तनाव के युद्ध में तब्दील होने की आशंका – मध्य पूर्व दूत की चेतावनी

मध्य पूर्व शान्ति प्रक्रिया के लिये संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टॉर वेनेसलैण्ड ने क़ाबिज़ फ़लस्तीनी इलाक़ों में हिंसा पर चिन्ता जताते हुए शान्ति की अपील की है. उन्होंने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि लगातार हो रही हवाई कार्रवाई और रॉकेट हमलों से हिंसक घटनाएँ, पूरी तरह से एक युद्ध में तब्दील हो सकती हैं.
विशेष दूत ने ट्विटर पर अपने सन्देश में कहा, “इस आग को तत्काल बुझाइए. हम तेज़ी से एक युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं.”
मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये यूएन कार्यालय (OCHA) के मुताबिक मंगलवार स्थानीय समयानुसार शाम पाँच बजे तक ग़ाज़ा में इसराइली हवाई कार्रवाई में 28 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 10 बच्चे भी हैं.
ग़ाज़ा से किये गए रॉकेट हमलों से इसराइल में दो महिलाओं की मौत हुई है. पिछले कुछ दिनों से जारी हिंसा में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं.
विशेष दूत टॉर वेनेसलैण्ड ने ज़ोर देकर कहा कि ग़ाज़ा में युद्ध की क़ीमत विनाशकारी है और इसे आम लोगों को चुकाना पड़ रहा है.
“दोनों पक्षों के नेताओं को तनाव में कमी लाने की ज़िम्मेदारी लेनी होगी...हिंसा को अब रोकिए.”
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवँ कार्य एजेंसी ने हिंसक घटनाओं में आई तेज़ी और बच्चों पर उसके असर पर गहरी चिन्ता जताई है.
यूएन एजेंसी ने एक वक्तव्य जारी कर सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने की अपील की है.
“हमारी सम्वेदनाएँ उन सभी परिजनों व समुदायों में मित्रों के साथ हैं, जो इस ताज़ा घटनाक्रम में क्रूरतापूर्ण ढँग से प्रभावित हुए हैं.”
यूएन एजेंसी ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून के तहत बच्चों की रक्षा की जानी होगी. साथ ही तय दायित्वों के उल्लंघन के लिये, स्पष्ट सबूतों के साथ ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय की जानी होगी.
यूएन एजेंसी ने सभी पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय क़ानून के तहत तय दायित्वों का सख़्ती से अनुपालन किये जाने की अपील दोहराई है.
मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिये यूएन कार्यालय ने आगाह किया है कि क्षेत्र में ताज़ा घटनाक्रम से, पहले से ही ख़राब मानवीय हालात और बदतर हो गए हैं, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी से जूझ रहे ग़ाज़ा में.
यूएन एजेंसी के मुताबिक, इस सप्ताह के अन्त तक ईंधन की क़िल्लत के कारण, ग़ाज़ा में एकमात्र विद्युत उत्पादन संयंत्र के ठप होने की आशंका है.
इससे महत्वपूर्ण सेवाओं की उपलब्धता पर नकारात्मक असर पड़ने के सम्बन्ध में चिन्ता जताई गई है. संयुक्त राष्ट्र एजेंसियाँ, ग़ैर-सरकारी व साझीदार संगठन ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने के काम में जुटे हैं.