कोविड-19: 'वायरस के विरुद्ध युद्ध', जी20 टास्क फ़ोर्स के गठन का आहवान

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने विश्व की सबसे धनी अर्थव्यवस्थाओं से आग्रह किया है कि कोविड-19 महामारी का अन्त करने के लिये उन्हें अग्रणी भूमिका निभाने की ज़रूरत है. यूएन प्रमुख ने शुक्रवार को रोम में जी20 समूह की वैश्विक स्वास्थ्य शिखर बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि हर एक व्यक्ति के लिये, हर स्थान पर वैक्सीन मुहैया कराए जाने के प्रयासों को मज़बूती प्रदान की जानी होगी.
महासचिव गुटेरेश ने दोहराया कि कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है, जब तक हर कोई सुरक्षित नहीं है. “यह समय निर्णायक कार्रवाई का है.”
उन्होंने जी20 समूह से एक ऐसी टास्क फ़ोर्स के गठन की अपनी माँग दोहराई, जिसके ज़रिये औषधि बनाने वाली कम्पनियों और अन्य पक्षधारकों के साथ मिलकर मौजूदा रुकावटों को दूर किया जा सके.
"Let’s be clear, we are at war with the virus. And if you are at war with the virus, we need to deal with our weapons with rules of a war economy, and we are not yet there," Secretary-General @antonioguterres tells #GlobalHealthSummit https://t.co/30XsdffQWn
UN_Spokesperson
इनमें संयुक्त राष्ट्र की कोवैक्स पहल के तहत कोविड-19 वैक्सीन का विश्व भर में न्यायोचित वितरण भी है.
बताया गया है कि स्वैच्छिक लाइसेंस, टैक्नॉलॉजी हस्तान्तरण, और बौद्धिक सम्पदा के मुद्दे पर लचीले रुख़ सहित अन्य सभी विकल्पों की मदद से वैक्सीन उत्पादन क्षमता को दोगुना किये जाने का लक्ष्य होगा.
“आइए हम स्पष्टता से समझें, कि हम वायरस के विरुद्ध युद्ध कर रहे हैं.”
“हमें एक युद्धक अर्थव्यवस्था के नियमों के तहत, हमारे औज़ारों का इस्तेमाल करने की ज़रूरत है. और अभी हम वहाँ नहीं पहुँचे हैं.”
“और यही बात वैक्सीनों के विषय में सच है, और यही बात इस वायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई के अन्य मुद्दों पर सच है.”
इस टास्क फ़ोर्स में, विश्व स्वास्थ्य संगठन, वित्तीय संस्थाओं और अन्य साझीदार संगठनों के साथ उन सभी देशों को शामिल करने की बात कही गई है जिनमें वैश्विक आपूर्ति और वैक्सीन उत्पादन की क्षमता है.
यूएन प्रमुख के मुताबिक कोवैक्स पहल के ज़रिये अब तक 18 करोड़ वैक्सीन ख़ुराकों को वितरित किया जाना था. मगर “वैक्सीन राष्ट्रवाद”, सीमित उत्पादन क्षमता और वित्तीय संसाधनों के अभाव में महज़ साढ़े छह करोड़ ख़ुराकों का वितरण ही सम्भव हो पाया है.
उन्होंने जी20 देशों से उदाहरण पेश करते हुए नेतृत्व का आग्रह किया है और उनके हिस्से में आ सहायता धनराशि को उपलब्ध कराने की अपील की है.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाते हुए कहा है कि जल्द से जल्द व्यापक स्तर पर टीकाकरण और उसके समानान्तर, सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का पालन किया जाना ही इस महामारी का अन्त करने का रास्ता है.
साथ ही इसके ज़रिये, कोविड-19 के नए ख़तरनाक प्रकारों व रूपों को उभरने से रोकने में भी मदद मिलेगी.
महासचिव गुटेरेश ने चिन्ता जताई कि विश्व में कुल वैक्सीनों का 80 फ़ीसदी हिस्सा धनी देशों के पास गया है, जबकि निर्धन देशों को महज़ 0.3 प्रतिशत ही मिल पाया है.
उनके मुताबिक वैक्सीन, परीक्षणों, दवाओं और ऑक्सीजन सहित अन्य सामग्री की आपूर्ति में विषमता से निर्धन देशों को, वायरस के रहमोकरम पर छोड़ दिया गया है.
“हाल के दिनों में, भारत, दक्षिण अमेरिका और अन्य क्षेत्रों में संक्रमण की तेज़ बढ़ोत्तरी से लोग वस्तुत: हमारी आँखों के सामने साँस लेने के लिये तरस रहे हैं.”
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वैक्सीन के विषय में वैश्विक कार्रवाई के ज़रिये, इस महामारी का अन्त किया जा सकता है, मगर इससे अगली महामारी को रोक पाने में मदद नहीं मिलेगी.
उन्होंने इन भावी ख़तरों से निपटने के लिये, सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और स्फूर्त प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को अहम बताया है.
दुनिया भर में अब तक कोरोनवायरस संक्रमण के 16 करोड़ 50 लाख मामलों की पुष्टि हुई है. इस महामारी से 34 लाख 22 हज़ार लोगों की मौत हुई है.
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने शुक्रवार को बताया कि मृतक संख्या, आधिकारिक आँकड़ों से दो से तीन गुना अधिक हो सकती है.
यूएन एजेंसी ने स्पष्ट किया है कि जिन मौतों के लिये प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोविड-19 को ज़िम्मेदार ठहराया गया है, उन्हें उनकी वास्तविक संख्या से कम आँका जा रहा है.
संगठन के मुताबिक पिछले वर्ष 18 लाख मौतों की पुष्टि की गई थी, मगर यूएन एजेंसी की रिपोर्ट में मृतक संख्या कम से कम 30 लाख होने का अनुमान जताया गया है.
यानि कोरोनावायरस संक्रमण, महामारी के दौरान स्वास्थ्य सुविधाओं पर बोझ से देखभाल ना हो पाने सहित अन्य कारणों से हुईं 12 लाख अतिरिक्त मौतें.