कोविड-19: डेल्टा वेरिएंट की चपेट में अफ़्रीका, योरोपीय देशों पर भी मंडराता ख़तरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चिन्ता जताते हए कहा है कि अफ़्रीका में हर तीन सप्ताह में कोविड-19 संक्रमण के मामलों की संख्या दोगुनी हो रही है. वायरस का डेल्टा नामक एक प्रकार (वेरिएंट) अब तक 16 देशों में फैल चुका है और सबसे ज़्यादा संक्रमण संख्या वाले पाँच में से तीन देशों में मौजूद है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़ कोरोनावायरस का अब तक सबसे संक्रामक यह रूप है, जो इसके अन्य प्रकारों की तुलना में 60 फ़ीसदी अधिक तेज़ी से फैलता है.
New and faster spreading #COVID19 variants are fuelling #Africa's surging third wave. With case numbers doubling every 3 weeks, the #DeltaVariant is spreading to a growing number of countries. It has been reported in 16 countries on the continent so far.https://t.co/bfUpphUCG3
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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि अल्फ़ा और बीटा के साथ-साथ, डेल्टा वेरिएंट अफ़्रीका में संक्रमण की तीसरी लहर की वजह बन गया है और पहले की तुलना में मामलों की संख्या त्वरित गति से आगे बढ़ रही है.
यूएन विशेषज्ञों ने गुरूवार को चेतावनी जारी की है कि पिछले लगातार छह हफ़्तों से संक्रमण के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही है. पिछले सप्ताह यह 25 फ़ीसदी तक बढ़कर दो लाख से ज़्यादा मामलों तक पहुँच गई.
मृतक संख्या भी 38 अफ़्रीकी देशों में 15 प्रतिशत तक बढ़ी है और अब यह लगभग तीन हज़ार तक पहुँच गई है.
डेल्टा वेरिएंट के मामले शुरू में भारत में सामने आए थे, और अब यह दक्षिण अफ़्रीका को अपनी चपेट में ले चुका है.
अफ़्रीका में पिछले सप्ताह संक्रमण के जितने मामले सामने आए, उनमें से आधे से अधिक दक्षिण अफ़्रीका में दर्ज किये गए.
युगाण्डा में जितने नमूनों की जाँच-पड़ताल और शिनाख़्त की गई, उनमें 97 फ़ीसदी मामलों में वायरस का यह प्रकार दिखाई दिया है जबकि काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में यह आँकड़ा 79 प्रतिशत है.
डेल्टा वेरिएंट, युवा वयस्कों में भी बीमारी की वजह बन रहा है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के मुताबिक़, 45 वर्ष से कम आयु वर्ग में गम्भीर बीमारी के 66 फ़ीसदी मामलों के लिये डेल्टा वेरिएंट ज़िम्मेदार है.
इसके अलावा, एल्फ़ा वेरिएंट 32 देशों में पाया गया है जिनमें अधिकाँश उत्तर, पश्चिम और मध्य अफ़्रीका के देश हैं.
वहीं, बीटा वेरिएंट के मामले 27 देशों में सामने आए हैं जिनमें से अधिकाँश दक्षिण में हैं.
ये दोनों प्रकार भी, मूल वायरस की तुलना में अधिक संक्रामक बताए गए हैं. संक्रमण के बढ़ते मामलों और अस्पतालों में भर्ती होने वाले संक्रमित लोगों की संख्या के मद्देनज़र, अफ़्रीका में ऑक्सीजन की माँग, पहली लहर की तुलना में 50 फ़ीसदी तक बढ़ गई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने अब तक आपात इस्तेमाल सूची में आठ वैक्सीनों को स्वीकृति दी है, मगर अफ़्रीका तक उनकी खेप पहुँच नहीं आ पा रही है.
बताया गया है कि अभी तक केवल डेढ़ करोड़ लोगों का ही पूर्ण टीकाकरण हो पाया है, जो कि अफ़्रीकी आबादी का महज़ 1.2 प्रतिशत ही है.
योरोप: संक्रमण मामलों में फिर वृद्धि
योरोपीय क्षेत्र के 53 देशों में पिछले दस हफ़्तों से कोविड-19 मामलों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही थी, मगर अब यह थम गई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी में योरोपीय क्षेत्र के लिये निदेशक हैन्स क्लुगे ने बताया कि पिछले सप्ताहस मामलों की संख्या 10 फ़ीसदी तक बढ़ी है, जिसकी वजह सामाजिक स्तर पर घुलना-मिलना, यात्रा, सभाएँ और सामाजिक पाबन्दियों में ढिलाई दिया जाना है.

उन्होंने चिन्ता जताई कि डेल्टा, अब अल्फ़ा को पीछे छोड़ रहा है और अगस्त महीने तक योरोपीय क्षेत्र में, संक्रमण मामलों में डेल्टा वेरिएंट का हिस्सा सबसे अधिक होने की सम्भावना है.
मगर, अगस्त महीने तक योरोप में पर्याप्त संख्या में लोगों का टीकाकरण होने की सम्भावना नहीं है. 63 प्रतिशत लोग अब भी अपने लिये टीके की पहली ख़ुराक का इन्तज़ार कर रहे हैं और क्षेत्र में पाबन्दियाँ कम की जा रही हैं.
डॉक्टर क्लुगे ने बताया कि कोरोनावायरस वैक्सीन, डेल्टा वेरिएंट के ख़िलाफ़ प्रभावी हैं, मगर इसके लिये दोनों ख़ुराकें लिया जाना ज़रूरी है.
उन्होंने आगाह किया कि टीकाकरण में देरी होने से लोगों की जान जाने और अर्थव्यवस्थाओं को नुक़सान होने की आशंका है और वायरस के नए प्रकारों के उभरने का भी ख़तरा बना रहेगा.
विश्व भर में, कोविड-19 के संक्रमण के 18 करोड़ 17 लाख से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हो चुकी है, 39 लाख 42 हज़ार से अधिक लोगों की मौत हुई है और वैक्सीन की दो अरब 95 करोड़ ख़ुराकें दी जा चुकी हैं.