पाकिस्तान: आर्थिक और पारिस्थितिकीय लाभ के लिये मैन्ग्रोव की बहाली

पाकिस्तान में 5 जून को 'विश्व पर्यावरण दिवस' मनाने की तैयारियों के तहत मैन्ग्रोव वन सहित अन्य महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों को बहाल किये जाने पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है. जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लड़ाई में मैन्ग्रोव को एक महत्वपूर्ण औज़ार के रूप में देखा जाता है, और ये करोड़ों लोगों के लिये आजीविका का साधन भी है.
पाकिस्तान सरकार एक महत्वाकाँक्षी योजना के तहत वर्ष 2023 तक 10 अरब पेड़ लगाने की योजना (Ten Billion Tree Tsunami) है, जिसे संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) से समर्थन प्राप्त है.
As Pakistan prepares to host #WorldEnvironmentDay, restoration of ecosystems, including mangrove forests, will be in focus.Mangroves are also a central part of Pakistan's plan to plant 10 billion trees by 2023. #GenerationRestoration#ForNature https://t.co/JrRVYuWqHb
UNEP
बताया गया है कि इनमें से लाखों-करोड़ों पेड़ मैन्ग्रोव बहाली के लिये होंगे और इस साल जून के अन्त तक, एक अरब पेड़ लगाए जा चुके होंगे.
मैन्ग्रोव उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले पेड़ों व झाड़ियों का एक ऐसा समूहहै, जोकि तटीय और खारे पानी में पनपता है.
मैन्ग्रोव पृथ्वी पर सबसे अधिक उत्पादक और विविध पारिस्थितिकीय तंत्रों में से एक हैं, जिनके अभाव में, सालाना 39 प्रतिशत अतिरिक्त लोग बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं.
यूएन पर्यावरण एजेंसी के साझीदार संगठन, प्रकृति संरक्षण के लिये अन्तरराष्ट्रीय संघ (IUCN) का अनुमान है कि मैन्ग्रोव असाधारण कार्बन भण्डारण प्रदान करते हैं - उष्णकटिबंधीय वनों की तुलना में तीन से पाँच गुना ज़्यादा.
साथ ही, ये वैश्विक स्तर पर 12 करोड़ से अधिक लोगों के लिये आजीविका का साधन हैं. इनके पारिस्थितिकी तंत्र में मछलियों की तीन हज़ार से अधिक प्रजातियाँ पायी जाती हैं.
यूएन पर्यावरण एजेंसी के क्षेत्रीय समन्वयक माक्कियो यशीरो ने बताया कि "जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ लड़ाई में मैन्ग्रोव एक महत्वपूर्ण औज़ार हैं. इनसे वातावरण में कार्बन घटता है और वित्तीय रूप से भी फ़ायदेमन्द हैं.”
उन्होंने कहा कि बाढ़ से बचाव के लिये दीवारों के निर्माण के बजाय मैन्ग्रोव की बहाली, पाँच गुना अधिक किफ़ायती है. और फिर ऐसी दीवारों से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी मदद नहीं मिलती.
मगर मैन्ग्रोव ख़तरे में हैं. जलवायु परिवर्तन, पेड़ों की कटाई, कृषि, मत्स्य पालन, प्रदूषण और तटीय विकास, इन सभी कारणों से उनके पर्यावासों का क्षरण हो रहा है.
यूएन एजेंसी और साझीदारों के मुताबिक अब तक 67 प्रतिशत से अधिक मैन्ग्रोव या तो नष्ट हो चुके हैं या उनका क्षरण हो चुका है.
मैन्ग्रोव को बहाल करने से ना केवल प्रकृति बल्कि अर्थव्यवस्थाओं को भी मदद मिलती है. एक हेक्टेयर मैन्ग्रोव का मूल्य प्रतिवर्ष 33 हज़ार डॉलर से 57 हज़ार डॉलर के बीच होने का अनुमान है.
यूएन के अध्ययनों से पता चलता है कि मैन्ग्रोव बहाली में निवेश किए गए प्रत्येक डॉलर से चार डॉलर का लाभ होता है. यानि, वे सबसे कुशल और लागत प्रभावी प्रकृति-आधारित समाधान में से एक हैं.
इसके मद्देनज़र, बहुत से संगठन अनेक मैन्ग्रोव बहाली परियोजनाओं पर कार्य आगे बढ़ा रहे हैं.
पारिस्थितिकीय तंत्रों की बहाली के लिये संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) का लक्ष्य दुनिया भर में पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण की रोकथाम करना, उस पर विराम लगाना और उनके क्षरण को पलटना है.
इस लक्ष्य को हासिल करने में मैन्ग्रोव की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी.
ये यहाँ प्रकाशित हो चुके इस लेख का संक्षिप्त व सम्पादित रूप है.