वैक्सीन की अतिरिक्त ख़ुराकें, ज़रूरतमन्द देशों को दान करने की ज़रूरत, यूनीसेफ़

भूटान के डगाना ज़िले में में एक व्यक्ति कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद प्रसन्नता व्यक्त करते हुए.
© UNICEF Bhutan/Tshering
भूटान के डगाना ज़िले में में एक व्यक्ति कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के बाद प्रसन्नता व्यक्त करते हुए.

वैक्सीन की अतिरिक्त ख़ुराकें, ज़रूरतमन्द देशों को दान करने की ज़रूरत, यूनीसेफ़

स्वास्थ्य

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ की प्रमुख हेनरिएटा फ़ोर ने सोमवार को आगाह करने के अन्दाज़ में कहा है कि अगर कमज़ोर हालात वाले देशों को वैक्सीन उपलब्ध नहीं हुई तो कोविड-19 महामारी का ख़तरनाक फैलाव जिस तरह भारत में तेज़ी से हुआ है, उसी तरह अन्य देशों में भी फैल सकता है.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर ने धनी देशों से, कोविड-19 वैक्सीन की अतिरिक्त ख़ुराकें, अन्य ज़रूरतमन्द देशों को उपलब्ध कराने की पुकार के तहत ये बात कही है.

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उन्होंने न्यूयॉर्क में एक वक्तव्य जारी करके ये बात ऐसे अवसर पर कही है जब धनी देशों के संगठन जी7 के नेता, अगले महीने ब्रिटेन में अपने अगले सम्मेलन की तैयारी कर रहे हैं.

इस सन्दर्भ में ये भी महत्वपूर्ण है कि भारत, कोविड-19 वैक्सीन का उत्पादक देश होने के बावजूद, अपने यहाँ कोविड-19 के मामलों में अत्यधिक वृद्धि से जूझ रहा है.

चेतावनी पर ध्यान दें

यूनीसेफ़, दुनिया भर में समानता के आधार पर वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिये शुरू किये गए वैश्विक कोवैक्स कार्यक्रम में एक साझीदार संगठन है. इस कार्यक्रम के तहत इस सप्ताह लगभग साढ़े 6 करोड़ ख़ुराकें मुहैया कराई जाएंगी. 

हेनरिएटा फ़ोर ने अलबत्ता कहा है कि ये मात्रा कम से कम 17 करोड़ होनी चाहिये थी.

उन्होंने कहा कि जब तक जी7 देशों की बैठक होगी तब तक कमी की ये खाई बढ़कर 19 करोड़ तक हो चुकी होगी, जबकि कोविड-19 की घातक दूसरी लहर, पूरे भारत में और उसके अनेक पड़ोसी देशों में जारी रहने की आशंका है.

यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा, “हमने अपनी चौकसी में कोताही बरतने और निम्न व मध्य आय वाले देशों को सर्वसुलभ वैक्सीन, टैस्ट और उपचार के उपायों के बिना छोड़ दिये जाने के जोखिमों के बारे में बारम्बार चेतावनियाँ जारी की हैं."

"हम ये देखकर बहुत चिन्तित हैं कि भारत में महामारी का घातक फैलाव, उस स्थिति की एक बानगी है जो इन चेतावनियों को अनसुना कर दिये जाने के कारण उत्पन्न हो सकती है.”

भारत संकट अकेला नहीं

यूएन बाल एजेंसी की प्रमुख हेनरिएटा फ़ोर ने कहा कि निसन्देह भारत की स्थिति बहुत त्रासदीपूर्ण है, मगर “यह स्थिति अपने आप में अकेली नहीं है”.

नेपाल, श्रीलंका, मालदीव्स, अर्जेंटीना और ब्राज़ील जैसे देशों में भी कोविड-19 के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है और उनकी स्वास्थ्य प्रणालियाँ अत्यधिक बोझ से जूझ रही हैं. 

उन्होंने इस तरफ़ भी ध्यान दिलाया कि अगर वायरस बेक़ाबू होकर यूँ ही फैलता रहा तो इस वायरस के और भी अधिक घातक रूपों या प्रकारों (Variants) के उभरने का जोखिम बरक़रार रहेगा.

बेशक, कोवैक्स कार्यक्रम, इस महामारी से बाहर निकलने का एक रास्ता दिखाता है, मगर इसके तहत अभी आपूर्ति पर्याप्त नहीं है, और इसके लिये भारत की स्थिति भी, आंशिक रूप से ज़िम्मेदार है.

भारत, वैक्सीन उत्पादन में एक अग्रणी देश है, मगर देश में कोविड-19 की भयावह स्थिति के कारण, कोवैक्स कार्यक्रम के लिये, वैक्सीन उत्पादन व आपूर्ति में गम्भीर कमी हुई है.

भारत की राजधानी नई दिल्ली में, एक स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 की वैक्सीन को हाथ में थामे हुए.
© UNICEF/Sujay Reddy
भारत की राजधानी नई दिल्ली में, एक स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 की वैक्सीन को हाथ में थामे हुए.

यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा, ”भारत के भीतर ही वैक्सीन की बेतहाशा बढ़ती माँग का मतलब है कि निम्न व मध्यम आय वाले देशों को, मई महीने के अन्त तक, वैक्सीन की जो 14 करोड़ ख़ुराकें मुहैया कराई जानी थीं, वो अब कोवैक्स कार्यक्रम को उपलब्ध नहीं होंगी. जून महीने में भी, अतिरिक्त 5 करोड़ वैक्सीन ख़ुराकें उपलब्ध नहीं होने की सम्भावना है.”

“इस स्थिति को, वैक्सीन राष्ट्रवाद ने और भी ज़्यादा बदतर बना दिया है और सीमित उत्पादन व धन की कमी के कारण, कोविड-19 वैक्सीन की उपलब्धता का कार्यक्रम निर्धारित लक्ष्य से इतना पीछे चल रहा है.”

ख़ुराकें दान करें

हेनरिएटा फ़ोर ने कहा कि जी7 देशों के नेतागण जून में अपनी बैठक करेंगे और सम्भवतः वैक्सीन की उपलब्धता में मौजूदा खाई को भरने के आपदा उपायों पर ग़ौर किया जाएगा.

नए आँकड़ों के विश्लेषण से मालूम होता है कि जी7 संगठन और योरोपीय संघ के देश, अगर अपने यहाँ जून, जुलाई और अगस्त में उपलब्ध होने वाली कुल ख़ुराक़ मात्रा का केवल 20 प्रतिशत हिस्सा भी दान करें, तो वो लगभग 15 करोड़ 30 लाख ख़ुराकें, अन्य ज़रूरतमन्द देशों को दान कर सकते हैं.

यूनीसेफ़ प्रमुख ने कहा कि वैश्विक स्तर पर पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराने की दौड़ तभी जीती जा सकती है जब तमाम देश, कोवैक्स कार्यक्रम को पर्याप्त धन और आवश्यक सामग्री मुहैया कराएँ. इसमें बौद्धिक सम्पदा लाइसेंस में ढील देकर और प्रौद्योगिकी हस्तान्तरण करके, वैक्सीन उत्पादन को सहायता मुहैया कराने जैसे उपाय भी शामिल हैं.

उन्होंने कहा, “ये उपाय अति महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनसे भी स्थिति रातों-रात, एकदम नहीं बदल जाएगी. ज़रूरत से ज़्यादा मात्रा में बची ख़ुराकें तत्काल ज़रूरतमन्द देशों को मुहैया कराया जाना, एक न्यूनतम उपाय है. और ऐसा अभी करना होगा.”