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शरणार्थियों के लिये हमदर्दी और सहारे की अपील

चिली में दस हज़ार से अधिक शरणार्थी व शरण की तलाश कर रहे लोग रहते हैं.
© UNHCR/Cristian Campos
चिली में दस हज़ार से अधिक शरणार्थी व शरण की तलाश कर रहे लोग रहते हैं.

शरणार्थियों के लिये हमदर्दी और सहारे की अपील

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार, 20 जून, को विश्व शरणार्थी दिवस के अवसर पर जारी अपने सन्देश में शरणार्थियों के लिये सम्वेदना व हमदर्दी की अपील की है. 

यूएन प्रमुख ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने शरणार्थियों की आजीविकाओं को तबाह कर दिया है, उन पर दोष मढ़े गए और मिथ्यारोपण किये गए.  

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“एक बेहद मुश्किल साल के बाद, यह हर किसी का फ़र्ज़ है कि जीवन को फिर से पटरी पर लाने में शरणार्थियों की मदद की जाए.” 

उन्होंने कहा कि हिंसक संघर्षों, जलवायु झटकों, उत्पीड़न के माहौल से जान बचाकर भागने वाले शरणार्थियों के लिये हमदर्दी और समर्थन की दरकार है. 

यूएन प्रमुख ने सचेत किया कि वायरस की वजह से शरणार्थियों पर विषमतापूर्ण असर हुआ है.

साथ ही उन्होंने ध्यान दिलाया कि कठिन हालात में भी शरणार्थियों ने मेज़बान देशों में अति-आवश्यक सेवाओं को जारी रखने और अग्रिम मोर्चे पर जुटे कर्मचारियों के रूप में मूल्यवान योगदान दिया है.

“शरणार्थियों को अपने जीवन का फिर से निर्माण करने में मदद करना हमारा फ़र्ज़ है...कोविड-19 ने दिखाया है कि हम एक साथ खड़े होकर ही सफल हो सकते हैं.”

एंतोनियो गुटेरेश ने महासचिव पद से पहले, दस वर्ष तक यूएन शरणार्थी एजेंसी की बागडोर सम्भाली थी. उन्होंने समुदायों व सरकारों से आग्रह किया कि शरणार्थियों को स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा व खेलकूद में शामिल किये जाने की आवश्यकता है.

इससे एक ज़्यादा समावेशी और भेदभाव से दूर भविष्य का निर्माण करने में मदद मिलेगी. 

महासचिव गुटेरेश ने शरणार्थियों और विस्थापितों के साहस व सहनक्षमता के लिये उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने उम्मीद व हालात से उबरने की शक्ति का सबक़ सिखाया है.   

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) के मुताबिक, अन्तरराष्ट्रीय संरक्षण के ज़रूरतमन्दों की संख्या, पिछले वर्ष बढ़कर लगभग आठ करोड़ 24 लाख तक पहुँच गई. 2019 में यह आँकड़ा सात करोड़ 95 लाख था – यानि चार प्रतिशत की वृद्धि हुई है.  

यूएन एजेंसी ने शरणार्थी मुद्दों पर मौजूदा वैश्विक रूझानों पर अपनी एक रिपोर्ट शुक्रवार को जारी की है. रिपोर्ट दर्शाती है कि कोरोनावायरस संकट काल में जबरन विस्थापन के मामलों में कमी आने के बजाय तेज़ी आई है. 

युद्ध, हिंसा और मानवाधिकार उल्लंघन की वजह से जान बचाकर भाग रहे लोगों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गई है.

रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि इन हालात की आंशिक वजह कोविड-19 महामारी भी हो सकती है.