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अफ़ग़ानिस्तान: गहराते संकट को टालने के लिये कारगर उपाय ज़रूरी

अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में सामान ले जा रही महिलाएँ.
World Bank/Ghullam Abbas Farzami
अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में सामान ले जा रही महिलाएँ.

अफ़ग़ानिस्तान: गहराते संकट को टालने के लिये कारगर उपाय ज़रूरी

शान्ति और सुरक्षा

अफ़ग़ानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (UNAMA) की प्रमुख और विशेष प्रतिनिधि डेबराह लियोन्स ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद को जानकारी देते हुए चिन्ता जताई है कि अन्तरराष्ट्रीय सैनिकों की वापसी के मद्देनज़र, देश में गम्भीर हालात पैदा होने की आशंका है. 

उन्होंने कहा कि राजनीति से सुरक्षा व्यवस्था और शान्ति प्रक्रिया से अर्थव्यवस्था तक, हर क्षेत्र में ख़तरे मौजूद नज़र आ रहे हैं और हालात बद से बदतर हो रहे हैं. 

उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान के लिये एक ही दिशा में आगे बढ़ना स्वीकार्य है – रणभूमि से दूर और बातचीत की मेज़ पर वापसी.

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महासचिव एंतोनियो गुटेरेश की विशेष प्रतिनिधि डेबराह लियोन्स ने कहा, “अफ़ग़ान जनता के अनवरत जज़्बे और अविश्वसनीय सहनक्षमता की कठिन परीक्षा ली जा रही है.”

उन्होंने आगाह किया कि अफ़ग़ानिस्तान में घटनाक्रम के वैश्विक नतीजे होंगे और इसलिये, सुरक्षा परिषद को हालात की गम्भीरता को पूर्ण रूप से समझने की आवश्यकता है.

इस वर्ष अप्रैल में क़रीब दो दशकों बाद अमेरिका के नेतृत्व में सैनिकों की वापसी की घोषणा की गई, जिसे उन्होंने देश के लिये एक बड़ा झटका क़रार दिया. 

यूएन की विशेष प्रतिनिधि ने सचेत किया कि काबुल में आम जनता और राजनयिक समुदाय में, राजनैतिक एकता की कमी से चिन्ता है जिसे दूर किया जाना होगा.

इसके अभाव में तालिबान का दबदबा बढ़ने की आशंका जताई गई है, जिसने मई की शुरुआत से, सैन्य गतिविधियों को तेज़ करते हुए अफ़ग़ानिस्तान के 370 में से 50 ज़िलों को अपने नियंत्रण में ले लिया है.

“अधिकाँश ऐसे ज़िलों पर क़ब्ज़ा किया गया है जो प्रान्तीय राजधानियों के पास हैं, यानि विदेशी सैनिकों की पूर्ण वापसी के बाद तालिबान इन राजधानियों पर नियंत्रण की तैयारियों में जुटा है.” 

डेबराह लियोन्स के मुताबिक काबुल में सेना द्वारा चुनी गई कोई भी सरकार, अफ़ग़ान जनता की आकाँक्षाओं और क्षेत्रीय देशों व वृहद अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की इच्छाओं के विरुद्ध होगी. 

संकटों में घिरा देश 

अफ़ग़ानिस्तान की एक-तिहाई आबादी आपात स्तर पर खाद्य असुरक्षा से पीड़ित है, सूखे की वजह से हालात गम्भीर हैं और घरेलू विस्थापन के मामले बढ़ रहे हैं. 

“विश्व बैन्क का अनुमान है कि हिंसक संघर्ष के परिणामस्वरूप, कोविड की गम्भीर तीसरी लहर, सूखे और क्षतिग्रस्त सामाजिक ताने-बाने और अन्य कारणों की वजह से अफ़ग़ानिस्तान में ग़रीबी 50 फ़ीसदी से बढ़कर 70 प्रतिशत तक पहुँच सकती है.”

अन्तरराष्ट्रीय मानवीय राहत की अहमियत को दर्शाये जाने के बावजूद, हाल के समय में ज़रूरी सहायता धनराशि (एक अरब 30 करोड़ डॉलर) के महज़ 30 फ़ीसदी का ही इन्तज़ाम हो पाया है. 

वर्ष की पहली तिमाही में, हताहत होने वाले आम नागरिकों की संख्या में, पिछले वर्ष की तुलना में 29 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है.

महिला हताहतों की संख्या में 37 प्रतिशत और बच्चों की संख्या में 23 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है.   

यूएन मिशन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि युद्धरत पक्षों को जल्द से जल्द नागरिक संरक्षा उपायों को लागू करना होगा और महिला अधिकारों की रक्षा की जानी होगी.