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स्वास्थ्य देखभाल में एआई के इस्तेमाल पर नई रिपोर्ट – छह दिशानिर्देशक सिद्धान्त पेश

कुछ सम्पन्न देशों में कृत्रिम बुद्धिमता टैक्नॉलॉजी पहले से ही इस्तेमाल में लाई जा रही है.
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कुछ सम्पन्न देशों में कृत्रिम बुद्धिमता टैक्नॉलॉजी पहले से ही इस्तेमाल में लाई जा रही है.

स्वास्थ्य देखभाल में एआई के इस्तेमाल पर नई रिपोर्ट – छह दिशानिर्देशक सिद्धान्त पेश

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कृत्रिम बुद्धिमता (Artificial Intelligence) के उपयोग से दुनिया भर में लाखों लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है, मगर यह ज़रूरी है कि इसके विकास, तैनाती और इस्तेमाल के केन्द्र में मानवाधिकारों और आचार-शास्त्र को रखा जाए.   

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने सोमवार को कहा, “सभी नई टैक्नॉलॉजी की तरह, कृत्रिम बुद्धिमता...का भी ग़लत इस्तेमाल किया जा सकता है और यह नुक़सान की वजह बन सकती है.”

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इसे ध्यान में रखते हुए, स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस/एआई से प्राप्त अवसरों का अधिकतम लाभ उठाने और जोखिमों को सीमित करने के लिये छह सिद्धान्तों को पेश किया गया है.  

यूएन एजेंसी की नई रिपोर्ट ‘Ethics and governance of artificial intelligence for health’ बताती है कि एआई कुछ सम्पन्न देशों में पहले से ही इस्तेमाल में लाई जा रही है. 

इसके ज़रिये रोग की जाँच व निदान की गति व सटीकता, स्वास्थ्य देखभाल, शोध व दवाओं के विकास और सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों को बेहतर बनाने में मदद मिली है. 

एआई की मदद से मरीज़ों को अपनी स्वास्थ्य देखभाल का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिये सशक्त बनाया जा सकता है और संसाधन-निर्धन देशों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता में पसरी खाई को कम किया जा सकता है.  

हालांकि रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि स्वास्थ्य के लिये फ़ायदों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने से बचना होगा.

साथ ही, सार्वजनिक स्वास्थ्य कवरेज को हासिल करने के लिये बुनियादी निवेशों व रणनीतियों से पीछे नहीं हटना होगा.  

नई रिपोर्ट के मुताबिक एआई से उपज रहे अवसर व जोखिम आपस में जुड़े हुए हैं.

इसके मद्देनज़र, स्वास्थ्य डेटा के अनैतिक संग्रह व इस्तेमाल और एल्गोरिथम के पूर्वाग्रहों के प्रति सतर्कता बरतनी होगी और साइबर सुरक्षा, मरीज़ों की सुरक्षा, व पर्यावरण का ख़याल रखा जाना होगा. 

यूएन एजेंसी ने सचेत किया है कि उच्च-आय वाले देशों में व्यक्तियों से एकत्र किये गए डेटा के आधार पर निम्न और मध्य-आय वाले देशों के लिये प्रणालियों को तैयार किया जाना ठीक नहीं होगा. 

इस पृष्ठभूमि में सामाजिक-आर्थिक विविधताओं और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की परिस्थितियों को परिलक्षित करते हुए ही एआई प्रणालियों को तैयार किया जाना होगा. 

सामुदायिक सम्पर्क व बातचीत को बढ़ावा देने और डिजिटल प्रशिक्षण की इसमें अहम भूमिका है – विशेष रूप से उन स्वास्थ्यकर्मियों के लिये जिन्हें डिजिटल साक्षरता या पुन: प्रशिक्षण की आवश्यकता है. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने निम्न छह सिद्धान्तों को पेश किया है: 

- स्वास्थ्य देखभाल सम्बन्धी निर्णयों में मानवीय स्वायत्ता की रक्षा करना

- निजता व गोपनीयता की सुरक्षा और उपयुक्त क़ानूनी फ़्रेमवर्क को सुनिश्चित करना

- सुरक्षा, सटीकता व कारगरता के लिये नियामन आवश्यकताओ को पूरा किया जाना

- एआई टैक्नॉलॉजी के डिज़ाइन या तैनाती से पहले सूचना का प्रकाशन या दस्तावेज़ीकरण होना

- स्वास्थ्य सुविधाओं में एआई के इस्तेमाल के दौरान समावेशन व समता का ख़याल रखा जाना

- ऐप्लीकेशन के वास्तविक इस्तेमाल के दौरान उम्मीदों व आवश्यकताओं के अनुरूप उसकी पारदर्शी समीक्षा