खनिज संसाधनों से प्राप्त लाभों को सर्वजन तक पहुँचाने का आग्रह
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा है कि प्रकृति की रक्षा सुनिश्चित करते हुए, खनिज संसाधनों से हासिल होने वाले लाभों को, भावी पीढ़ियों और समाज में हर किसी तक पहुंचाना हमारा साझा दायित्व है. यूएन प्रमुख ने टिकाऊ विकास के लिये निष्कर्षण उद्योगों (Extractive industries) में रूपान्तरकारी बदलाव के मुद्दे पर आयोजित एक गोलमेज़ चर्चा को सम्बोधित करते हुए यह बात कही है.
निष्कर्षण उद्योगों से तात्पर्य उन व्यवसायों से है जिनमें तेल, कोयले, मूल्यवान धातुओं सहित अन्य खनिज संसाधनों को पृथ्वी से बाहर निकाला जाता है.
इसके लिये खनन, उत्खनन व खुदाई सहित अन्य प्रक्रियाओं का सहारा लिया जाता है.
Our shared responsibility is to ensure that the benefits of mineral resources reach all people in society, not just elites, while safeguarding the natural environment today & for future generations - @antonioguterres' remarks at extractives roundtable: https://t.co/uYXWI2c7oG
UN_Spokesperson
यूएन प्रमुख ने मूल्यवान कच्चे माल को बाहर निकालने को पृथ्वी की एक बड़ी देन बताया, और कहा कि निष्कर्षण का 81 देशों की अर्थव्यवस्थाओं में बड़ा योगदान है.
इससे व्यापक स्तर पर सरकार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, सरकारी राजस्व और विदेशी विनिमय की प्राप्ति होती है.
“इनमें आर्थिक प्रगति और ग़रीबी उन्मूलन को आगे बढ़ाने की सम्भावनाएँ हैं.”
उन्होंने आगाह किया कि खनिज सम्पदा सम्पन्न देशों का, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में एक चौथाई हिस्सा है, विश्व की आधी आबादी इन देशों में रहती है.
मगर यहाँ 70 फ़ीसदी लोग चरम ग़रीबी में रहने के लिये मजबूर हैं. यूएन प्रमुख ने बताया कि विश्व के 72 निम्न और मध्य आय वाले देशों में से 63 में, पिछले दो दशकों में निष्कर्षण उद्योगों पर निर्भरता बढ़ी है.
उन्होंने कहा कि खनिज निष्कर्षण को अक्सर ‘संसाधन अभिशाप’ (Resource curse) के रूप में देखा जाता है, चूँकि इन उद्योगों पर निर्भरता अक्सर, भ्रष्टाचार, दोहन, नस्लवाद, पर्यावरणीय क्षरण, जैवविविधता में कमी सहित अन्य समस्याओं की वजह बन जाती है.
यूएन प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा कि सभी क्षेत्रों में निष्कर्षण सैक्टर और प्राप्त संसाधनों के टिकाऊ, समावेशी और न्यायसंगत प्रबन्धन की आवश्यकता है.
“इसका अर्थ, उन महिलाओं, आदिवासियों, स्थानीय समुदायों और अन्य हितधारकों की ज़रूरतों व अधिकारों को ध्यान में रखना है, जोकि इन उद्योग से प्रभावित हैं, मगर फिर निष्कर्षण से जुड़े काम की रूपरेखा व लाभों का हिस्सा नहीं हैं.”
महत्वपूर्ण उपाय
यूएन प्रमुख ने मौजूदा हालात में बेहतरी के लिये चार अनिवार्य उपायों को साझा किया है:
- कारगर नियमों और प्रवर्तन के ज़रिये संसाधन निष्कर्षण प्रबन्धन को बेहतर बनाये जाने की आवश्यकता है.
इसके तहत पर्यावरणीय टिकाऊपन, पारदर्शिता, समावेशी निर्णय-निर्धारक प्रक्रिया, जवाबदेही, सूचना सुलभता और मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी.
- देशों को इन उद्योगों से प्राप्त होने वाले राजस्व पर निर्भरता घटानी होगी और अर्थव्यवस्था में विविधता उत्पन्न करनी होगी.
कर प्रणाली (Tax system) को नई ज़रूरतों के अनुरूप ढालना होगा और संसाधन निष्कर्षण पर निर्भर कर्मचारियों व समुदायों को न्यायोचित ढँग से सहायता प्रदान की जानी होगी.
- महासचिव गुटेरेश ने निम्न-कार्बन भविष्य में ज़्यादा निवेश की पैरवी करते हुए आग्रह किया है कि निष्कर्षण से जुड़े सैक्टरों में सार्वजनिक व निजी वित्त पोषण को टिकाऊ विकास लक्ष्यों व पेरिस समझौते के अनुरूप बनाना होगा.
उन्होंने सचेत किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की कार्बन पर निर्भरता को कम करना होगा और इसे टाला नहीं जा सकता है.
- परिवर्तनकाल प्रक्रिया (Transition process) को टिकाऊ, निर्बाध और न्यायोचित बनाने के लिये क्षेत्रीय व वैश्विक समन्वय की ज़रूरत होगी.
इस क्रम में, महासचिव ने सदस्य देशों व सभी हितधारकों से इस सैक्टर की कायापलट करने के लिये एक वर्किंग ग्रुप का हिस्सा बनने का आहवान किया है.