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कोविड-19: वैश्विक महामारी का दूसरा वर्ष ज़्यादा 'जानलेवा'

यूक्रेन के एक अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में एक संक्रमित बच्ची का उपचार हो रहा है.
© UNICEF/Evgeniy Maloletka
यूक्रेन के एक अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में एक संक्रमित बच्ची का उपचार हो रहा है.

कोविड-19: वैश्विक महामारी का दूसरा वर्ष ज़्यादा 'जानलेवा'

स्वास्थ्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि भारत सहित अनेक देशों में विकट हालात दर्शाते हैं कि वैश्विक महामारी कोविड-19 का दूसरा वर्ष पहले से कहीं अधिक घातक साबित हो रहा है. उन्होंने धनी देशों से अपील की है कि कोरोनावायरस वैक्सीन का टीकाकरण, बच्चों व किशोरों में करने में जल्दबाज़ी ना करते हुए, वो ख़ुराकें न्यायसंगत वैक्सीन वितरण के लिये स्थापित ‘कोवैक्स’ पहल के तहत दान कर दी जानी चाहिये.

विश्व भर में, कोरोनावायरस संक्रमण के अब तक 16 करोड़ से ज़्यादा मामलों की पुष्टि हुई है और 33 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई है.

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महानिदेशक घेबरेयेसस ने जिनीवा में शुक्रवार को पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया कि भारत में हालात बेहद चिन्ताजनक बने हुए हैं.

अनेक राज्यों में संक्रमण, अस्पतालों में मरीज़ों के भर्ती होने और मौतों के बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन जवाबी कार्रवाई में सक्रियता से जुटा है और ऑक्सीजन कॉन्सैन्ट्रेटर्स, सचल फ़ील्ड अस्पतालों के लिये टैण्ट, मास्क और अन्य चिकित्सा सामग्री की आपूर्ति की गई है.

भारत में यूएन की टीम ने जवाबी कार्रवाई में सहायता प्रयासों के तहत उपकरणों व मेडिकल सामग्री की आपूर्ति जारी रखी है.

न्यूयॉर्क में यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने शुक्रवार को बताया कि ऑक्सीजन का उत्पादन करने वाले 72 संयंत्र, 13 हज़ार ऑक्सीजन कॉन्सन्ट्रेटर, चार लाख परीक्षण किटें और 85 टैस्टिंग मशीनें मुहैया कराए गए हैं.

यूएन टीम हेल्पलाइन की स्थापना करके, प्रवासियों और निर्बल समूहों को मनो-सामाजिक सम्बल, सामाजिक कल्याण व आजीविका सम्बन्धी जानकारी प्रदान कर रही है.

भारत में यूएन की रैज़ीडेण्ट कोऑर्डिनेटर रेनाटा डेज़ालियन के मुताबिक़ उन बच्चों का भी ख़याल रखने में प्रशासनिक एजेंसियों की मदद की जा रही है, जिन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया है.

उन्होंने कहा कि भारत में, कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, देश की जनता को अकथनीय पीड़ा सहनी पड़ी है, मगर स्थानीय लोगों ने निस्वार्थ व परोपकार भाव, साहस और पारस्परिक सहायता के ज़रिये इस संकट का सामना किया है.

भारत के साथ-साथ कई अन्य देशों को भी संक्रमण व अस्पताल में मरीज़ों की संख्या बढ़ने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. इनमें नेपाल, श्रीलंका, वियतनाम, कम्बोडिया, थाईलैण्ड और मिस्र सहित अन्य देश हैं और अमेरिकी क्षेत्र भी प्रभावित है.

चुनौतीपूर्ण हालात

पिछले सप्ताह विश्व भर में कोविड-19 के कारण कुल मृतक संख्या का 40 फ़ीसदी अमेरिकी क्षेत्र से था. अफ़्रीका के कुछ देशों में भी मामलों में तेज़ी देखी गई है.

यूएन एजेंसी प्रमुख ने कहा कि कोरोनावायरस संकट का दूसरा वर्ष, 2020 के मुक़ाबले कहीं अधिक घातक साबित हो रहा है.

सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय और टीकाकरण – दोनों प्रकार के उपायों को एक साथ अपनाकर ही इस महामारी से बाहर निकला जा सकता है.

उन्होंने आगाह किया कि टीकाकरण की धीमी रफ़्तार, एक घातक वायरस से निपटने की कारगर रणनीति नहीं है, साथ ही 'वैक्सीन राष्ट्रवाद' के ख़तरे के प्रति भी सचेत रहना होगा.

उन्होंने क्षोभ जताया कि फ़िलहाल, कुल वैक्सीन आपूर्ति का केवल 0.3 फ़ीसदी ही निम्न-आय वाले देशों को मिल पा रहा है.

यूएन एजेंसी प्रमुख के मुताबिक़, ऐसे कुछ धनी देश जिन्होंने वैक्सीन की अधिकाँश ख़ुराकें ख़रीद ली हैं, अब वहाँ कम जोखिम वाले समूहों का टीकाकरण हो रहा है.

“मैं समझ सकता हूँ कि कुछ देश, अपने बच्चों और किशोरों का टीकाकरण क्यों करना चाहते हैं. मगर, मैं अभी उनसे आग्रह करता हूँ कि वे पुनर्विचार करें और ऐसा करने के बजाय ये वैक्सीन, कोवैक्स के लिये दान कर दें.”

महानिदेशक घेबरेयेसस ने स्पष्ट किया कि वैक्सीन की आपूर्ति निम्न और निम्नतर-मध्य आय वाले देशों में इतनी भी नहीं है कि स्वास्थ्य और अग्रिम मोर्चे पर डटे कर्मचारियों का टीकाकरण किया जा सके.