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व्यवसाय व मानवाधिकारों पर मार्गदर्शक सिद्धान्तों के लिये 'असाधारण लम्हा'

कम्बोडिया में जूते-चप्पल बनाने वाली एक फ़ैक्ट्री में कामगार.
ILO/Marcel Crozet
कम्बोडिया में जूते-चप्पल बनाने वाली एक फ़ैक्ट्री में कामगार.

व्यवसाय व मानवाधिकारों पर मार्गदर्शक सिद्धान्तों के लिये 'असाधारण लम्हा'

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा है कि पहले से ज़्यादा संख्या में कम्पनियाँ, मानवाधिकारों का सम्मान करने के लिये संकल्प ले रही हैं, इसके बावजूद ख़ामियाँ व चुनौतियाँ बरक़रार हैं.

व्यवसाय व मानवाधिकारों के मुद्दे पर मार्गदर्शक सिन्द्धान्तों की दसवीं वर्षगाँठ के अवसर पर, यूएन विशेषज्ञों के एक समूह ने एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें व्यवसायों द्वारा आमजन व पृथ्वी के कल्याण को ध्यान में रखने के लिये स्थापित मानकों का जायज़ा लिया गया है.

यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि व्यवसाय और मानवाधिकारों के विषय पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धान्तों (UN Guiding Principles on Business and Human Rights) की दसवीं वर्षगाँठ, एक अहम पड़ाव को प्रदर्शित करती है.

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उन्होंने इसे देशों व कॉरपोरेशन के लिये, कार्रवाई के नए दशक के लिये तैयार होने का अवसर बताया है.

व्यवसाय और मानवाधिकारों पर यूएन के वर्किंग समूह ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद में मार्गदर्शक सिद्धान्तों के सर्वसम्मति से पारित होने के बाद से अब तक हुई प्रगति का जायज़ा लिया है.  

सदस्यों ने बताया कि योरोप में हाल के समय में पेश क़ानूनों में, व्यवसायों के लिये मानवाधिकारों व पर्यावरण का सम्मान करने को एक अनिवार्य शर्त बनाया गया है.

वहीं, सभी क्षेत्रों में सरकारें, राष्ट्रीय कार्रवाई योजनाओं को तैयार करने पर काम कर रही हैं.

उनके मुताबिक रफ़्तार अभी धीमी है, मगर ये महत्वपूर्ण प्रगति, व्यवसायों की मानवाधिकारों के प्रति ज़िम्मेदारी और उसके लिये उभरती जागरूकता को दर्शाती हैं.

एक दशक पूर्व ऐसी स्थिति नहीं थी.

मार्गदर्शक सिद्धान्तों के ज़रिये कर्मचारी संघों, प्रभावित समुदायों और नागरिक समाज को एक ऐसा फ़्रेमवर्क प्राप्त हुआ है, जिसके ज़रिये व्यवसायों से लोगों व पृथ्वी को होने वाली हानि के लिये जवाबदेही की माँग की जा सकती है.

दुर्व्यवहार के मामले

इसके बावजूद, समुदायों व कामगारों को व्यवसाय-सम्बन्धी दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है, जो हर सैक्टर व क्षेत्र में व्याप्त है. प्रभावितों में आदिवासी लोग भी हैं.

यूएन विशेषज्ञों के मुताबिक संरक्षण व कष्ट-निवारण की सम्भावनाएँ कम हैं, और अपनी आवाज़ मुखर करने वाले कार्यकर्ताओं को कथित कलंक, धमकियों और घातक हमलों का सामना करना पड़ता है.  

उन्होंने कहा कि व्यवसायो में, व्यक्तियों व पृथ्वी के लिये सम्मान का होना बेहद ज़रूरी है पर यह अक्सर नदारद होता है.

बदतर हालात में, सम्मान के अभाव में सर्वजन के लिये टिकाऊ भविष्य ख़तरे में पड़ सकता है.

“मार्गदर्शक सिद्दान्त, देशों व व्यवसायों के लिये एक ऐसे भविष्य को हासिल करने के लिये रोडमैप प्रदान करते हैं. मगर उन्हें अपने प्रयासों को तेज़ करने की आवश्यकता है.”

बताया गया है कि हर देश को मार्गदर्शक सिद्धान्तों को लागू करना, अपनी शीर्ष शासन- व नीति- सम्बन्धी प्राथमिकता बनानी होगी. इसके अलावा, सभी व्यवसायों को अपनी कॉरपोरेट संस्कृति में मानवाधिकारों के लिये सम्मान को हिस्सेदारी देनी होगी.

जैसे-जैसे देश, कोविड-19 महामारी के विनाशकारी असर से उबर रहे हैं, पुनर्बहाली प्रक्रिया के दौरान और अधिक प्रगति को हासिल कर पाना सम्भव है.

व्यवसाय और मानवाधिकारों पर यूएन के वर्किंग समूह में सदस्यों का चयन मानवाधिकार परिषद द्वारा किया जाता है. पाँचों विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं हैं और उन्हें उनके काम के लिये कोई वेतन नहीं मिलता है.