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मानवाधिकार के मोर्चे पर बड़ी चुनौतियाँ - 'नए सामाजिक अनुबन्ध' का आहवान

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए. (फ़ाइल)
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यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए. (फ़ाइल)

मानवाधिकार के मोर्चे पर बड़ी चुनौतियाँ - 'नए सामाजिक अनुबन्ध' का आहवान

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मामलों की प्रमुख मिशेल बाशेलेट ने सदस्य देशों से, महामारी गुज़र जाने के बाद, एक ज़्यादा समावेशी पुनर्बहाली प्रक्रिया को बढ़ावा देने का आग्रह किया है.

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि इससे दुनिया के सबसे निर्बल समुदायों को कोविड-19 महामारी के प्रभावों से उबरने में मदद मिलेगी.  

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उन्होंने जिनीवा में मानवाधिकार परिषद के 47वें सत्र के दौरान अपने उदघाटन सम्बोधन में चिन्ता जताई कि पिछले 18 महीनों में, अत्यधिक ग़रीबी, विषमता और अन्याय बढ़ा है, और लोकतंत्र व नागरिक समाज के लिये स्थान सिकुड़ा है. 

उच्चायुक्त बाशेलेट ने सचेत किया कि ये सभी ऐसी समस्याएँ हैं, जिन्हें महासचिव एंतोनियो गुटेरेश द्वारा जारी ‘नए सामाजिक अनुबन्ध’ की पुकार को समर्थन देकर पूरा किया जा सकता है. 

बताया गया है कि इस पहल को एकजुटता की नए वैश्विक समझौते के ज़रिये सहारा दिया जा सकता है, जिसमें शक्ति, संसाधन और अवसरों को ज़्यादा निष्पक्ष ढंग से साझा किया जाएगा.

यह संयुक्त राष्ट्र के उस वृहद एजेण्डा के अनुरूप है, जिसे महासचिव एंतोनियो गुटेरेश इस वर्ष सितम्बर में जनरल असेम्बली के समक्ष प्रस्तुत करना चाहते हैं.   

भरोसा, शान्ति व विकास

मानवाधिकार हाई कमिश्नर ने कहा कि ये ऐसे निडर उपाय हैं जिनमें समुचित व समावेशी विकास, टिकाऊ शान्ति, और भरोसे की बुनियाद पर समाजों का निर्माण करने के लिये, मानवाधिकारों की शक्ति पर अभूतपूर्व ध्यान केंद्रित किया गया है.

मिशेल बाशेलेट ने माना कि बहुत से देशों को वैश्विक व्यापार के पतन, धन-प्रेषण में गिरावट, वस्तुओं की क़ीमत के घटने और कर्ज़ के बोझ का सामना करना पड़ रहा है. 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि समावेशी, हरित, टिकाऊ और सुदृढ़ भविष्य के लिये रास्ता बनाना, इस पीढ़ी के नेताओं के लिये एक बड़ा कार्य है.  

मानवाधिकार प्रमुख के मुताबिक भ्रष्टाचार और ग़ैरक़ानूनी वित्तीय लेनदेन से मुक़ाबले के लिये साबित हो चुके उपायों, प्रगतिशील नीतियों, बजट पारदर्शिता, और अन्य उपायों के ज़रिये आर्थिक व सामाजिक अधिकारों के वादे को पूरा किया जा सकता है.  

उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन देशों ने सामाजिक संरक्षा में निवेश किया था, उनमें इस संकट से बेहतर ढँग से निपटने की क्षमता थी. 

नए सामाजिक अनुबन्ध के ज़रिये सार्वजनिक भरोसे को बुनियादी अधिकारों के लिये ज़्यादा मज़बूत समर्थन के ज़रिये फिर से बहाल किया जाएगा. 

यूएन की शीर्ष अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि ऐसे समाजों को स्थापित किया जाना बेहद अहम है, जिनमें नीतिनिर्धारक, विषमताओं से मुक़ाबले, सामाजिक संरक्षा, स्वास्थ्य व शिक्षा को बढ़ावा देने को प्राथमिकता दें.