बढ़ते ई-कचरे से बच्चों के स्वास्थ्य के लिये ख़तरा - WHO
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ई-कचरे पर अपनी पहली रिपोर्ट जारी करते हुए, इस बढ़ते स्वास्थ्य जोखिम से बच्चों की रक्षा के लिये ज़्यादा असरदार उपायों व बाध्यकारी क़दम उठाये जाने का आग्रह किया है.
🆕 WHO report warns that the informal processing of discarded electrical or electronic devices (#eWaste) can damage the health of millions of children.Learn more about children & digital dumpsites 👉https://t.co/mAXKUUQDBi pic.twitter.com/BBwN3fpdgv
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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने मंगलवार को आगाह किया है कि पुराने इलैक्ट्रॉनिक सामानों व उपकरणों से मूल्यवान धातुओं व सामग्री को ग़ैरक़ानूनी ढँग से अलग करने का काम कर रहे बच्चों, किशोरों व गर्भवती महिलाओं को ख़तरा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस्तेमाल के बाद फेंक दिये जाने वाले इलैक्ट्रॉनिक उपकरण, यानि ई-कचरा, विश्व में घरेलू स्तर पर कचरे की सबसे तेज़ गति से बढ़ती श्रेणी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने Children and Digital Dumpsites. नामक रिपोर्ट जारी होने के अवसर पर जारी अपने एक वक्तव्य में चेतावनी दी है कि ई-कचरे की उफनती सुनामी के साथ, यह स्वास्थ्य ख़तरा भी बढ़ रहा है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि सबसे मूल्यवान संसाधन, हमारे बच्चों का स्वास्थ्य है, जिसे ई-कचरे से ख़तरा पैदा हो रहा है. उनकी रक्षा के लिये संगठित प्रयास किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
“ठीक उसी तरह, जैसे समुद्रों व उनके पारिस्थितिकी तंत्रों की प्लास्टिक व माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण से रक्षा के लिये, दुनिया ने साथ मिलकर प्रयास किये हैं.”
‘Global E-waste Statistics Partnership’ के आँकड़े दर्शाते हैं कि वर्ष 2019 में, पाँच करोड़ 36 लाख टन कचरा पैदा हुआ, जिसमें से महज़ 17 प्रतिशत को ही एकत्र व उपयुक्त ढँग से री-सायकिल किया गया.
बाक़ी कचरे की मात्रा के बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, मगर इस बात की सम्भावना कम ही है कि उसे पर्यावरणीय अनुकूल ढँग से री-सायकिल किया गया.
ई-कचरे की कुछ मात्रा, कचरा भराव क्षेत्रों में भेजी जाती है, मगर बड़े पैमाने पर इसे ग़ैरक़ानूनी ढँग से निम्न और मध्य आय वाले देशों में रवाना किया जाता है.
अनौपचारिक कर्मचारी
यहाँ अनौपचारिक कर्मचारी ऐसे कचरे को बीनते हैं, पुर्ज़ों को तोड़कर अलग करते हैं, और फेंकी गई वस्तुलों को अम्ल में धोकर मूल्यवान धातुओं व सामग्री को निकालते हैं.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का अनुमान है कि एक करोड़ 29 लाख महिलाएँ, अनौपचारिक रूप से, कचरे से जुड़ा कामकाज करती हैं, जहाँ ज़हरीले अवशेषों के सम्पर्क में आने से उनके व उनके अजन्मे बच्चों के स्वास्थ्य के लिये ख़तरा पैदा हो रहा है.
इसके अलावा, एक करोड़ 80 लाख से अधिक युवजन, सक्रिय रूप से वृहद औद्योगिक सैक्टर से जुड़े हैं - ई-कचरा प्रोसेसिंग, इसका एक छोटा हिस्सा है.
स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ई-कचरे से धातु व सामग्री हटाने के लिये, जिन अनौपचारिक तरीक़ो को इस्तेमाल में लाया जाता है, उनसे स्वास्थ्य पर अनेक असर होते हैं, विशेष रूप से बच्चों पर.
ई-कचरे की री-सायक्लिंग से शारीरिक व तंत्रिका विकास की विभिन्न अवस्थाओं से गुज़र रहे लोगों पर ज़्यादा असर होता है- इनमें बच्चे, किशोर व गर्भवती महिलाएं अधिक प्रभावित होती हैं.
बच्चों को ज़हरीले रसायनों से ख़तरा अन्य की तुलना में ज़्यादा है, चूँकि उनके अंगों को पूरी तरह विकास नहीं हुआ होता है, अपने आकार की तुलना में ज्यादा प्रदूषक, उनके शरीर में प्रवेश करते हैं, और अपने आकार की तुलना में कहीं अधिक प्रदूषकों को पचा पाना या दूर करना आसान नहीं है.
कार्रवाई की पुकार
ताज़ा रिपोर्ट में ई-कचरे की समस्या के विभिन्न आयामों पर विचार किया गया है और स्वास्थ्य ख़तरों को दूर करने के लिये, व्यावहारिक कार्रवाई बिन्दुओं को साझा किया गया है.
इसके तहत, निर्यातकों, आयातकों और सरकारो को ई-कचरे का पर्यावरणीय नज़रिये से उपयुक्त निस्तारण करने और कर्मचारियों व समुदायों के स्वास्थ्य और सुरक्षा का ख़याल रखने की बात कही गई है.
साथ ही, स्वास्थ्य सैक्टर से ज़हरीले कचरे के सम्पर्क में आने से रोकने, और निदान व निगरानी के लिये क्षमता को मज़बूत बनाने का आहवान किया गया है.