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मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में मानवाधिकार हनन पर विराम के लिये नए दिशानिर्देश

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये व्यक्ति-केंद्रित और अधिकार-आधारित उपायों पर ज़ोर दे रही है.
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यूएन स्वास्थ्य एजेंसी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल के लिये व्यक्ति-केंद्रित और अधिकार-आधारित उपायों पर ज़ोर दे रही है.

मानसिक स्वास्थ्य देखभाल में मानवाधिकार हनन पर विराम के लिये नए दिशानिर्देश

स्वास्थ्य

विश्व भर में, मानसिक स्वास्थ्य देखभाल मुख्यत: मनोविकार केन्द्रों व अस्पतालों में प्रदान की जाती है और मानवाधिकार हनन के मामले व जबरन इस्तेमाल में लाये जाने वाले तौर-तरीक़े अब भी आम हैं. इसके मद्देनज़र, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए दिशानिर्देश जारी किये हैं जिनमें मानवाधिकारों का सम्मान करते हुए, किफ़ायती रूप से समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की कारगरता को रेखांकित किया गया है.  

दिशानिर्देश बताते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य को सहारा देने के लिये उपायों को समुदायों में उपलब्ध बनाया जाना चाहिए और ऐसा करते समय दैनिक जीवन की ज़रूरतों का ख़याल रखा जाना होगा.

उदाहरण के लिये, आवास, शिक्षा और रोज़गार सेवाओं की सुलभता सुनिश्चित करना.

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विश्व स्वास्थ्य संगठन विशेषज्ञ मिशेल फ़ुन्क ने बताया कि नई गाइडलाइन्स में मानसिक स्वास्थ्य अवस्थाओं के जबरन उपचार या लक्षणों के इलाज के लिये दवाओं के इस्तेमाल के बजाय, विशिष्ट परिस्थितियों व व्यक्तिगत इच्छाओं को ख़याल में रखते हुए उपचार व सहारे के लिये व्यापक विकल्प मुहैया कराए गए हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी का अनुमान है कि देशों की सरकारें, फ़िलहाल अपने कुल स्वास्थ्य बजट का महज़ दो प्रतिशत ही मानसिक स्वास्थ्य पर ख़र्च करती हैं.

यह व्यय मुख्य रूप से मनोविकार सम्बन्धी अस्पतालों के लिये होता है. हालांकि उच्च-आय वाले देशों में यह आँकड़ा 43 प्रतिशत है.  

नए दिशानिर्देशों में व्यक्ति-केंद्रित सेवाओं को बढ़ावा दिया गया है और इसके तहत, मानवाधिकार-आधारित उपायों को अपनाने पर ज़ोर दिया गया है.

इसकी अनुशंसा विश्व स्वास्थ्य संगठन की 'मानसिक स्वास्थ्य कार्ययोजना 2020-2030' में भी की गई है, जिसका पिछले महीने ही अनुमोदन किया गया.

यूएन एजेंसी के मुताबिक वर्ष 2006 में विकलाँगजन के अधिकारों पर यूएन सन्धि के पारित होने के बाद, देशों ने मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सम्बन्धी नीतियों, सेवाओं अपने क़ानूनों में सुधार लागू करने के प्रयास किये हैं.

इसके बावजूद, अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानकों पर खरे उतरने वाले बदलावों को सुनिश्चित करने की दिशा में, कम संख्या में देशों ने ही प्रगति दर्ज की है.

गम्भीर मानवाधिकार हनन और बलपूर्वक इस्तेमाल में लाये जाने वाले तौर-तरीक़े अब भी आम हैं.

इनमें जबरन भर्ती किया जाना, उपचार के लिये मजबूर करना, मानसिक, शारीरिक व रासायनिक रूप से नियंत्रित करना, गन्दगीपूर्ण हालात में रहना और शारीरिक व शाब्दिक दुर्व्यवहार के मामले हैं.

श्रेष्ठ उपायों पर ज़ोर

नई गाइड में मानसिक स्वास्थ्य क़ानून, सेवा वितरण, वित्त पोषण और श्रमबल विकसित करने सहित अन्य क्षेत्रों की ज़रूरतों को पूरा करने के बारे में बताया गया है.

इसके ज़रिये यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएँ, विकलाँगजन अधिकार सन्धि के अनुरूप हों.

इन दिशानिर्देशों में भारत, ब्राज़ील, केनया, म्याँमार, न्यूज़ीलैण्ड, नॉर्वे और ब्रिटेन सहित अन्य देशों से समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के श्रेष्ठ उदाहरण पेश किये गए हैं.

इन उपायों में, समुदाय समावेशन, उपचार के लिये ज़ोर-ज़बरदस्ती ना किये जाने, और अपने जीवन व इलाज के लिये लोगों द्वारा स्वयँ निर्णय लिये जाने के अधिकार के सम्मान को बढ़ावा दिया गया है.

साथ ही, संकट के दौरान समर्थन, आम अस्पतालों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता, सम्पर्क व सम्वाद सेवाएँ, रहन-सहन में सहारा प्रदान करने वाली सेवाओं की अहमियत को रेखांकित किया गया है.

इन सेवाओं की क़ीमतों का तुलनात्मक अध्ययन दर्शाता है कि इन उपायों के अच्छे नतीजे सामने आए हैं और लोग इन्हें प्राथमिकता दे रहे हैं.