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बाल श्रमिकों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ हुई, अन्य लाखों बच्चों पर भी जोखिम

काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के दक्षिण किवु की एक ख़दान में काम करते बच्चे.
© UNICEF/Patrick Brown
काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य के दक्षिण किवु की एक ख़दान में काम करते बच्चे.

बाल श्रमिकों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ हुई, अन्य लाखों बच्चों पर भी जोखिम

मानवाधिकार

संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की एक नई रिपोर्ट दर्शाती है कि दो दशकों में पहली बार, बाल श्रमिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है. दुनिया भर में काम पर लगाए जाने वाले बच्चों का आँकड़ा अब 16 करोड़ पहुँच गया है. पिछले चार वर्षों में इस संख्या में 84 लाख की वृद्धि हुई है. गुरुवार को जारी साझा रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के कारण लाखों अन्य बच्चों पर जोखिम मंडरा रहा है.  

'Child Labour: Global estimates 2020, trends and the road forward’ नामक यह रिपोर्ट, अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) द्वारा प्रकाशित की गई है.  

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक, हेनरीएटा फ़ोर ने बताया कि इस रिपोर्ट में सरकारों और अन्तरराष्ट्रीय विकास बैन्कों से आग्रह किया गया है कि वे "ऐसे कार्यक्रमों में निवेश को प्राथमिकता दें, जो बच्चों को कार्यबल से हटाकर स्कूल में वापस ला सकें.”

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मूल कारणों से निपटना ज़रूरी

उन्होंने देशों से बेहतर सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का भी आह्वान किया ताकि परिवारों को इस विकल्प को अपनाने की ज़रूरत के बारे में ही ना सोचना पड़े.

12 जून को 'बाल श्रम के ख़िलाफ़ विश्व दिवस' से पहले जारी की गई इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि पिछले 20 वर्षों में पहली बार, बाल श्रम को समाप्त करने की दिशा में हुई प्रगति में व्यवधान आया है.

वर्ष 2000 और 2016 के बीच, बाल मज़दूरों की संख्या में नौ करोड़ 40 लाख की कमी दर्ज की गई थी, मगर अब गिरावट का यह रूझान पलट गया है. 

यह 5 से 11 वर्ष की आयु के बीच काम करने वाले बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की ओर इशारा करता है, जो कुल वैश्विक आँकड़ों का आधे से ज़्यादा है.

साथ ही, पाँच से 17 वर्ष आयु वर्ग में, जोखिम भरे काम करने वाले बच्चों की संख्या, वर्ष 2016 से अब तक, 65 लाख बढ़ गई है, यानि कुल 7 करोड़ 90 लाख. इससे उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा व कल्याण को नुक़सान पहुँचने की सम्भावना है. 

आईएलओ के महानिदेशक, गाय राइडर ने कहा, “नए अनुमान एक चेतावनी है. हम केवल खड़े होकर देखते नहीं रह सकते कि बच्चों की एक और पीढ़ी को जोखिम में डाला जा रहा है.”

कोविड का असर

रिपोर्ट के अनुसार, सब-सहारा अफ्रीका में, जनसंख्या वृद्धि, बार-बार आने वाले संकट, अत्यधिक ग़रीबी और अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा उपायों के कारण पिछले चार वर्षों में अतिरिक्त 1 करोड़ 66 लाख बच्चे बाल श्रम का शिकार हुए हैं.

कोविड-19 की वजह से, एशिया व प्रशान्त, लातिन अमेरिका और कैरीबियाई क्षेत्रों में हुई प्रगति ख़तरे में पड़ गई है.

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि महामारी के परिणामस्वरूप 2022 के अन्त तक, वैश्विक स्तर पर, 90 लाख अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेल दिये जाने का ख़तरा है.

आईएलओ के महानिदेशक ने कहा, “समावेशी सामाजिक सुरक्षा की मदद से, आर्थिक तंगी की स्थिति में भी परिवार अपने बच्चों को स्कूल भेजने का सामर्थ्य रख पाते हैं. ग्रामीण विकास में निवेश बढ़ाना और कृषि में सभ्य कामकाज मुहैया करवाना आवश्यक है.” 

कोविड-19 के कारण महसूस किये गए आर्थिक झटकों और स्कूल बन्द होने के कारण, जो बच्चे पहले से ही काम करने के लिये मजबूर थे, उन्हें या तो लम्बे घण्टों तक काम करना पड़ रहा है या वे ख़राब परिस्थितियों में काम कर रहे हैं.

वहीं, निर्बल परिवारों में कामकाज और आमदनी का ज़रिया ख़त्म होना, बड़ी संख्या में अन्य बच्चों को बाल श्रम के सबसे ख़राब रूपों की ओर धकेले जाने की वजह बन सकता है.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक, हेनरीएटा फोर ने कहा, "हम बाल श्रम के ख़िलाफ़ लड़ाई में बढ़त गँवाते जा रहे हैं, और पिछला साल इस लड़ाई के लिये और भी कठिन रहा है."

उन्होंने कहा, "अब, वैश्विक तालाबन्दी के दूसरे वर्ष में, स्कूल बन्द होने, आर्थिक व्यवधान और सिकुड़ते राष्ट्रीय बजट के कारण, परिवार पीड़ादायक विकल्प चुनने के लिये मजबूर होते जा रहे हैं." 

सुधार की दरकार

बाल श्रम में वृद्धि के इस रूझान को पलटने के लिये, ILO और UNICEF सार्वभौमिक बाल लाभ सहित पर्याप्त सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर अधिक ख़र्च और सभी बच्चों को स्कूल में वापस लाने का आह्वान कर रहे हैं.  

बाल श्रम उन्मूलन के अन्तरराष्ट्रीय वर्ष के तहत, यूनीसेफ़ और आईएलओ की भागीदारी वाला 'वैश्विक साझेदारी गठबन्धन 8.7', सदस्य देशों, क्षेत्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगठनों व अन्य पक्षकारों को बाल श्रम के ख़िलाफ़ वैश्विक लड़ाई में ठोस संकल्प लेने और अपने प्रयासों को दोगुना करने के लिये प्रोत्साहित कर रहा है.

इस क्रम में, आईएलओ और यूनीसेफ़ प्रमुख, अन्य प्रमुख वक्ताओं और युवा पैरोकारों के साथ मिलकर, अन्तरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के दौरान एक उच्च-स्तरीय कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं, जिसमें नए वैश्विक अनुमानों और भावी दिशा पर चर्चा होगी.

यूएन श्रम एजेंसी के महानिदेशक ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण क्षण है और बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसका कैसे जवाब देते हैं. यह समय है - नए सिरे से प्रतिबद्धता और ऊर्जा दिखाने का, हालात सुधारने और ग़रीबी और बाल श्रम के चक्र को तोड़ने का.” 

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

- कृषि क्षेत्र में बाल मज़दूरी करने वाले बच्चों का आँकड़ा 70 प्रतिशत है, सेवा क्षेत्र में 20 प्रतिशत और उद्योगों में 10 प्रतिशत बच्चे हैं.

- 5 से 11 वर्ष के लगभग 28 प्रतिशत बच्चे और 12 से 14 वर्ष की आयु के 35 प्रतिशत बाल श्रमिक, स्कूल से बाहर हैं.

- बाल श्रमिकों के तौर पर, लड़कियों की तुलना में लड़कों की संख्या अधिक है. लेकिन, अगर प्रति सप्ताह 21 घण्टे घर में किये गए काम को ध्यान में रखा जाए, तो बाल श्रम का यह लैंगिक अन्तर भी कम हो जाता है.

- ग्रामीण क्षेत्रों में बाल श्रम 14 प्रतिशत है, जो शहरी क्षेत्रों में 5 प्रतिशत के आँकड़े से लगभग तीन गुना अधिक है.