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बांग्लादेश: रोहिंज्या शरणार्थियों व मेज़बान समुदाय की मदद के लिये अपील

मोहम्मद आलम, एक रोहिंज्या शरणार्थी हैं और अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के साथ सामुदायिक जागरूकता प्रसार में जुटे हैं.
IOM/Mashrif Abdullah Al
मोहम्मद आलम, एक रोहिंज्या शरणार्थी हैं और अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के साथ सामुदायिक जागरूकता प्रसार में जुटे हैं.

बांग्लादेश: रोहिंज्या शरणार्थियों व मेज़बान समुदाय की मदद के लिये अपील

प्रवासी और शरणार्थी

अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) और संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने बांग्लादेश सरकार के नेतृत्व में 94 करोड़ डॉलर की एक सहायता अपील जारी की है. इसका लक्ष्य बांग्लादेश में रह रहे रोहिंज्या शरणार्थियों और उनके मेज़बान समुदायों की सुरक्षा, गरिमा व उनके कल्याण को सुनिश्चित करना है. 

वर्ष 2021 में, बांग्लादेश में रह रहे लगभग नौ लाख शरणार्थियों के म्याँमार से सामूहिक विस्थापन को चार वर्ष पूरे हो रहे हैं.  

सुरक्षित स्थान की तलाश में विस्थापन से पहले रोहिंज्या समुदाय को अनेक दशकों तक व्यवस्थागत भेदभाव व लक्षित हिंसा का सामना करना पड़ा था. 

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‘2021 साझा जवाबी कार्रवाई योजना’ (2021 Joint Response Plan) के तहत बांग्लादेश को 134 यूएन एजेंसियों और ग़ैरसरकारी साझीदार संगठनों के साथ जोड़ा गया है. 

यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रवक्ता आन्द्रेज माहचिच ने बताया कि ताज़ा अपील का उद्देश्य, लाखों रोहिंज्या शरणार्थियों और कॉक्सेस बाज़ार ज़िले में मेज़बान बांग्लादेशी समुदाय के साढ़े चार लाख से अधिक लोगों की ज़रूरतों को पूरा करना है.  

बांग्लादेश और अन्तरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा ज़रूरतमन्दों के लिये जीवनदायी सहायता सुनिश्चित की गई है, मगर आवश्यकताओं का स्तर बहुत अधिक हैं.

इसके साथ-साथ, कोविड-19 महामारी जैसी जटिल चुनौतियों का लगातार उभरना जारी है, जिससे जवाबी कार्रवाई पर असर पड़ता है.

कोरोनावायरस संकट के दौरान शरणार्थियों व मेज़बान समुदायों के लिये हालात और भी मुश्किल हुए हैं. 

बताया गया है कि वायरस के फैलाव की गहनता का सीधे तौर पर अनुमान लगा पाना कठिन है, लेकिन अन्तरराष्ट्रीय समुदाय की मदद से रोहिज़्या शिविरों और आसपास के अन्य इलाक़ों में बीमारी के फैलाव को रोक पाना सम्भव हुआ है. 

पिछले कुछ महीनों में म्याँमार में जारी संकट और राजनैतिक स्थिरता की वजह से हालात और जटिल हो गए हैं.  

रोहिंज्या शरणार्थियों के लिये उनकी आवश्यकताएँ महज़ भरण-पोषण और शारीरिक सुरक्षा से अधिक हैं. गुज़ारे के साथ-साथ उन्हें शिष्ट जीवन जीने के लिये शिक्षा व अन्य विकल्पों का सहारा होना ज़रूरी है. 

बेहतर जीवन की तलाश में, शरणार्थियों द्वारा समुद्री या सड़क मार्ग से ख़तरनाक यात्राओं को ना करने देने के लिये और भी ज़्यादा प्रयास किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया गया है. 

इसके लिये बांग्लादेश में शरण पाने वाले रोहिंज्या शरणार्थियों को उम्मीद बंधाने और यह भरोसा दिलाने की बात कही गई है कि उनके लिये घर वापसी का विकल्प वास्तविक है. 

उन्होंने कहा, “स्थाई समाधान के लिये तलाश को, रोहिंज्या शरणाथियों की म्याँमार में स्वैच्छिक, सुरक्षित, गरिमामय और स्थाई वापसी पर ही केन्द्रित रखना होगा, जब भी वे ऐसा कर पाएँ.”

इसके अलावा, सभी प्रकार की मानवीय राहत व संरक्षण सेवाओँ को बरक़रार रखने को महत्वपूर्ण क़रार दिया गया है. 

यूएन एजेंसी प्रमुख एन्तोनियो वितोरीनो ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय समुदाय को म्याँमार में टिकाऊ समाधान की पैरोकारी जारी रखनी होगी.

इसके ज़रिये रोहिंज्या शरणार्थियों की घर लौटने से जुड़ी सहित अन्य प्रमुख चिन्ताओं को भी दूर किया जाना अहम होगा.