सीरिया: अपेक्षाकृत शान्ति के बावजूद, मानवीय पीड़ा का बढ़ता दायरा

सीरिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत गेयर पीडरसन ने सुरक्षा परिषद को, देश में मौजूदा हालात से अवगत कराते हुए कहा है कि यह एक त्रासदीपूर्ण विडम्बना है कि पिछले वर्षों की तुलना में हिंसा में ठहराव के इस दौर में भी स्थानीय जनता को आर्थिक बदहाली, विस्थापन, हिरासत व अगवा किये जाने की घटनाओं से उपजी पीड़ा का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने बुधवार को सुरक्षा परिषद को सम्बोधित करते हुए कहा कि यूएन समर्थित और सीरिया के नेतृत्व व स्वामित्व में राजनैतिक समाधान के लिये अनेक क़दमों को उठाया जाना ज़रूरी है.
इसके लिये, पहले देशव्यापी युद्धविराम लागू करने और सुरक्षा परिषद द्वारा चिन्हित आतंकवादी गुटों पर रोक लगानी होगी.
विशेष दूत ने ज़ोर देकर कहा कि बदतर मानवीय हालात से निपटने की आवश्यकता है, और ऐसे प्रतिबन्धों को लगाये जाने से परहेज़ करना होगा जिनसे आम सीरियाई की पीड़ा बढ़ती हो.
.@GeirOPedersen It is a tragic irony that this time of relative calm, compared with earlier years of the conflict, is also a period of immense and growing humanitarian suffering of the Syrian people.https://t.co/DWlzXCNyLb
UNEnvoySyria
उनकी नज़र में एक मुख्य प्राथमिकता, बन्दियों व अगवा किये गए लोगों की एकतरफ़ा रिहाई और लापता लोगों की तलाश के लिये अर्थपूर्ण कार्रवाई को सुनिश्चित करना है.
साथ ही शरणार्थियों और घरेलू विस्थापितों की घर वापसी के लिये सुरक्षित व तटस्थ माहौल का सृजन महत्वपूर्ण होगा, और राजनैतिक प्रक्रिया में महिलाओं व नागरिक समाज की भागीदारी को बढ़ावा देना होगा.
गेयर पैडरसन ने आगाह किया कि अन्तराष्ट्रीय प्रतिभागियों व सीरियाई पक्षों में भरोसे की कमी को दूर करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयासों की आवश्यकता है.
विशेष दूत ने देश के मौजूदा संविधान के तहत हो रहे राष्ट्रपति चुनाव का उल्लेख करते हुए स्पष्ट किया कि सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 में इसका आग्रह नहीं किया गया है.
उनके मुताबिक चुनावों को नए संविधान के अनुरूप, संयुक्त राष्ट्र की देखरेख में सभी सीरियाई लोगों की भागीदारी के साथ आयोजित करायना कराया जाना होगा.
उन्होंने हिंसक संघर्ष व सीरियाई जनता की पीड़ा का अन्त करने के लिये प्रस्ताव 2254 को लागू किये जाने को एकमात्र टिकाऊ मार्ग बताते हुए कहा, “यूएन इस चुनाव में शामिल नहीं है.”
बताया गया है कि प्रस्ताव 2254 को आगे बढ़ाने में प्रगति के अभाव में, सीरिया में हिंसक संघर्ष व टकराव लम्बा खिंच सकता है.
“मौजूदा अविध हमें जो अवसर प्रदान कर रही है, उनका लाभ ना उठाने में बड़े ख़तरे निहित हैं. सीरिया पर गम्भीरता से ध्यान दिये जाने की ज़रूरत है ताकि हम इस गतिशीलता पर निर्माण कर सकें.
वहीं, आपात राहत मामलों के प्रमुख मार्क लोकॉक ने देश में मानवीय हालात से अवगत कराते हुए बताया कि पश्चिमोत्तर इलाक़े में जल की गम्भीर क़िल्लत है.
आर्थिक हालात में बेहतरी नहीं आई है और खाने-पीने की चीज़ों की क़ीमतों में तेज़ उछाल आया है और लगभग 40 फ़ीसदी आबादी, पोषक आहार का सेवन कर पाने में सक्षम नहीं है.
उन्होंने स्वास्थ केंद्रों पर हो रहे हमलों के दीर्घकालीन नतीजों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि इससे नागरिक आबादी में भय पनपता है और वे इन सेवाओं का इस्तेमाल करने में हतोत्साहित महसूस करते हैं.
यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोवैक्स मुहिम के तहत प्राप्त, वैक्सीन की पहली खेप में नौ हज़ार स्वास्थ्यकर्मियों के टीकाकरण का प्रयास किया जा रहा है, मगर बाक़ी आबादी के टीकाकरण की भी आवश्यकता है.