विधवाओं को सहारा व सम्मान देने के लिये ठोस नीतियों का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान, विश्व भर में विधवा महिलाओं की संख्या व उनके लिये चुनौतियाँ बढ़ी है. इसके मद्देनज़र, पुनर्बहाली प्रयासों में उनकी विशिष्ट ज़रूरतों को प्राथमिकता दी जानी होगी.
यूएन प्रमुख ने बुधवार, 23 जून, को अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस पर अपने सन्देश में आगाह किया कि अनेक विधवा महिलाओं के लिये अपने पति को खोना, अपनी पहचान, भूमि अधिकार, सम्पत्ति, आय और सम्भवत: अपने बच्चों को खोना भी है.
For many women, the devastating loss of a partner is magnified by a long-term fight for their basic rights and dignity. On #WidowsDay, explore some of the issues affecting widows and how to solve them.https://t.co/EvOCe682Hc
UN_Women
उन्होंने कहा कि एक बेहद गम्भीर भावनात्मक सदमे से गुज़रते समय, उनकी शारीरिक सुरक्षा के लिये भी बड़ा जोखिम पैदा हो जाता है.
विश्व में 25 करोड़ 80 लाख से अधिक विधवाएँ हैं और अनेक समाजों में उन्हें बेसहारा, उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है.
विकासशील देशों में विधवाओं को ग़रीबी, हिंसा, स्वास्थ्य समस्याओं, हिंसक संघर्ष सम्बन्धी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
हर वर्ष, 23 जून को मनाया जाने वाला अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस, उनसे जुड़े मुद्दों व समस्याओं को परखने और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने व बढ़ावा देने का एक अवसर है.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि वारिस के तौर पर सम्पत्ति पाने व उसके स्वामित्व के अधिकार सहित अन्य मानवाधिकार, वैवाहिक दर्जे पर आधारित नहीं होने चाहिएं.
“महामारी पर जवाबी कार्रवाई के तहत, सरकारों को आर्थिक व सामाजिक समर्थन प्रदान करते समय, विश्व की 25 करोड़ विधवाओं को भी ध्यान में रखना होगा.”
महामारी की चपेट में आने से पहले भी, हर दस में से लगभग एक विधवा महिला, अत्यधिक निर्धनता में रहने की मजबूर थी.
यूएन प्रमुख के मुताबिक अक्सर, विधवा महिलाओं पर अपने पूरे परिवार के भरण-पोषण की ज़िम्मेदारी होती है और इसलिये, नक़दी व पेन्शन सहित अन्य सामाजिक सहायता उपायों से उनकी मदद की जा सकती है.
“कम नज़र आने वाली इन महिलाओं तक पहुँचने के लिये सरकारों को विशेष प्रयास सुनिश्चित करने होंगे. उदाहरणस्वरूप, उनके लिये जिनके पास पहचान-पत्र या बैन्क खाते नहीं हैं.”
महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने लैंगिक समानता अधिकारों को बढ़ावा देने वाले क़ानूनों व नीतियों को समर्थन देने के साथ-साथ ऐसे सभी भेदभावपूर्ण क़ानूनों को रद्द करने की पुकार लगाई है जिनसे महिलाओं की आधीनता व बहिष्करण को बढ़ावा मिलता हो.
बताया गया है कि अनेक देशों में भेदभावपूर्ण विरासत क़ानूनों की वजह से विधवाओं को अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
उन्होंने क्षोभ जताया कि विधवा महिलाओं का उत्पीड़न और सम्पत्ति की वारिस होने के अधिकार से वंचित किया जाना, लैंगिक भेदभाव का बदतर उदाहरण है.
यूएन प्रमुख ने अन्तरराष्ट्रीय विधवा दिवस पर, सभी से विधवा महिलाओं के लिये समाज में एक सम्मानजनक स्थान सुनिश्चित किये जाने का आहवान किया है.
इसके समानान्तर, उनके लिये क़ानूनी व सामाजिक संरक्षा उपायों का ख़याल रखा जाना होगा ताकि वे शान्ति से अपनी गुज़र-बसर कर सकें.