सुरक्षा परिषद में महासचिव - सशस्त्र संघर्षों से बच्चों को बचाना होगा
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने क्षोभ जताया है कि युद्ध व हिंसक टकरावों के दौरान बच्चों के अधिकारों का तिरस्कार, स्तब्धकारी और हृदयविदारक है. रिपोर्ट बताती है कि आठ हज़ार 400 से अधिक बच्चों की मौजूदा सशस्त्र संघर्षों में या तो मौत हो गई या फिर वे अपंगता का शिकार हो गए.
महासचिव गुटेरेश ने सोमवार को सुरक्षा परिषद की एक वर्चुअल, उच्चस्तरीय बैठक के दौरान, युद्धरत पक्षों से, लड़के व लड़कियों के विरुद्ध हिंसा की रोकथाम को प्राथमिकता दिये जाने का आग्रह किया.
साथ ही उन्होंने सदस्य देशों का आहवान किया है कि बाल अधिकारों की रक्षा के लिये हर समय समर्थन दिया जाना होगा.
“हिंसक संघर्ष में बच्चों के लिये कोई स्थान नहीं है, और हमें हिंसक संघर्ष में, बच्चों के अधिकारों को कुचले जाने की अनुमति नहीं देनी होगी.”
यूएन प्रमुख ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए, सशस्त्र संघर्ष और बच्चों के मुद्दे पर अपनी ताज़ा रिपोर्ट को पेश किया. जो कि पिछले सप्ताह प्रकाशित हुई थी.
रिपोर्ट दर्शाती है कि वर्ष 2020 में 19 हज़ार से ज़्यादा लड़के-लड़कियों को सीधे तौर पर, एक या उससे अधिक अधिकार हनन के गम्भीर मामलों की पीड़ा झेलनी पड़ी है.
अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया और काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य देशों में सबसे अधिक अधिकार हनन के मामले देखने को मिले हैं.
बाल सैनिकों के रूप में भर्ती व इस्तेमाल, हत्या व अपंग बनाए जाने और मानवीय राहत तक पहुँच से रोके जाने के बड़ी संख्या में मामले सामने आए.
“नए और बेहद चिन्ताजनक रूझान उभरे हैं: अगवा किये जाने वाले बच्चों की संख्या और लड़के-लड़कियों के विरुद्ध यौन हिंसा में भीषण वृद्धि.”
उन्होंने कहा कि स्कूलों व अस्पतालों पर हमले हो रहे हैं, उनमें लूटपाट हो रही है, तबाह किया जा रहा है और सैन्य गतिविधियों के लिये इस्तेमाल हो रहा है.
लड़कियों के लिये शिक्षा केन्द्रों व स्वास्थ्य केन्द्रों को कहीं ज़्यादा बड़ी संख्या में निशाना बनाया गया है.
महामारी से गहराया संकट
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक हेनरीएटा फ़ोर ने बताया कि कोविड-19 महामारी से दुनिया भर में बच्चों पर असर हुआ है, मगर उन बच्चों के लिये पीड़ा ज़्यादा गहरी है जो हिंसक संघर्षों की चपेट में हैं.
उन्होंने यूएन महासचिव की पिछले वर्ष जारी युद्धविराम की अपील का उल्लेख करते हुए कहा, “हमने उम्मीद की थी हिंसक संघर्ष में शामिल पक्ष अपना ध्यान, एक दूसरे से लड़ने के बजाय, वायरस का मुक़ाबला करने में करेंगे.”
“दुखद है, जैसा कि वार्षिक रिपोर्ट दर्शाती है, यह पुकार अनसुनी कर दी गई.”
यूएन एजेंसी की प्रमुख ने कहा कि अपने हथियारों को डालने के बजाय, युद्धरत पक्षों ने लड़ाई जारी रखी, जिससे संयुक्त राष्ट्र और साझीदार संगठनों के लिये ज़रूरतमन्द बच्चों तक पहुँचना मुश्किल हो गया.
उन्होंने कहा कि तालाबन्दियों और यात्रा पाबन्दियों के कारण, बच्चों तक मदद पहुँचाने का पहले से ही कठिन काम अब और चुनौतीपूर्ण हो गया है.
इन हालात में बच्चों तक जीवनरक्षक सहायता पहुँचाने की क्षमता प्रभावित हुई है.