वैश्विक परिप्रेक्ष्य मानव कहानियां

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में प्रगति, मगर जैवविविधता की रक्षा ज़रूरी

पापुआ न्यू गिनी में एक मूँगा चट्टान.
Ocean Image Bank/Amanda Cotton
पापुआ न्यू गिनी में एक मूँगा चट्टान.

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में प्रगति, मगर जैवविविधता की रक्षा ज़रूरी

जलवायु और पर्यावरण

अन्तरराष्ट्रीय समुदाय ने पर्यावरण संरक्षण प्राप्त क्षेत्रों के विषय में तय लक्ष्यों पर व्यापक प्रगति दर्ज की है, मगर इन क्षेत्रों की गुणवत्ता के सम्बन्ध में निर्धारित संकल्पों को साकार नहीं किया जा सका है, और जैवविविधता की रक्षा पर भी ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और उसके साझीदार संगठनों द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही गई है.   

वर्ष 2020 तक, कम से कम 17 प्रतिशत भूमि व अन्तर्देशीय (Inland) जलक्षेत्र और 10 फ़ीसदी समुद्री पर्यावरण क्षेत्र के संरक्षण का लक्ष्य रखा गया था.

Tweet URL

ताज़ा अध्ययन में इन लक्ष्यों की दिशा में हुई प्रगति का आकलन किया गया है.

अभी पूर्ण रूप से आँकड़े उपलब्ध नहीं है, मगर फ़िलहाल मिली जानकारी के मुताबिक, पहले लक्ष्य के सिलसिले में प्रगति 16.6 प्रतिशत आँकी गई है. समुद्री पर्यावरण के विषय में 7.74 प्रतिशत संरक्षण का लक्ष्य हासिल किया गया है.

कुल मिलाकर, दो करोड़ 20 लाख वर्ग किलोमीटर भूमि व अन्तर्देशीय जलक्षेत्र पारिस्थितिकी तंत्र, और दो करोड़ 81 लाख वर्ग किलोमीटर तटीय जलक्षेत्र और महासागर, रक्षित व संरक्षित क्षेत्रों में दर्ज हैं.

वर्ष 2010 की तुलना में यह क्षेत्र, दो करोड़ 10 लाख वर्ग किलोमीटर की बढ़ोत्तरी को दर्शाता है.

‘Protected Planet Report’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के विश्व संरक्षण निगरानी केंद्र (UNEP-WCMC) और प्रकृति संरक्षण के लिये अन्तरराष्ट्रीय संघ (IUCN) ने ग़ैरसकारी संगठन ‘National Geographic Society’ के साथ मिलकर तैयार किया है.

रिपोर्ट बताती है कि कारगर होने के लिये, सुरक्षा व संरक्षा प्राप्त क्षेत्रों में जैवविविधता के लिये अहम स्थानों को भी समाहित किया जाना ज़रूरी है.

मगर जैवविविधता के नज़रिये से महत्वपूर्ण एक-तिहाई क्षेत्रों (भूमि, अन्तर्देशीय जलक्षेत्र, महासागर) को सुरक्षा हासिल नहीं है.

UNEP-WCMC के निदेशक नेविल एश ने बताया कि, “सुरक्षा व संरक्षा प्राप्त क्षेत्र, जैवविविधता को लुप्त होने से रोकने में अहम भूमिका निभाते हैं. और हाल के वर्षों में रक्षित व संरक्षित क्षेत्रों के वैश्विक नैटवर्क को मज़बूती प्रदान करने में बड़ी प्रगति हुई है.”

“लेकिन, और ज़्यादा सुरक्षा व संरक्षा प्राप्त इलाक़ों को चिन्हित करना और उनका लेखाजोखा तैयार करना अपर्याप्त है.”

“उनके कारगर प्रबन्धन और न्यायोचित संचालन की ज़रूरत है, अगर स्थानीय व वैश्विक स्तर पर उनसे मिलने वाले लाभ को साकार करना है और लोगों व पृथ्वी के लिये एक बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करना है.”

जैवविविधता फ़्रेमवर्क

विशेषज्ञों के मुताबिक पर्यावरणीय कवरेज के स्तर व उसकी कारगरता को, ‘वर्ष 2020 के बाद की दुनिया के लिये निर्धारित वैश्विक जैवविविधता फ़्रेमवर्क' में शामिल किया जाएगा.

चीन के कुनमिन्ग में इस वर्ष अक्टूबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में इस फ़्रेमवर्क पर सहमति होनी है.

बताया गया है कि फ़िलहाल चुनौती, पहले से मौजूद और नए, सुरक्षा व संरक्षा प्राप्त क्षेत्रों की गुणवत्ता में सुधार लाना है. अनेक रक्षित क्षेत्रों में भी जैवविविधता में गिरावट दर्ज किये जाने पर चिन्ता जताई गई है.

इसके समानान्तर, सुरक्षा व संरक्षा प्राप्त इलाक़ों को आपस में बेहतर ढँग से जोड़ने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया गया है.

इसके ज़रिये, जीवों की प्रजातियों की स्वच्छन्द व स्वाभाविक आवाजाही और पारिस्थितिकीय प्रक्रियाओं को सुनिश्चित किया जा सकता है.

रिपोर्ट बताती है कि पर्यावरण संरक्षण में आदिवासियों, स्थानीय समुदायों और निजी संस्थाओं के योगदान को पूर्ण रूप से नहीं समझा गया है.

इसके मद्देनज़र, मौजूदा सुरक्षा व संरक्षा प्राप्त इलाक़ों की शिनाख़्त करते समय आदिवासियों, स्थानीय समुदायों और निजी संस्थाओं की ओर से किये गए प्रयासों का भी ध्यान रखा जाना होगा और उनके अधिकारों, दायित्वों व प्रयासों को पहचान देनी होगी.