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यूएन मानवाधिकार प्रमुख की, इसराइल-फ़लस्तीन संकट में, तनाव कम करने की अपील

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट, 26 सितम्बर 2018 को, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में प्रेस से बातचीत करते हुए.
UN Photo/Laura Jarriel
संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट, 26 सितम्बर 2018 को, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में प्रेस से बातचीत करते हुए.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख की, इसराइल-फ़लस्तीन संकट में, तनाव कम करने की अपील

मानवीय सहायता

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने फ़लस्तीनी क्षेत्र ग़ाज़ा और इसराइल में लगातार विस्फोटक होते हालात और रक्तपात के बीच शनिवार को, तनाव कम करने और सभी सम्बद्ध पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान किये जाने की अपील की है.

मिशेल बाशेलेट ने शनिवार को जारी एक वक्तव्य में कहा, “इसराइल द्वारा क़ब्ज़ा किये हुए फलस्तीनी इलाक़ों और इसराइल में, पिछले 10 दिनों के दौरान, स्थिति बहुत तेज़ी से और ख़तरनाक़ तरीक़े से बिगड़ी है.”

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वक्तव्य में कहा गया है, “इसराइल द्वारा क़ाबिज़ पूर्वी येरूशेलम की शेख़ जर्राह बस्ती में, इसराइल द्वारा फ़लस्तीनी परिवारों को जबरन बेदख़ल किये जाने की धमकियों के कारण स्थिति बिगड़ी है.

साथ ही, रमज़ान के दौरान अल अक़्सा मस्जिद के आसपास इसराइली सुरक्षा बलों की भारी मौजूदगी और हिंसा; ग़ाज़ा से और ग़ाज़ा में किये गए हमलों से भड़काव; और इसराइल में नस्लीय नफ़रत व हिंसा को बढ़ावा मिलना, इन सभी कारणों से, काबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों और इसराइल में क्रूर हमलों को बल मिला है और हताहतों की संख्या बढ़ी है.”

मिशेल बाशेलेट ने कहा कि सभी पक्षों के नेतृत्व कर्ताओं द्वारा, तनाव को कम करने की इच्छा ज़ाहिर करने के बजाय, उनके भड़काऊ बयानों ने, तनाव बढ़ाने में आग में घी की तरह काम किया है.

रविवार को सुरक्षा परिषद की बैठक

इस बीच, इसराइली रक्षा सेनाओं और हमास चरमपंथी गुट के लड़ाकों के बीच हुई लड़ाई के कारण, हताहतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ध्यान रहे कि ग़ाज़ा में, हमास का शासन है.

फ़लस्तीन में, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ ने शनिवार को ट्विटर पर ख़बर प्रसारित की है कि बीती रात, ग़ाज़ा में 8 बच्चे मारे गए. अभी तक ग़ाज़ा में कुल मिलाकर 40 बच्चों और इसराइल में 2 बच्चों की मौत हो चुकी है. 

मध्य पूर्व में भड़के इस ताज़ा संकट पर विचार करने के लिये, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद रविवार को बैठक करने वाली है. यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश, और मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष संयोजक टॉर वैनेसलैण्ड, परिषद की इस बैठक में शिरकत करने वाले राजदूतों को सम्बोधित करेंगे.

मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने आगाह करते हुए कहा कि फ़लस्तीनी सशस्त्र गुटों द्वारा इसराइल में, बड़ी संख्या में, अंधाधुंध रॉकेट हमले किया जाना, युद्धापराध की श्रेणी में आता है. ये रॉकेट हमले घनी आबादी में भी किये जा रहे हैं.

उन्होंने कहा है कि ऐसी चिन्ताएँ भी व्यक्त की गई हैं कि इसराइली रक्षा सेनाओं ने ग़ाज़ा में, आम आबादी के ठिकानों पर जो कुछ हमले किये हैं, वो ठिकाने अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत, सैन्य लक्ष्यों की ज़रूरत पूरी नहीं करते.

मानवाधिकार उच्चायुक्त के वक्तव्य में कहा गया है कि सैन्य अभियान चलाने के दौरान, समुचित ऐहतियात बरतने, सैन्य व सिविल ठिकानों के बीच समुचित अन्तर करने और अनुपात के अनुसार बल प्रयोग करने के सिद्धान्तों का पालन करने में नाकामी, अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का गम्भीर उल्लंघन मानी जा सकती है, और इस तरह की गतिविधियाँ युद्धापराध की श्रेणी में शामिल की जा सकती हैं.

यूएन मानवाधिकार प्रमुख ने कहा, “हम सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि वो अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियों के लिये पूर्ण सम्मान दिखाएँ. एक क़ाबिज़ ताक़त होने के नाते, इसराइल की ये ज़िम्मेदारी है कि वो ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता के लिये निर्बाध सहायता पहुँचने दे.”

“जो पक्ष, इन प्रावधानों और उत्तदायित्वों का उल्लंघन करने के ज़िम्मेदार पाए जाएँ, उन्हें न्याय के कटघरे में अवश्य खड़ा किया जाना चाहिये.” 

भीड़ हिंसा, भड़काऊ भाषा

मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बाशेलेट ने इसराइल सरकार का भी ये आहवान किया कि वो इसराइल के धुर दक्षिणपंथी गुटों और इसराइल के फ़लस्तीनी नागरिकों के बीच भड़की चिन्ताजनक हिंसा को रोकने के लिये तत्काल ठोस कार्रवाई करे. इसराइल के अनेक शहरों में दर्ज की गई इस हिंसा में फ़लस्तीनी बहुल इलाक़ों में बसाए गए यहूदी वासी भी शामिल हैं.

उन्होंने, कुछ हमलों की उच्च दर्जे की संगठित प्रकृति होने और भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल किये जाने पर, विशेष चिन्ता व्यक्त की, जो नस्लीय और धार्मिक नफ़रत व हिंसा की श्रेणी में परिभाषित की जा सकती है.

ख़बरों में ये भी संकेत मिलता है कि कुछ मामलों में, फ़लस्तीनी इलाक़े – पश्चिमी तट में बसाए गए इसराइली बाशिन्दों के संगठित काफ़िले, स्थानीय गुटों में शामिल होने के लिये पहुँचे हैं. इसराइल में रहने वाले कुछ फ़लस्तीनी नागरिकों ने भी हिंसक हमले किये हैं.

मिशेल बाशेलेट ने कहा, “हम इन समाचारों पर विशेष रूप से चिन्तित हैं कि जब इसराइल के फ़लस्तीनी नागरिकों पर हिंसक हमले किये गए तो, इसराइली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. और धुर दक्षिणपंथी गुट, सोशल मीडिया पर लोगों को इसराइल के फ़लस्तीनी नागरिकों के ख़िलाफ़ प्रयोग करने के लिये, हथियार, छुरे, तलवारें और अन्य तरह के हथियार लाने के लिये भड़का रहे हैं.”

उन्होंने इसराइल सरकार को उसकी ये ज़िम्मेदारी याद दिलाई कि सभी निवासियों और नागरिकों की सुरक्षा करना, उसका उत्तरदायित्व है. उन्होंने साथ ही, तमाम राजनैतिक नेताओं से ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने का आग्रह किया जिससे तनाव भड़क सकता है, बल्कि, नफ़रत और हिंसा को भड़काने के प्रयासों को रोकने लिये काम करने का आग्रह किया. 

हनन मामलों की जाँच हो

यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़े – पश्चिमी तट में प्रदर्शनों के दौरान, इसराइली सुरक्षा बलों द्वारा जानलेवा हथियारों के इस्तेमाल की ख़बरों पर भी गहरी चिन्ता व्यक्त की है. इस घटनाक्रम में अकेले शुक्रवार को ही, 10 फ़लस्तीनियों की मौत हो गई थी.

मिशेल बाशेलेट ने अन्तरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानून और अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तमाम तरह के उल्लंघनों के आरोपों की निष्पक्ष, पारदर्शी और व्यापक जाँच कराए जाने का आहवान किया है.

उन्होंने कहा, “हाल के इतिहास से हम ये जानते हैं कि इस तरह की गम्भीर स्थिति, हज़ारों नागरिकों के लिये, किस तरह से अत्यन्त गम्भीर नतीजे पेश कर सकती है.”

“ऐसे हालात में जीत किसी की भी नहीं होती है, हिंसा चक्र आगे बढ़ने के कारण, कोई टिकाऊ शान्ति क़ायम नहीं हो सकती. हम सभी पक्षों और प्रभाववाले देशों से आग्रह करते हैं कि वो, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का सम्मान सुनिश्चित करने, तनाव कम करने, और संघर्ष को भड़कने देने के बजाय, उसका समाधान तलाश करने के लिये तुरन्त उपाय करें.”