगे बढ़ाने से पहले, ठहरकर सोचने की इस मुहिम के तहत वर्ष 2020 में क़रीब एक अरब लोगों तक पहुँचने में सफलता मिली थी. 

अब इसके दायरे को बढ़ाकर ज़्यादा लोगों तक पहुँचने का प्रयास किया जा रहा है ताकि आमजन को ज़िम्मेदारी के साथ सूचना को शेयर करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके.

ऑनलाइन मुहिम के इस नए चरण में हैशटैग #PledgetoPause का इस्तेमाल किया जा रहा है और इण्टरनेट पर ठहरकर सोचने के प्रतीकों को साझा करने की अपील की गई है. 

ये अभियान एक ऐसे शोध पर आधारित है जिसमें कोई सूचना या जानकारी शेयर करने या आगे बढ़ाने से पहले थोड़ा ठहरने से, चौंकाने वाली या भावनात्मक सामग्री शेयर करने से पहले उतावलापन कम किया जा सकता है, और झूठी सूचना या ग़लत जानकारी के फैलाव की रफ़्तार धीमी की जा सकती है.