भारत: कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई में मदद के लिये WHO की अपील
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में कोविड-19 संक्रमण के मामलों व मृतक संख्या में तेज़ बढ़ोत्तरी जारी रहने पर चिन्ता जताई है. इस बीच, WHO फ़ाउण्डेशन ने कोरोनावायरस की दूसरी लहर से जूझ रहे भारत में, कोविड-19 पर जवाबी कार्रवाई को समर्थन देने के इरादे से सहायता धनराशि जुटाने की अपील जारी की है, जिसका उद्देश्य ऑक्सीजन, निजी बचाव सामग्री व दवाओँ की व्यवस्था सुनिश्चित करना है.
यूएन एजेंसी प्रमुख ने सोमवार को जिनीवा में पत्रकारों को सम्बोधित करते हुए बताया कि इस अपील को ‘भारत के लिये एकजुट’ (Together for India) नाम दिया गया है.
उन्होंने WHO फ़ाउण्डेशन की वेबसाइट पर जाकर सहायता धनराशि को दान किये जाने की अपील की है.
भारत, पिछले कई हफ़्तों से संक्रमण की तेज़ लहर की चपेट में है और स्वास्थ्य प्रणालियों पर भीषण बोझ है. मौजूदा हालात में मेडिकल ऑक्सीजन, आपात देखभाल और जीवनरक्षक दवाओं की माँग में भारी वृद्धि हुई है.
Among the millions affected by #COVID19 in #India, many will require medical supplies to keep them alive. Today, @thewhof launched the “#TogetherForIndia” appeal to support @WHO’s efforts to save lives in 🇮🇳. https://t.co/WjEiBqShkb
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देश में पिछले 24 घण्टों में तीन लाख 66 हज़ार मामले दर्ज किये जा चुके हैं और तीन हज़ार 700 से अधिक लोगों की मौत हुई है.
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि दुनिया इस समय एक बेहद जोखिमपूर्ण स्थिति में है. हर क्षेत्र में कुछ देश ऐसे हैं जहाँ संक्रमण में बढ़ोत्तरी का रूझान देखा जा रहा है.
“विश्व भर में, हम कोविड-19 मामलों व मौतों की संख्या में एक ठहराव को देख रहे हैं, अमेरिका और योरोपीय सहित अधिकाँश क्षेत्रों में आई गिरावट के साथ. ये दोनों सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में रहे हैं.”
मगर, उन्होंने आगाह किया कि यह ठहराव बेहद ऊँचे स्तर पर आ रहा है, जोकि अस्वीकार्य है. पिछले सप्ताह 54 लाख नए संक्रमणों की पुष्टि हुई और करीब 90 हज़ार लोगों की मौत हुई.
“किसी भी प्रकार की गिरावट स्वागतयोग्य है, मगर हम यह पहले भी देख चुके हैं.”
सतर्कता ज़रूरी
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी प्रमुख ने बताया कि बहुत से देशों ने, पिछले वर्ष, संक्रमणों व मौतों में गिरावट का रूझान देखा है.
इसके बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य व सामाजिक उपायों में ढील दे दी गई, व्यक्तियों ने सुरक्षा में ढिलाई बरती, जिसके परिणामस्वरूप, कड़ी मेहनत से हासिल की गई प्रगति पर पानी फिर गया.
उन्होंने कहा कि वायरस के नए प्रकारों का फैलाव, सामाजिक घुलने-मिलने में बढ़ोत्तरी, सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों व टीकाकरण में विसंगति - इन सभी वजहों से वायरस फैल रहा है.”
महानिदेशक घेबरेयेसस ने कहा कि वैक्सीनों उन देशों में गम्भीर बीमारी और मौतों को कम कर रही हैं, जहाँ टीके पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं. शुरुआती नतीजे दर्शाते हैं कि वैक्सीनों से संचारण की रफ़्तार भी कम हो सकती है.
“मगर वैक्सीन की सुलभता में स्तब्धकारी वैश्विक विसंगति, इस महामारी को ख़त्म करने में सबसे बड़े जोखिमों में है.”
उन्होंने बताया कि उच्च- और उच्चतर-मध्य आय वाले देशों में, विश्व आबादी का 53 प्रतिशत हिस्सा है, मगर उन्हें, कुल वैक्सीनों का 83 प्रतिशत प्राप्त हुई हैं.
जबकि निम्न- और निम्नतर-मध्य आय वाले देशों में विश्व आबादी का 47 प्रतिशत हिस्सा बसता है, जहाँ महज़ 17 प्रतिशत वैक्सीनें ही उपलब्ध हो पाई हैं.
वैक्सीन और बचाव उपाय
स्तब्धकारी महानिदेशक घेबरेयेसस के मुताबिक इस वैश्विक असन्तुलन को दूर करना, समाधान का हिस्सा है, मगर यह तात्कालिक समाधान नहीं है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि अन्य बीमारियों की तरह, कोविड-19 की रोकथाम के लिये भी वैक्सीनों और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों, दोनों की आवश्यकता होगी.
“वैक्सीनें, बीमारी की रोकथाम करती हैं. मगर हम सार्वजनिक स्वास्थ्य औज़ारों से भी संक्रमण की रोकथाम कर सकते हैं, जोकि अनेक स्थानों पर बेहद कारगर रहे हैं.”
इसके मद्देनज़र, उन्होंने सचेत किया कि जिन देशों में, टीकाकरण की दर ज़्यादा है, वहाँ भी सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमताओं को मज़बूत किया जाना होगा, ताकि वैक्सीन को बेअसर कर फैलने वाले वायरस की आशंका के अनुरूप तैयारी कीजा सके.
उन्होंने, इस क्रम में, रणनीतिक तैयारी व जवाबी कार्रवाई योजना विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए 10 स्तम्भों के तहत, देशों से व्यापक राष्ट्रीय योजनाओं को विकसित व लागू किये जाने का आग्रह किया है.